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बची सिंह रावत

उत्तराखंड: कोरोना संक्रमित भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री बची सिंह रावत का निधन

by Sneha Shukla

रिपोर्टर डेस्क, अमर उजाला, ऋषिकेश

द्वारा प्रकाशित: अलका त्यागी
Updated Sun, 18 Apr 2021 11:51 PM IST

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कोरोनाटेबल पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री और उत्तराखंड भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बची सिंह रावत का आज रविवार को निधन हो गया। शनिवार रात को उन्हें फेफड़ों में संक्रमण होने के कारण हल्द्वानी से क्षुद्र ग्रह द्वारा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था। एम्स के स्टाफ ऑफिसर डॉ। मधुर उनियाल ने बताया कि रविवार रात उनकी हालत अचानक और बिगड़ गई। रात लगभग 8:45 बजे उनका निधन हो गया। शनिवार को जब उन्हें लाया गया था तो उनकी को -19 रिपोर्ट निगेटिव थी। लेकिन एम्स में उनकी दोबारा कोरोना की जांच की गई, जिसमें वे पाए गए थे। उनके निधन की खबर सुनते ही प्रदेश भाजपा में शोक की लहर दौड़ गई।

बची सिंह रावत के निधन पर सीएम तीरथ सिंह रावत ने भी शोक जताया। वहीं, नैनीताल और उधमसिंह नगर संसदीय क्षेत्र के सांसद अजय भट्ट ने बचडा के निधन पर गहरा दुख जताते हुए इसे राज्य के लिए एक बड़ी क्षति बताया। उन्होंने कहा कि बची सिंह ने कई दशकों तक उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई है। हमने उनके बहुत कुछ सीखा है। उन्होंने कहा कि इस दुख की घड़ी में भाजपा उनके परिवार के साथ खड़ी है। उत्तराखंड की राजनीति में बचड़ा हमेशा याद किया जाएगा।

वहीं, गणना मंत्री गणेश जोशी ने भी बची सिंह रावत के निधन पर शोक जताते हुए संवेदना व्यक्त की।

बची दा 1982 में पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य चुने गए और 1993 में फिर से विधायक का चुनाव लड़ा और जीत कर आए। अगस्त 1992 में 4 महीने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार में राजस्व मंत्री बनाए गए। 1996 में लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने और राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा।

1996 से 1997 तक संसद की कई कमेटी के सदस्य रहे। 1998 में दोबारा लोकसभा चुनाव कराए गए। 1998 से 99 तक फिर से महत्वपूर्ण कमियों जैसे सूचना प्रसारण मंत्रालय के सलाहकार रहे। 1999 में दोबारा लोकसभा चुनाव हुए और तीसरे बार रिकॉर्ड मार्जिन से सांसद चयनकर आए।

1999 में पहली बार केंद्र सरकार में रक्षा राज्य मंत्री का पद संभाला और फिर 1999 से 2004 तक निरंतर विज्ञान और तकनीकी केंद्रीय राज्य मंत्री रहे। 2004 से 2006 में फिर से लोकसभा सांसद बने, लेकिन इस बार विपक्ष में बैठना पड़ा। 2007 में उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने। उनके नेतृत्व में पार्टी ने विस चुनाव जीता। 2009 तक इस पद पर बने रहे।

विशेष बातें:
– उत्तर प्रदेश से दो बार विधायक रहे, लेकिन उत्तराखंड विधानसभा चुनाव कभी नहीं लड़ा गया।
– उत्तराखंड से एक ही सीट से लगातार चार बार सांसद बनने का रिकॉर्ड बची दा के नाम है।
– 2012 उत्तराखंड चुनाव में भाजपा प्लानिंग कमेटी के चेयरमैन रहे और मेनिफेस्टो बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
– 15 वें लोकसभा चुनाव में नैनीताल को सीट बनाना पड़ा, क्योंकि अल्मोड़ा सीट आरक्षित हो गई थी
और 2014 में पार्टी से नाराज होकर सभी पदों से इस्तीफा भी दे दिया था। लेकिन बाद में भारतीय जनता पार्टी में वापस आये और वर्तमान में राज्य में संगठन स्तर पर कार्यरत थे।
– बची दा बेहद सौम्या और सरल व्यक्ति के तौर पर जाने जाते थे।

विस्तार

कोरोनाटेबल पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री और उत्तराखंड भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बची सिंह रावत का आज रविवार को निधन हो गया। शनिवार रात को उन्हें फेफड़े में संक्रमण होने के कारण हल्द्वानी से हेलीकॉप्टर द्वारा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था। एम्स के स्टाफ ऑफिसर डॉ। मधुर उनियाल ने बताया कि रविवार रात उनकी हालत अचानक और बिगड़ गई। रात लगभग 8:45 बजे उनका निधन हो गया। शनिवार को जब उन्हें लाया गया था तो उनकी को -19 रिपोर्ट निगेटिव थी। लेकिन एम्स में उनकी दोबारा कोरोना की जांच की गई, जिसमें वे पाए गए थे। उनके निधन की खबर सुनते ही प्रदेश भाजपा में शोक की लहर दौड़ गई।

बची सिंह रावत के निधन पर सीएम तीरथ सिंह रावत ने भी शोक जताया। वहीं, नैनीताल और उधमसिंह नगर संसदीय क्षेत्र के सांसद अजय भट्ट ने बचडा के निधन पर गहरा दुख जताते हुए इसे राज्य के लिए एक बड़ी क्षति बताया। उन्होंने कहा कि बची सिंह ने कई दशकों तक उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई है। हमने उनके बहुत कुछ सीखा है। उन्होंने कहा कि इस दुख की घड़ी में भाजपा उनके परिवार के साथ खड़ी है। उत्तराखंड की राजनीति में बचड़ा हमेशा याद किया जाएगा।

वहीं, गणना मंत्री गणेश जोशी ने भी बची सिंह रावत के निधन पर शोक जताते हुए संवेदना व्यक्त की।


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बची दा का राजनीतिक जीवन

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