श्रीनगर: कोरोना की बढ़ती महामारी के बीच जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों और मजदूरों का आगमन लगतार जारी है। इनमें से कुछ तो खुद ही यात्रा से पहले टेस्ट करवा रहे हैं लेकिन ज्यादातर लोगों का टेस्ट यहां पहुंच कर ही हो रहा है। इसके कारण घाटी में यात्रा करने वालों के माध्यम से संक्रमण के फैलने का खतरा बढ़ गया है।
बिहार से कश्मीर घूमने आया उत्तम प्रसाद ने यात्रा से पहले टेस्ट करवा लिया था। दिल्ली में RT-PCR और कश्मीर घाटी में हवाई अड्डों पर रैपिड टेस्ट निगेटिव आने के बाद ही वह आज डल झील पर घूम रहे हैं। दिल्ली से आए रुपेश कुमार ने भी दिल्ली में आरटी-पीसीआर टेस्ट करवा लिया था लेकिन श्रीनगर हवाई अड्डे पर उनका फिर से सर्पोट टेस्ट हुआ।
इसी बात को लेकर स्थानीय लोगों में प्रशासन के प्रति गुस्सा है। लोगों का कहना है कि सवालों के घेरे में घिरेपिड टेस्ट पर इतना भरोसा करके सरकार यहां के लोगों की जिंदगी खतरे में डाल रही है और दिल्ली और अन्य कई राज्यों की तरह कश्मीर घाटी आने के लिए RT-PCR टेस्ट को अनिवार्य करना चाहिए।
लोगों के इस गुस्से की वजह से कश्मीर घाटी को बाकी देश से जोड़ने वाली जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग का हाल देखकर साफ हो जाता है। यहां फ़ंक्शन और अन्य किसी भी प्रकार के प्रोटोकॉल का पालन किए बिना लोग पहुंच रहे हैं। इनमें पर्यटक भी हैं और स्थानिय नागरिक भी लेकिन यहां पर बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर भी पहुंच रहे हैं और यहां उनका न्यायपूर्ण टेस्ट हो रहा है।
पिछले 15 दिनों में जम्मू कश्मीर में बढ़े हुए कोरोना पॉजिटिव मामलों में बड़ी संख्या यात्रा करने वालो की है। आंकड़ों के अनुसार नए मामलो में 35 प्रतिशत यात्रा कर रहे लोगों के हैं जो बहुत खतरनाक हैं।
प्रशासन ने साही को चुप कराया
वर्तमान जम्मू कश्मीर प्रशासन इस मामले में चुप ही है और लोगों की आवाज़जही पर किसी भी तरह से प्रतिबंध लगाने और आरटी-पीसीआर टेस्ट को अनिवार्य करने का विचार नहीं कर रहा है। पिछले सप्ताह लोगों के दबाव में प्रदेश में सड़क के रास्ते आने वालों का टेस्ट शुरू करवाया गया था, लेकिन जिस तेजी से कोरोना फैल रहा है उसमें काफी कुछ नहीं था।
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