Home » World Water Day 2021: बढ़ते जल संकट के बीच यूएन में सम्मेलन, हैरान करने वाले हैं भारत के जल संकट के आंकड़े
World Water Day 2021: बढ़ते जल संकट के बीच यूएन में सम्मेलन, हैरान करने वाले हैं भारत के जल संकट के आंकड़े

World Water Day 2021: बढ़ते जल संकट के बीच यूएन में सम्मेलन, हैरान करने वाले हैं भारत के जल संकट के आंकड़े

by Sneha Shukla

[ad_1]

विश्व जल दिवस 2021: पृथ्वी के चार भागों में से तीन भागों में समंदर ही समंदर है यानी तीन भागों में पानी है। हैरानी की बात यह है कि यह पानी हमारे किसी काम का नहीं है। धरती पर जितना पानी उपलब्ध है, उनमें से सिर्फ तीन प्रतिशत पानी हमारे काम का है। लेकिन ये तीन प्रतिशत पानी में भी सिर्फ एक प्रतिशत ही पीने के लिए उपलब्ध है। अंधाधुंध आधुनिकीकरण के कारण उपलब्ध पानी के प्राकृतिक स्रोत भी सूखने लगे हैं जिससे पानी का अकाल होने लगा है। आज विश्व जल दिवस है। इस दिन पानी के महत्व को समझते हुए जल संकट के समाधान के लिए विश्व में एकजुटता दिखाई देती है। इस वर्ष विश्व जल दिवस की थीम में वेल्यूइंग सोडियम है। यानी पानी का महत्व।

जल के महत्व को लेकर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
इस वर्ष विश्व जल दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय उच्च स्तरीय वर्ग कांफ्रेंस होने जा रहा है। यूएन ने अपने संदेश में कहा है कि चाहे वह शिक्षा, स्वास्थ्य, भोजन, घरेलू जरूरतें, आर्थिक आंदोलनों या हों या अंतर्राष्ट्रीय स्तर, मानव अस्तित्व के लिए पानी से बढ़कर कोई भी बड़ा अनिवार्य संसाधन नहीं है। कई वैज्ञानिक साक्ष्यों से यह साबित हो गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण पानी के प्राकृतिक संसाधन प्रभावित हो रहे हैं, जिसका सीधा असर समाज पर पड़ रहा है। पानी के महत्व को समझना इसके दुरुपयोग और अपव्यय को रोकना हमारा व्यावहारिक कदम है। दुनिया के सभी देश इस समस्या से निजात पाने के लिए सामूहिक रूप से इसमें भाग ले सकते हैं। यूनाइटेड नेशन हर साल पानी को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश करता है जिसमें सूखा, मरुस्थलीकरण, बाढ़, पानी में प्रदूषण, कृषि में पानी की कमी, पानी के गैर-पारंपरिक स्रोतों का इस्तेमाल और कृषि के लिए पानी जैसे विषयों पर समाज को अगाह करता है। । विश्व जल दिवस समारोह 2021 के मौके पर इस साल यूनेस्को के डाइरेक्टर जनरल आड्रे अजॉले अपने भाषण में सम्मेलन का नेतृत्व करेंगे। सम्मेलन में जल संकट का सामना कर रही मानवता के लिए जागरुकता अभियान के महत्व को निर्दिष्ट करेगा।

जल संकट में भारत की स्थिति खराब
एशियाई विकास बैंक के अनुसार, भारत में 2030 तक 50% पानी की कमी होगी। नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत, इतिहास में अपने सबसे खराब जल संकट का सामना कर रहा है। गर्मी में नल सूख गए हैं, जिससे उत्तेजित जल संकट पैदा हो गया है। पानी की वार्षिक प्रति व्यक्ति उपलब्धता 1951 में लगभग 5,177 क्यूबिक मीटर से घटकर 2019 में लगभग 1,720 क्यूबिक मीटर रह गई है। दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद सहित 21 शहरों में भूजल का स्तर बहुत नीचे आ गया है, जिससे 10 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं। सुरक्षित पानी की पूरी पहुंच के कारण हर साल लगभग दो लाख लोगों की मौत हो जाती है। इसके अलावा लगभग तीन-चौथाई घरों में पीने का पानी नहीं पहुंचता है और लगभग 70 प्रतिशत पानी दूषित होता है।

मसूरी और नैनीताल में भी सूख रहे हैं पानी के स्रोत
कुदरती कहर का प्रभाव पहाड़ी इलाकों को सबसे ज्यादा झेलना पड़ता है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड के कई इलाकों में पानी का जबर्दस्त अभाव रहा है। मसूरी और नैनीताल में पीने के पानी का एकमात्र स्रोत वर्षा का पानी और झरना है लेकिन कम बारिश और झरने में कम पानी आने से संकट बढ़ गया है। जल संस्थान के अधिकारियों ने बताया कि इस साल मानसून के बाद बारिश नहीं हुई और ठंड में भी बर्फबारी न के बराबर हुई। दूसरी ओर कुमाऊं क्षेत्र में पानी की मांग भी बहुत हो गई है। उन्होंने बताया कि हल्द्वानी में जनसंख्या का अनुपात बहुत अधिक बढ़ गया है जिसके कारण वहां पानी की किल्लत सबसे ज्यादा है। इसके अलावा रामगढ़ जैसे इलाके में कई रिसोर्ट खुलने से पानी की मांग बढ़ गई है। इन मांगों की पूर्ति के हिसाब से कुमाऊं क्षेत्र में पानी नहीं है।

क्यों मनाया जाता है विश्व जल दिवस
ब्राजील में रियो डि जेनेरियो में 22 मार्च 1992 को आयोजित पर्यावरण और विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में जल संकट को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। बढ़ते प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण पानी के प्राकृतिक संसाधनों में जो कमी आ रही है, उसे रोकने के लिए और पानी के प्रति समाज में जागरुकता लाने के लिए वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र ने अपने सामान्य सभा में निर्णय लेकर इस दिन को वार्षिक कार्यक्रम के रूप में जश्न का फैसला लिया। 22 मार्च 1993 को पहला विश्व जल दिवस मनाया गया। इसके बाद जल संरक्षण को लेकर संपूर्ण विश्व में कई तरह की योजनाएं बनाई गईं। प्रतिवर्ष विश्व जल दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होता है जिसमें जल संरक्षण को लेकर शाप ली जाती है। नदियों के जल को स्वच्छ रखने से जुड़ी परिचर्चाओं का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा लोग जल पर कविताएं पढ़ते हैं, कहानियां सुनाते हैं।

यह भी पढ़ें

शरद पवार के घर हुई कई बैठकों के बाद बची अनिल देशमुख की कुर्सी, एनसीपी नेता बोले- मामले की जांच होगी

कोरोना की दूसरी लहर के बीच टीकाकरण की धीमी गति पर सवाल उठ रहा है



[ad_2]

Source link

HomepageClick Hear

Related Posts

Leave a Comment