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अमर उजाला खास : निगेटिव है रिपोर्ट …फिर भी संक्रमण का फेफड़ों पर हमला

by Sneha Shukla

परीक्षित निर्भय, नई दिल्ली

द्वारा प्रकाशित: दुष्यंत शर्मा
अपडेटेड थू, 15 अप्रैल 2021 04:10 AM IST

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कोरोना संक्रमण को लेकर दिल्ली के डॉक्टर हैरान भी हैं और परेशान भी। जांच रिपोर्ट निगेटिव मिलने के बाद भी चार दिन में मरीज के फेफड़े के वायरस के कब्जे में आ रहे हैं। ऐसे एक या दो नहीं, बल्कि कई केस राजधानी के अलग-अलग अस्पतालों में अब तक सामने आ चुके हैं। इन रोगियों की आरटीपीसीआर जांच में भी अनियमित होने की पुष्टि नहीं हुई है। जब इनका कठोर स्कैन किया गया तो पता चला कि 60 से 70 प्रति फेफड़े के संक्रमण की चपेट में हैं। ऐसी अवस्था को गंभीरता से जोड़कर देखा जाता है।

डॉक्टरों के अनुसार, बुखार, खांसी, सांस फूलने जैसी परेशानी होने के बाद भी मरीज की रिपोर्ट निगेटिव मिल रही है। आरटीपीसीआर जांच को अब तक सबसे बेहतर माना जा रहा है, लेकिन इन मरीजों की पहचान इस जांच में भी नहीं हो पा रही है। लक्षण होने के बाद भी रिपोर्ट निगेटिव आ रही है, लेकिन मरीज की हालत नाजुक बनी हुई है। जब रोगी की पीठ स्कैन जांच कराई जाती है तो वायरस के फैलाव का पता चलता है।

फाइसिस अस्पताल के डॉ। भरत गोपाल का कहना है कि निगेटिव रिपोर्ट मिलने की वजह से कई मरीज निगरानी से बाहर जा सकते हैं। उनके पास आए दिन ऐसे केस मिल भी रहे हैं। किसी-किसी रोगी के गले या नाक में संक्रमण का पता नहीं चल रहा है।

दिल्ली एम्स के डॉ। विवेक बताते हैं कि पिछले सप्ताह शालीमार बाग से 45 वर्षीय एक मरीज को भर्ती किया गया था। मरीज की दो बार आरटीपीसीआर रिपोर्ट निगेटिव आई थी। अस्पताल आने के बाद मरीज के लक्षण को विभाजित -19 से जुड़े थे। इसलिए शनिवार को तीसरे बार टेस्ट कराया गया, लेकिन उसमें भी ट्रांस का पता नहीं चला। बीते सोमवार को स्पिन स्कैन से पता चला कि मरीज के फेफड़े काफी हद तक वायरस की जद में आ चुके थे। यह स्थिति पिछले साल तब दिखाई देती थी जब रोगी के चेतन हुए आठ से 10 दिन हो जाते थे। इससे पता चल रहा है कि वायरस में नए बदलाव न सिर्फ काफी आक्रामक हैं, बल्कि यह चंद दिन में ही मरीज को काफी गंभीर स्थिति में बदल सकता है। इसलिए लोगों को सचेत रहना बहुत जरूरी है।

डबल फेस के बिना सुरक्षा नहीं
एम्स के पूर्व प्रोफेसर डॉ। अनूप मिश्रा का कहना है कि इस वक्त लोगों को पहलू से परहेज नहीं करना चाहिए। हालात इस कदर तक पहुंच चुके हैं कि लोगों को डबल फेस का इस्तेमाल ही करना चाहिए। एक अव्यवस्था और दूसरा किसी कपड़े से बना मुखौटा पहना जा सकता है। अगर किसी के पास कपड़े का चप्पे है तो उसके ऊपर एक सर्जिकल फेस भी जरुर लगाएं। ऐसा करने से संक्रमण की आशंका को 95 फीसदी तक कम किया जा सकता है। सीडीसी की गाइडलाइन में भी एक दम फिट वर्क पहनने के लिए डबल फेस का प्रयोग करने के लिए कहा गया है।

