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अवाम से बेहतर रिश्तों की कवायद : सेना के वाहनों पर दिखेगा कश्मीरी संस्कृति का रंग

by Sneha Shukla

अमर उजाला नेटवर्क, श्रीनगर

द्वारा प्रकाशित: दुष्यंत शर्मा
Updated Sat, 17 Apr 2021 12:33 AM IST

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जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद यहां पर शांति लाने के लिए लगातार जमीनी स्तर पर काम किया जा रहा है। स्थानीय लोगों के बीच दोस्ताना संबंध बनाने की कवायद के तहत सेना के वाहनों पर अब कश्मीर की संस्कृति का रंग नजर आएगा। इन वाहनों पर घाटी के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के चित्रों के साथ अवाम को सलाम भी लिखा गया है। इतना ही नहीं लोगों के मन से डर दूर करने के लिए सैन्य काफिलों के वाहनों पर लगने वाले लाल झंडे को भी नीला रंग के झंडे में तब्दील कर दिया गया है।

एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि कश्मीर की जनता को ज्यादा से ज्यादा दोस्ताना माहौल का आभास दिलाने के लिए भारतीय सेना के काफिले के वाहनों में लगे लाल झंड़े को इसलिए नीले रंग में बदला गया है। गाड़ियों के ऑलिव ग्रीन रंग में भी थोड़ा बदलाव लाया गया है। अब वाहनों पर तसवीरें लगाई गई है जिससे कश्मीर की संस्कृति, यहां के त्योहारों, पर्यटन स्थलों, संगीत के साजों आदि को दर्शाया गया है ताकि अवाम सेना के साथ ज्यादा जुड़ाव महसूस करे। कुछ गाड़ियों पर चित्रों के साथ कुछ स्लोगन भी लिखे गए हैं जैसे, कश्मीर को सलाम, कश्मीरी अवाम कोम आदि।

क्षेत्र में दीवारों पर दिखेगी स्थानीय हूर की तस्वीरें
उन्होंने बताया कि इतना ही नहीं मिलिट्री कैंटोनमेंट की लुक्स (सेटिंग) को भी बदला जा रहा है ताकि जब भी आवाम वहां से गुजरे तो उन्हें अपनापन महसूस हो और वे लगे कि सेना उनकी हिमायती है। पहले दीवारों के रंग लाल या किसी रंग के थे उन्हें भी बदला जा रहा है। अधिकारी ने एक दीवार का उदाहरण देते हुए कहा कि इस दीवार पर ऐसे सभी लोगों की तसवीरें होंगी जो कश्मीर का नाम रोशन करते हुए उपलब्धियां हासिल की हों जैसे बांदीपोरा की किक बॉक्सिंग चैंपियन तजामुल इस्लाम। अवाम को इससे एक तो्री महसूस होगी दूसरी वह अपनी आपको सेना के साथ जुड़ाव भी महसूस करेगी।

जवानों को विनम्रता से पेश आने वाले निर्देश
गौरतलब है कि इसके अलावा सेना के जवानों को कहा गया है कि वह आम लोगों के साथ विनम्रता से पेश आए। और भी कई ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं जिससे लोगों को यह महसूस हो कि यह सेना की अपनी सेना है। बता दें कि इससे पहले भी भारतीय सेना ने कश्मीर के ग्रामीण इलाकों में डे विथ कंपनीैंडर, हमसाया है हम जैसे कई कार्यक्रम चले गए हैं जिससे युवा और अवाम के बीच की दूरी कम हो सकती है। हालांकि इसके साथ ही सेना की एक स्पष्ट रणनीति है कि कश्मीर को आतंकवाद से मुक्त करना और जो देश के खिलाफ हथियारों को उठाएगा उसे मौत ही मिलेगी।

विस्तार

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद यहां पर शांति लाने के लिए लगातार जमीनी स्तर पर काम किया जा रहा है। स्थानीय लोगों के बीच दोस्ताना संबंध बनाने की कवायद के तहत सेना के वाहनों पर अब कश्मीर की संस्कृति का रंग नजर आएगा। इन वाहनों पर घाटी के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के चित्रों के साथ अवाम को सलाम भी लिखा गया है। इतना ही नहीं लोगों के मन से डर दूर करने के लिए सैन्य काफिलों के वाहनों पर लगने वाले लाल झंडे को भी नीला रंग के झंडे में तब्दील कर दिया गया है।

एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि कश्मीर की जनता को ज्यादा से ज्यादा दोस्ताना माहौल का आभास दिलाने के लिए भारतीय सेना के काफिले के वाहनों में लगे लाल झंड़े को इसलिए नीले रंग में बदला गया है। गाड़ियों के ऑलिव ग्रीन रंग में भी थोड़ा बदलाव लाया गया है। अब वाहनों पर तसवीरें लगाई गई है जिससे कश्मीर की संस्कृति, यहां के त्योहारों, पर्यटन स्थलों, संगीत के साजों आदि को दर्शाया गया है ताकि अवाम सेना के साथ ज्यादा जुड़ाव महसूस करे। कुछ गाड़ियों पर चित्रों के साथ कुछ स्लोगन भी लिखे गए हैं जैसे, कश्मीर को सलाम, कश्मीरी अवाम कोम आदि।

क्षेत्र में दीवारों पर दिखेगी स्थानीय हूर की तस्वीरें

उन्होंने बताया कि इतना ही नहीं मिलिट्री कैंटोनमेंट की लुक्स (सेटिंग) को भी बदला जा रहा है ताकि जब भी आवाम वहां से गुजरे तो उन्हें अपनापन महसूस हो और वे लगे कि सेना उनकी हिमायती है। पहले दीवारों के रंग लाल या किसी रंग के थे उन्हें भी बदला जा रहा है। अधिकारी ने एक दीवार का उदाहरण देते हुए कहा कि इस दीवार पर ऐसे सभी लोगों की तसवीरें होंगी जो कश्मीर का नाम रोशन करते हुए उपलब्धियां हासिल की हों जैसे बांदीपोरा की किक बॉक्सिंग चैंपियन तजामुल इस्लाम। अवाम को इससे एक तो्री महसूस होगी दूसरी वह अपनी आपको सेना के साथ जुड़ाव भी महसूस करेगी।

जवानों को विनम्रता से पेश आने वाले निर्देश

गौरतलब है कि इसके अलावा सेना के जवानों को कहा गया है कि वह आम लोगों के साथ विनम्रता से पेश आए। और भी कई ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं जिससे लोगों को यह महसूस हो कि यह सेना की अपनी सेना है। बता दें कि इससे पहले भी भारतीय सेना ने कश्मीर के ग्रामीण इलाकों में डे विथ कंपनीैंडर, हमसाया है हम जैसे कई कार्यक्रम चले गए हैं जिससे युवा और अवाम के बीच की दूरी कम हो सकती है। हालांकि इसके साथ ही सेना की एक स्पष्ट रणनीति है कि कश्मीर को आतंकवाद से मुक्त करना और जो देश के खिलाफ हथियारों को उठाएगा उसे मौत ही मिलेगी।

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