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PHOTOS: रस्सी में बंधे दिखे कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह, नक्सलियों से रिहाई में इन लोगों की रही अहम भूमिका

PHOTOS: रस्सी में बंधे दिखे कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह, नक्सलियों से रिहाई में इन लोगों की रही अहम भूमिका

by Sneha Shukla

रायपुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच तीन अप्रैल को हुई मुठभेड़ के बाद अगवा किए गए ‘कोबरा’ रणोश्वर राकेश्वर सिंह मन्हास को नक्सलियों ने गुरुवार को रिहा कर दिया। नक्सलियों ने इस मौके का एक वीडियो भी जारी किया जिसमें सैकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी में सशस्त्र नक्सलींदरो को मुक्त करते दिख रहे हैं। वीडियो में दिख रहा है कि मन्हास की हाथों में बंधे रस्सियों को खोला जा रहा है।

बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक संदरराज पी ने कहा कि 210 वींमंडो बटालियन के लिए रिजॉल्यूट ऐक्शन (कोबरा) के कांस्टेबल मन्हास को माओवादियों द्वारा मुक्त कर दिया गया और वह “उसका पता लगाने के लिए फ़ोनों के साथ शाम करीब साढ़े चार बजे सेफे तारेम पुलिस थाना पहुंच गई। ”

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केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने एक बयान में कहा कि जवान का “स्वास्थ्य ठीक है और मुक्त होने के तत्काल बाद उसका अनिवार्य विस्तृत स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।”

इन लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है

छत्तीसगढ़ सरकार के एक बयान में कहा कि मन्हास को सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री धर्मपाल सैनी, माता रुक्मणी आश्रम जगदलपुर, एक अन्य व्यक्ति तेलम बोरैय्या और आदिवासी समाज, बीजापुर के वरिष्ठ अधिकारियों के प्रयासों से मुक्त कराया जा रहा है। बयान में कहा गया किांडो को मुक्त कराने में गणेश मिश्रा और मुकेश चंद्राकर जैसे स्थानीय पत्रकारों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

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प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने युवा के मुक्त होने पर प्रसन्नता व्यक्त की और इसे संभव बनाने वालों को धन्यवाद दिया। युवा को मुक्त किए जाने के वीडियो में चेहरा ढके कम से कम दो सशस्त्र माओवादी पीले रंग की रस्सी से बंधे मन्हास की हाथ खोलते नजर आ रहे हैं जबकि सैकड़ों ग्रामीणों को भी आस-पास बैठे देखा जा सकता है।

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मौके पर साइकिल चलाने वाले और पत्रकार भी मौजूद थे। सुरक्षा अधिकारियों द्वारा साझा एक अप्रमाणित तस्वीर में मन्हास जंगल में युद्ध के दौरान पहनी जाने वाली वर्दी में कम से कम चार “पैकेजों” के साथ खड़े नजर आ रहे हैं और जंगल की पृष्ठभूमि में कुछ स्थानीय लोग भी बैठे दिख रहे हैं।

एक अन्य तस्वीर मेंधरो एक स्थानीय पत्रकार के साथ मोटरसाइकिल पर पीछे बैठे दिख रहे हैं जबकि एक अन्य तस्वीर में एक पत्रकारधरो के साथ सेल्फी खींचता दिख रहे हैं।

अधिकारियों ने बताया कि मन्हास को बाद में बासगुड़ा शिविर में सीआरपीएफ के उप-महानिरीक्षक (बीजापुर) कोमल सिंह को सौंप दिया गया।

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उन्होंने कहा कि युवा को शिविर में रखा जाएगा और जल्द ही उसे ‘डीब्रीफिंग’ के दौर से गुजारा जाएगा, जिससे यह समझा जा सकेगा कि किन परिस्थितियों में वह माओवादियों के हाथ आ गया और माओवादियों के कब्जे में रहने के दौरान वह क्या हुआ?

अधिकारियों ने कहा कि मन्हास के ‘बडी’ (साथी) ने अधिकारियों को बताया था कि घटना वाले दिन शिविर की तरफ इंतजार के दौरान युवा निढाल के साथ बैठ गया था। इस दौरान भारी गोलीबारी कोैंडो के अपनी इकाई और बडी से अलग होने का संभावित कारण बताया जा रहा है।

मिन्हास की रिहाई की खबर से ही उनके परिवार में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। कांस्टेबल ने फोन से (जम्मू में स्थित) अपने परिवार के लोगों से बातचीत की।

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कोबरा सीआरपीएफ की विशेष इकाई है जिसका गठन 2009 में माओवादियों और पूर्वोत्तर के उग्रवादियों के खिलाफ खुफिया जानकारी आधारित अभियानों के लिए किया गया था।

बीजापुर-सुकमा जिले की सीमा पर तेकलगुडम गांव में तीन अप्रैल को नक्सलियों द्वारा हमले लगाकर किए गए हमले के बाद हुई मुठभेड़ में 22 सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी जबकि 31 अन्य घायल हो गए थे।

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