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दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की पीठ ने एपिसोड नाराजगी जताते हुए केंद्र सरकार को कहा, सुप्रीम कोर्ट पहले ही निर्देश दे चुका है और अब हाईकोर्ट भी कह रहा है कि चाहे जैसे भी हो, केंद्र की ओर से दिल्ली को 700। दस टन ऑक्सीजन रोजाना आपूर्ति करानी होगी।
पीठ ने कहा, आप दिल्ली का हिस्सा हैं और खुद हालात को देखते हुए हैं। तुम क्या नहीं जानते? क्या आप ‘आइवरी टॉवर’ में रहते हैं? पीठ ने केंद्र की उस दलील को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि मौजूदा चिकित्सा ढांचे में दिल्ली 700 मिलियन टन ऑक्सीजन की कीमत नहीं है। पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल के अपने विस्तृत आदेश में दिल्ली को प्रतिदिन 700 मिलियन टन ऑक्सीजन देने का निर्देश दिया था और उस पर कोई प्रतिबंध नहीं था। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने हालांकि कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा निर्देश नहीं दिया था। शर्मा सुप्रीम कोर्ट के 30 अप्रैल के आदेश पर बुधवार को अपना हलफनामा करेंगे।
बस अब बहुत हो गया है …
कोर्ट ने पांच घंटे की सुनवाई में केंद्र सरकार से कहा, हमने आपसे कहा था कि अवमानना हमारे दिमाग में अंतिम विकल्प है, निश्चित रूप से हमारे दिमाग में, लेकिन हम उसे अंतिम बिंदु तक नहीं ले जा सकते हैं। हम चाहते हैं कि अब काम करें। नाराज पीठ ने कहा कि अब बहुत हो गया है। अब साफ साफ बात करो। हम आपके जवाब में ना नहीं सुनना चाहते। हम अपने आदेश के अनुपालन के अलावा और कुछ नहीं सुनना चाहते हैं। आपको 700 टन टन की आपूर्ति देनी ही होगी।
दिल्ली सरकार ने पहले कम ऑक्सीजन की मांग की, क्या सिर्फ इसलिए इस शहर के लोगों को कष्ट में रहने दें। केंद्र संशोधित जरूरतों को नजरअंदाज करता रहा और लोगों को मरने के लिए छोड़ दे। ऐसा नहीं हो सकता। – हाईकोर्ट
मोहल्ला ब्रांड पर सवाल …
दिल्ली हाईकोर्ट ने मोहल्ले के उत्पादों पर भी महत्वपूर्ण सवाल उठाया है। कोरोना महामारी से लड़ने के लिए प्रोटोकॉल के इस्तेमाल के लिए पर्याप्त नहीं होने की दिल्ली सरकार की दलील पर अदालत ने सवाल उठाया है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि अगर आपने मूलभूत ढांचा बनाया है और हम इसका इस्तेमाल महामारी में नहीं कर सकते तो फिर इसका क्या मतलब है। पीठ ने कहा कि कोरोना एक समृद्ध समाज का प्रतीक नहीं है और ये मोहल्ला क्लीनिक जाने वाले को भी हो सकता है। अदालत ने दिल्ली सरकार को इस पर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।
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