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अर्थव्यवस्था पर कोरोना का असर कम करने की कवायद, पूंजीगत खर्चों में आएगी तेजी 

अर्थव्यवस्था पर कोरोना का असर कम करने की कवायद, पूंजीगत खर्चों में आएगी तेजी 

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> अर्थव्यवस्था पर कोरोना का असर कम करने की कवायद, पूंजीगत खर्चों में आएगी तेजी मसरकर ने कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए निवेश बढ़ाने और मांग की रफ्तार तेज करने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। सरकार ने पूंजीगत खर्चों को बढ़ाने के साथ जुड़े नियमों में छूट देना शुरू कर दिया है। चूंकि पूंजीगत खर्चों से व्यापारिक आंदोलनों में बढ़ती है और खरीद-फरोख्त की रफ्तार तेज होती है इसलिए सरकार का इस मोर्चे पर पूरा ध्यान है। पूंजीगत खर्चों के तहत मंत्रालयों की ओर से संपीड़न अधिकारियों, उपकरण और एडवांस टेक्नोलॉजीज की खरीदारी होती है। आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसके लिए अलग से एक बजट निर्धारित किया जाता है।

पूंजीगत खर्चों के मामले में छूट की इजाजत और nbsp;

सरकारी सूत्रों के मुताबिक सरकार ने सभी मंत्रालयों से कहा है कि उसने मंत्रालय के मासिक और तिमाही खर्चों को लेकर कैश प्रबंधन से जुड़ी जो नियंत्रण लगाए थे वे पूंजीगत खर्चों के मामले में अगले आदेश तक लागू नहीं होंगे। मंत्रालय अपनी जरूरत के हिसाब से पूंजीगत खर्च कर सकता है। हालांकि बजट में उनके लिए जितना खर्च निर्धारित किया गया है, वे उतना ही खर्च कर सकते हैं। मंत्रालयों को अपनी शर्तों के हिसाब से मासिक और & quot; तिमाही बजट के फिक्स्ड भाग ही खर्च करने की अनुमति होगी।

="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> मांग पैदा करें & nbsp; सरकार को सबसे बड़ी चिंता & nbsp;

दरअसल सरकार की सबसे बड़ी चिंता मांग पैदा करना है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से आर्थिक गतिविधियों पर अंक पड़ी है। इससे निपटने और सेवा क्षेत्र के दोनों की चालें धीमी हुई हैं। यही कारण है कि सरकार इसमें तेजी से लाना चाहती है। पूंजीगत खर्चों को अगर खर्च किया जाए तो ऐसा हो सकता है। कोरोना के पिछले संक्रमण के दौर में भी यही स्थिति आई थी। इससे अर्थव्यवस्था में आई गिरावट से देश अभी उबरा नहीं है लेकिन सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह & nbsp; बार कुछ बड़े कदम & nbsp; उठाए जा सकते हैं।

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