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रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने मिसाइल सिस्टम को विकसित करने और उत्पादन करने के लिए केंद्रीय क्षेत्र की फर्मों को अनुमति दे दी है। ये निर्णय घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है।
डीआरडीओ के वरिष्ठ अधिकारियों ने एएनआई को बताया, “डेवलपमेंट कम प्रोडक्शन पार्टनर (डीसीपीपी) प्रोग्राम के तहत, हमने प्राइवेट सेक्टर को अपने साथ मिस सिस्टम विकसित करने और फिर उनका उत्पादन करने की अनुमति दी है।”
उन्होंने कहा, “प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों ने भागीदारी के लिए बहुत उत्साह दिखाया है। वर्टिकली लॉन्च की शॉर्ट-रेंज सरफेस टू एयर मिस सिस्टम (वीएल-एसआरएसएएम) परियोजना के लिए बोलियां भी शुरू की गई हैं।
यह प्रयास नरेंद्र मोदी सरकार की मेक इन इंडिया परियोजना के तहत किया जा रहा है। बता दें कि हाल ही में डीआरडीओ ने देश को रक्षा क्षेत्र में एक बहुत बड़ी खुशखबरी दी थी। डीआरडीओ ने इसी महीने एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) के का आखिरी टेस्ट पूरा कर लिया है। भारतीय पनडुब्बियों को और भी अधिक घातक बनाने की दिशा में इसे बहुत बड़ी सफलता माना जा रहा है, क्योंकि दुनिया के कुछ विकसित देशों के पास ही अभी तक यह है। इस टेक्नोलॉजी से पनडुब्बियों में ना तो ज्यादा तेज आवाज होगी और ना ही दुश्मन उसकी जल्दी भनक ही लगा पाएगा।
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