<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> नई दिल्ली: strong> कोरोना का संक्रमण दिनों जिस तेजी से अपना विकराल रूप दिखा रहा है, ऐसी परिस्थितियों की घड़ी में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर जो सलाह दी है, वह महत्वपूर्ण होने के साथ। साथ ही देशहित में भी है। लिहाजा मोदी सरकार को दलित राजनीति से ऊपर उठकर तुरंत ही इन सुझावों पर अमल द्वारा देशवासियों को यह संदेश देना चाहिए कि महामारी का मुकाबला करने के लिए सरकार व विपक्ष एकजुट है। p>
मनमोहन सिंह ने अपनी चिट्ठी में एक महत्वपूर्ण पहलू की तरफ इशारा किया है। उस पर मोदी सरकार अगर फौरन अमल करती है, तो गैर भाजपाशासित राज्य की सरकारें वैक्सीन या ऑक्सिजन कम मिलने की जो शिकायत कर रही हैं, उसे लेकर न सिर्फ सारी तस्वीर साफ होगी बल्कि केंद्र अपने इस दाग को भी धोखे में लेकर कि वह राज्यों को वैक्सीन कहेगी। देने में कोई भेदभाव नहीं किया जा रहा है। p>
उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रधानमंत्री सिंह ने लिखा है कि "केंद्र सरकार को अगले छह महीने के लिए कोरोना वैक्सीन की भर्ती और डिलिवरी का ब्योरा जनता करना चाहिए और साथ ही सरकार को ये भी बताना चाहिए कि कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति राज्यों को किस तरह से की जानी होगी।"& nbsp; p>
महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे विपक्षी दलों की राज्य सरकारों के साथ ही भाजपा शासित राज्य भी वैक्सीन की कमी होने का रोना रो रहे हैं। ऐसी स्थिति में सिंह की यह सलाह इसलिए भी मायने रखती है कि इससे टीके की मांग व आपूर्ति के समन्वयमेल में जो खामी है वह तो दूर होगी ही, साथ ही हर राज्य को यह भी पता लग जाएगा कि उसे कब-कब कितनी मात्रा में वैक्सीन प्राप्त करें। & nbsp; p>
इसका फायदा यह होगा कि कई राज्यों में टीका लगवाने के लिए फिलहाल जो अफरातफरी मची है, वह काफी हद तक दूर होगी। लोगों में बैठा यह डर खत्म होगा कि आने वाले दिनों में वैक्सीन खत्म हो जाएँगी और उन्हें प्राथमिक अस्पतालों से उच्च कीमत देकर लगवाना होगा। p>
मनमोहन सिंह केई एक अन्य सुझाव पर भी मोदी सरकार को गंभीरता से गर्व करना चाहिए। इसमें कहा गया है कि "कितने लोगों को कोरोना वैक्सीन दी जा रही है, ये देखने के बजाय आबादी के कितने प्रतिशत हिस्से का टीकाकरण किया जा रहा है, ये देखा जाना चाहिए। लिहाजा को विभाजित टीकाकरण अभियान में तेजी लाकर कोरोना महामारी से मुकाबला किया जा सकता है।"& nbsp; p>
उन्होंने एक और महत्वपूर्ण तथ्य की तरफ भी ध्यान दिलाया है कि भारत में आबादी के एक बहुत छोटे से हिस्से को ही अभी तक बेक मिल पाया है। महामारी से लड़ने के लिए हमें कई कदम उठाने चाहिए। लेकिन इन tryon का बड़ा भागीदारी अभियान में तेजी लाना चाहिए। सरकार इस सच्चाई से इंकार नहीं कर सकती। मनमोहन सिंह ने यह भी साफ किया है कि वे अपनी सुझाव सरकार के विचार के लिए भेज रहे हैं। उनकी भावना रचनात्मक सहयोग की है जिस पर उन्होंने हमेशा विश्वास किया और अमल किया है। p>
सरकार के लिए ये एक अच्छा अवसर है कि वह देश के अनुभवी अर्थशास्त्री और पीएम रह चुके व्यक्ति की सलाह को बगैर किसी राजनीतिक चश्मे के देखे और उस पर अमल की शुरुआत करे। p>