विस्तार

कोरोना संक्रमण को लेकर दिल्ली के डॉक्टर हैरान भी हैं और परेशान भी। जांच रिपोर्ट निगेटिव मिलने के बाद भी चार दिन में मरीज के फेफड़े के वायरस के कब्जे में आ रहे हैं। ऐसे एक या दो नहीं, बल्कि कई केस राजधानी के अलग-अलग अस्पतालों में अब तक सामने आ चुके हैं। इन रोगियों की आरटीपीसीआर जांच में भी अनियमित होने की पुष्टि नहीं हुई है। जब इनका कठोर स्कैन किया गया तो पता चला कि 60 से 70 प्रति फेफड़े के संक्रमण की चपेट में हैं। ऐसी अवस्था को गंभीरता से जोड़कर देखा जाता है।

डॉक्टरों के अनुसार, बुखार, खांसी, सांस फूलने जैसी परेशानी होने के बाद भी मरीज की रिपोर्ट निगेटिव मिल रही है। आरटीपीसीआर जांच को अब तक सबसे बेहतर माना जा रहा है, लेकिन इन मरीजों की पहचान इस जांच में भी नहीं हो पा रही है। लक्षण होने के बाद भी रिपोर्ट निगेटिव आ रही है, लेकिन मरीज की हालत नाजुक बनी हुई है। जब रोगी की संपूर्ण स्कैन जांच कराई जाती है तो वायरस के फैलाव का पता चलता है।

फाइसिस अस्पताल के डॉ। भरत गोपाल का कहना है कि निगेटिव रिपोर्ट मिलने की वजह से कई मरीज निगरानी से बाहर जा सकते हैं। उनके पास आए दिन ऐसे केस मिल भी रहे हैं। किसी-किसी रोगी के गले या नाक में संक्रमण का पता नहीं चल रहा है।

दिल्ली एम्स के डॉ। विवेक बताते हैं कि पिछले सप्ताह शालीमार बाग से 45 वर्षीय एक मरीज को भर्ती किया गया था। मरीज की दो बार आरटीपीसीआर रिपोर्ट निगेटिव आई थी। अस्पताल आने के बाद मरीज के लक्षण को विभाजित -19 से जुड़े थे। इसलिए शनिवार को तीसरे बार टेस्ट कराया गया, लेकिन उसमें भी ट्रांस का पता नहीं चला। बीते सोमवार को स्पिन स्कैन से पता चला कि मरीज के फेफड़े काफी हद तक वायरस की जद में आ चुके थे। यह स्थिति पिछले साल तब दिखाई देती थी जब रोगी के चेतन हुए आठ से 10 दिन हो जाते थे। इससे पता चल रहा है कि वायरस में नए बदलाव न सिर्फ काफी आक्रामक हैं, बल्कि यह चंद दिन में ही मरीज को काफी गंभीर स्थिति में बदल सकता है। इसलिए लोगों को सचेत रहना बहुत जरूरी है।

डबल फेस के बिना सुरक्षा नहीं

एम्स के पूर्व प्रोफेसर डॉ। अनूप मिश्रा का कहना है कि इस वक्त लोगों को पहलू से परहेज नहीं करना चाहिए। हालात इस कदर तक पहुंच चुके हैं कि लोगों को डबल फेस का इस्तेमाल ही करना चाहिए। एक डिस्पोजल और दूसरा किसी कपड़े से बना मुखौटा पहना जा सकता है। अगर किसी के पास कपड़े का चप्पे है तो उसके ऊपर एक सर्जिकल फेस भी जरुर लगाएं। ऐसा करने से संक्रमण की आशंका को 95 फीसदी तक कम किया जा सकता है। सीडीसी की गाइडलाइन में भी एक दम फिट फेस पहनने के लिए डबल फेस का प्रयोग करने के लिए कहा गया है।

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