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सेना सूत्रों के मुताबिक पेगौंग से दोनों सेना आमने सामने की स्थिति में तो नहीं है लेकिन एक दूसरे की फायरिंग रेंज में अभी भी है। तापमान बढ़ने और बर्फ पिघलने के बाद कई संवेदनशील स्थानों पर दोनों सेनाएं ऐसी स्थिति में होंगी जहां मामला तनावपूर्ण हो सकता है। आज की बातचीत में गर्मी में दोनों सेनाओं के आपसी तालमेल पर भी महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि इस बातचीत में दोनों सेनाओं के अप्रैल 2020 की स्थिति में वापस लौटने के मुद्दे पर सकारात्मक परिणामजे निकलने की उम्मीद है। उधर, इस उद्देश्य के लिए वर्किंग मैकेनेजिम फॉर कनसल्टेशन और कोऑर्डिनेशन (डब्लूएमसीसी) और विशेष प्रतिनिधित्व स्तर पर भी विचारों का सहभागिता-प्रदान हो रहा है।
पूर्वी लद्दाख में पुरानी स्थिति बहाल करने के भारतीय प्रस्ताव पर वार्ता को तैयार चीन
वहीं, चीन ने बृहस्पतिवार को कहा कि दोनों देशों के बीच अगली बैठक में पूर्वी लद्दाख में अप्रैल, 2020 से पहले की स्थिति बहाल करने के भारतीय प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी। पड़ोसी देश का यह सकारात्मक रुख 11 वें दौर की कोरंदररियर वार्ता से पहले सामने आया है। हालांकि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने बीजिंग में अभी तक इस वार्ता की तारीख तय नहीं होने की बात कही, लेकिन नई दिल्ली में भारतीय सैन्य सूत्रों ने कोरंदर के स्तर की बातचीत का 11 वां दौर शुक्रवार को पूर्वी लद्दाख के चुशूल में शुरू होने की बात कही। पुष्टि है।
भारत-चीन बॉर्डर: चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में शांति को सराहा, बाकी जगह से सेना हटाने पर सादी झींकी
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मीडिया से कहा कि 11 वें दौर की वार्ता को लेकर भारत और चीन में बातचीत चल रही है। जहां तक आगामी वार्ता के लिए किसी विशेष तिथि के तय होने की बात है तो इसकी मुझे जानकारी नहीं है। लेकिन भारतीय सैन्य सूत्रों ने बताया कि चुशूल में वार्ता सुबह 10.30 बजे शुरू होगी और इसके एजेंडे में गोगरा व हॉट स्प्रिंग से दोनों सेनाओं के पीछे हटने और डेपसांग के पठारी मैदान से जुड़े जटिल विवाद पर सहमति बनाने को शामिल किया गया है। साथ ही दोनों पक्ष वार्ता के दौरान पेंगोंग झील से पीछे हटने के बाद की प्रक्रिया के मसल्स पर भी अपनी बात रखेंगे। सूत्रों ने बताया कि इस बातचीत में दोनों सेनाओं के अप्रैल, 2020 से पूर्व की स्थिति में वापस लौटने के मुद्दे पर भी सकारात्मक परिणामजे निकलने की उम्मीद है। इस उद्देश्य के लिए वर्किंग मैकेनेजिम फॉर कनसल्टेशन और कोऑर्डिनेशन (डब्लूएमसीसी) और विशेष प्रतिनिधित्व स्तर पर भी विचारों का इंटरैक्शन प्रदान किया जा रहा है।
इससे पहले 20 फरवरी को पेंगोंग क्षेत्र से सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कोरेंडरर स्तर की 10 वें दौर की बातचीत हुई थी। उस वार्ता में भी इन मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई थी। दोनों देशों के बीच सैन्य विवाद को लेकर हाल ही में हुए राजनयिक स्तर की वार्ता में भी इन मुद्दों पर बात की गई थी।
आपसी वातावरण को बाधित करने से बचाने के लिए दोनों सेनाएं सतर्क हैं
भारत और चीन की सेना इस बात को लेकर काफी सतर्क है कि किसी भी नाजुक मसले पर आपसी माहौल नहीं बिगड़ना चाहिए। सेना सूत्रों के मुताबिक पेंगोंग झील के इलाके में अब दोनों सेनाएं आमने-सामने टकराव की स्थिति में नहीं होने के बावजूद एक-दूसरे की फायरिंग रेंज में मौजूद हैं। तापमान बढ़ने और बर्फ पिघलने के बाद कई संवेदनशील स्थानों पर दोनों सेनाएं ऐसी स्थिति में होंगी, जहां मामला तनावपूर्ण हो सकता है। ऐसे में 11 वें दौर की बातचीत के दौरान गर्मी में दोनों सेनाओं के आपसी तालमेल पर भी महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं।
बातचीत के अगले दौर में नहीं हो रही है देरी: चीन
बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि भारत के साथ पूर्वी लद्दाख में आपसी टकराव वाले अन्य क्षेत्रों से सेना पीछे हटाने के मुद्दे पर बातचीत करने में किसी तरह की देरी नहीं की जा रही है। उन्होंने सेनाओं के पीछे हटने की शुरुआत को दो महीने होने और 10 वें दौर की वार्ता को एक महीने बीतने की ओर ध्यान दिलाया जाने पर यह बात कही। प्रवक्ता ने कहा, बैठक में जैसा आप कह रहे हैं, ऐसी कोई देरी नहीं है। मैं जोर देकर कहना चाहता हूं कि भारत-चीन सीमा पर हालात स्पष्ट हैं और चीनी पक्ष की ओर से कोई भी जिम्मेदारी शेष नहीं है। हमें आशा है कि भारतीय पक्ष दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच बने आम सहमति के पालन पर चीन के साथ मिलकर काम करेगा। यह सहमति सीमा पर तनाव को खत्म करने से संबंधित सहमति और अर्थियों को पूरा करने से जुड़ी है।
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