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SIP में लंबे समय तक निवेश देता है शानदार रिटर्न, जानें क्या है इसकी असली वजह? 

क्या हैं इंटरनेशनल फंड्स, कैसे कर सकते हैं निवेश और कितना लगता है टैक्स?

by Sneha Shukla

देश में म्यूचुअल फंड के रिटर्न में कमी आने के साथ ही लोग निवेश के दूसरे विकल्पों की तलाश कर रहे हैं। निवेशकों का ध्यान अब आंतरिक फंड की ओर है। लेकिन क्या अंतर फंड फंडर्स को बढ़िया रिटर्न दे पा रहे हैं। इन घरेलू घरेलू फंडों में निवेश कितना आसान है? आखिरकार इन फंडों में निवेश के क्या फायदे हैं। क्या आपको इस फंड में निवेश करना चाहिए?

आंतरिक फंड डाइवर्सिफिकेशन में मददगार

कई बार ऐसा होता है कि भारतीय फंड अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। या देश की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन ठीक नहीं रहने से फंडर्स को अपने निवेश पर अच्छा रिटर्न नहीं मिल पाता है। ऐसे में आंतरिक फंड निवेश के डायवर्सिफिकेशन के काम आते हैं। इससे निवेशक का जोखिम घट जाता है। भारतीय निवेशकों के लिए इंटरनेशनल फंड के कई विकल्प मौजूद हैं। ये देश, क्षेत्र, थीम और टेक्नोलॉजीज पर आधारित होते हैं। कोई भारतीय निवेशक रुपये में इन आंतरिक फंडों में निवेश कर सकता है। सामान्य सामान्य म्यूचुअल फंड की तरह इंटरनेशनल फंड का चुनाव कर रहे हैं।

कैसा लगता है टैक्स

इंटरनेशनल फंड पर ठीक उसी तरह टैक्स लगता है जैसे डेट फंड में। इस फंड में तीन साल से कम समय तक निवेश बनाए रखने पर निवेश को कम करने के लिए कैपिटल गेन्स टैक्स देना पड़ता है। टैक्स की दर निवेश के टैक्स स्लैब के अनुसार होती है। तीन साल से ज्यादा देर तक फंड में निवेश बनाए रखने पर निवेश को इंडेक्सेशन का फायदा मिलता है। इसकी वजह यह है कि इसे लावग टर्म कैपिटल गेन्स माना जाता है। इंडेक्सेशन के बाद टैक्स की दर 20 प्रति होती है। कुछ जोखिम भी हैं। । दूसरे देश की मुद्रा के मुकाबले रुपये में कमजोरी और मजबूती का असर आपके रिटर्न पर पड़ता है। इसलिए आंतरिक फंड में निवेश करने से पहले ओसी में होने वाले उतार-चढ़ाव के जोखिम के लिए तैयार रहना चाहिए।

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