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ऑक्सीजन संकट को लेकर फिर बिहार सरकार पर सख्त हुआ हाई कोर्ट, पूछा- आखिर सिलेंडर कहां गया?

by Sneha Shukla

बिहार सरकार ने कोरोना महामारी के दौर में सबसे बड़े अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज (पीएमसीएच) में जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन की आपूर्ति दिखाई है। हालांकि सरकार के इन दावों की शुक्रवार को पटना हाईकोर्ट में पोल ​​खुल गई और कोर्ट ने पूछा कि आखिरकार ऑक्सीजन सिलेंडर कहां गए। कोर्ट ने सरकार की तरफ से दाखिल रिपोर्ट की सत्यता पर भी सवाल उठाया। जिसका वो जवाब नहीं दे पाया।

होम आइसोलेशन में रह रहे गंभीर रोगियों को जरूरत पड़ने पर ऑक्सीजन सिलेंडर कैसे पहुंचाया जाएगा। पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस संबंध में सोमवार तक जवाब दाखिल करने को कहा है। साथ ही खंडपीठ ने मुख्य सचिव से यह भी पूछा कि सूबे में 18 से 45 साल के लोगों को कब से को विभाजित काoc लगना शुरू होगा।

शुक्रवार को न्यायमूर्ति शिवाजी पांडेय के कार्यकाल का अंतिम कार्यदिवस होने के कारण मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल के अनुरोध पर सभी आदेश न्यायमूर्ति शिवाजी पांडेय ने दिए हैं। न्यायमूर्ति पांडेय ने अपने कार्यकाल के अंतिम केस के रूप में सुनवाई की। मामलों पर अगली सुनवाई सोमवार को सुबह साढ़े दस बजे होगी।

मुख्य न्यायाधीश की शीर्ष वाली खंडपीठ ने कोविद के उपचार में ऑक्सीजन की दिक्कतों पर राज्य के मुख्य सचिव की ओर से दाखिल हलफनामे पर विचार किया। मामले पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति शिवाजी पांडे ने राज्य सरकार से कई सवाल किए। कोर्ट ने पूछा है कि राज्य में ऑक्सीजन की कमी क्यों है। कोर्ट ने सरकार से जानना चाहा कि जो लोग घर पर रहकर अपना इलाज करा रहे हैं, उन्हें ऑक्सीजन की कमी होने पर राज्य सरकार किस तरह से ऑक्सीजन उपलब्ध करा रही है?

परीक्षण के दौरान राज्य के मुख्य सचिव की ओर से दायर हलफनामा में कहा गया कि सूबे में किसके से अलग मरीजों की संख्या बढ़ रही है कि राज्य को प्रत्येक दिन 300 टन टन ऑक्सीजन की जरूरत है। इस पर कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र से निर्धारित कोटा का सौ प्रति रोजाना उठाव तक नहीं कर पा रही है और अब 300 एमटी ऑक्सीजन कोटा बढ़ाने की बात कर रही है।

वहीं, केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार राज्य सरकार को 7 ऑक्सीजन टैंकर जल्द ही उपलब्ध कराएगी। उनका कहना था कि दो टेंकर दो दिनों के भीतर पहुंच जाएंगे। सात टैंकर मिलने के बाद राज्य सरकार रोजाना 300 एमटी ऑक्सीजन का उठाव कर संभवगी।

ऑक्सीजन पर सच्चाई कुछ और
साथ ही सरकार से जानना चाहा कि एक ओर ऑक्सीजन की उपलब्धता की कमी बतायी जा रही है और दूसरी ओर पीएमसीएच में जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई। अंत में ऑक्सीजन सिलेंडर कहां गया। इस बात पर राज्य सरकार के प्रतिनिधियों ने कोर्ट मित्र की ओर से दाखिल रिपोर्ट की सत्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सही नहीं है।

कोर्ट के कड़े रुख और सवाल पूछे जाने पर चुप्पी साध ली गई। न्यायमूर्ति शिवाजी पांडे ने कहा कि शपथपत्र में यह बताने की कोशिश है कि सरकार ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए लगातार आवश्यक कदम उठा रही है और अस्पतालों में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित कर रही है, लेकिन सच्चाई कुछ और है।

विशेषज्ञ कमेटी का गठन क्यों नहीं
कोर्ट ने कोविड ड्रग्स की कालाबाजारी का भी मुद्दा उठाया। वहीं सीनियर वकील एसडी संजय ने कोर्ट के पूर्व के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार की ओर से कोरोना से लड़ने के लिए एक उच्चस्तरीय विशेषज्ञों की कमेटी पटना एम्स के निदेशक के नेतृत्व में गठन करने की बात कही गई थी। का गठन नहीं हो गया है।

इस मुख्य न्यायाधीश ने महाधिवक्ता से जानना चाहा कि विशेषज्ञों की कमेटी क्यों नहीं गठित की गई। कोर्ट ने सोमवार तक विशेषज्ञों की कमेटी गठित करने की बात कही। एसडी संजय ने कोर्ट को यह भी बताया कि कोरोना जांच के लिए प्राथमिक लेबोरेटरी अधिक पैसे वसूल रहे हैं। उनका कहना था कि जिस प्रकार की राज्य सरकार ने एर्न्स सेवा और प्राथमिक अस्पतालों के लिए दर तय की है। उसी प्रकार को विभाजित जांच के लिए भी किया जाना चाहिए।

बायो मेडिकल वेस्ट का पीछा कैसे हो रहा है
खंडपीठ ने अस्पतालों और अपने घरों में बने इलाज करते रहे लोगों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट का निकास किस तरीकेक़े से किया जा रहा है।]उस बारे में पूरी जानकारी पेश करने का निर्देश पटना नगर निगम को दिया गया ताकि बीमारी को फैलने से रोका जा सके। मामले पर अगली सुनवाई की तारीख सोमवार को तय की गई।

सिलेंडर अस्पताल को देने पर विचार
पटना एम्स के वकील विनय कुमार पांडेय ने कालाबाजारी करने वालों से बचाई गई ऑक्सीजन सिलेंडरों को पुलिस से वापस संबंधित जिले के सिविल सर्जन या को विभाजित अस्पताल के हवाले करने की गुहार कोर्ट से लगाई। उनका कहना था कि पुलिस के दबाव में छुड़ाने के लिए निचली अदालतों से आदेश लिया जाता है।

मौजूदा समय में निचली अदालत बंद है। ऐसे में काफी समय लगेगा। राज्य में ऑक्सीजन की जरूरत है। कोर्ट ने इस बारे में भी राज्य सरकार को बचते हुए ऑक्सीजन सिलेंडरों को पुलिस से वापस लेने का कोई कानूनी गाइडलाइन अगर सरकार के पास है तो उसे सोमवार तक कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया गया। इसलिए न्यायालय आवश्यक निर्देश जारी कर सकेगा।

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