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कोरोना: अब कहीं टीकों की न हो जाए किल्लत, स्टाॅक में 6.70 करोड़ वैक्सीन, एक मई से बड़ा अभियान

by Sneha Shukla

शशिधर पाठक, अमर उजाला, नई दिल्ली

द्वारा प्रकाशित: सुरेंद्र जोशी
अपडेटेड ट्यू, 27 अप्रैल 2021 12:29 AM IST

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केंद्र और राज्य सरकारें को विभाजितेक लगवाने के नारे को मजबूती देने में लगी हैं, लेकिन दोनों टीकों-कोविक्सीन व कोवीशील्ड के केवल 6.70 करोड़ डोज ही स्टॉक में हैं। ऐसे में रेमडेसिवीर इंजेक्शन, ऑक्सीजन और अन्य दवाओं के बाद अब कोरोना रोधी टीकों की किल्लत की हो जाएगी।

टास्कफोर्स प्रमुख ने माना कि पर्याप्त नहीं है स्टैक
कोविद टास्कफोर्स आईसीएमआर के अध्यक्ष डाॅ। नरेंद्र कुमार अरोड़ा खुद को लाभांश पॉजिटिव हो गए थे। अमर उजाला से विशेष बातचीत में बताया कि हम 1 मई से 18 साल से ऊपर वाले कोक लगाने जा रहे हैं। हालांकि टीका की उपलब्धता को लेकर डाॅ। अरोड़ा ने स्वीकार किया कि अभी यह पर्याप्त संख्या में नहीं है।

40.50 लाख लोग रोजाना लगवाने लगे तो क्या होगा?
अभी तक और जैसे संख्या में लोगों को टीका लग रहा है, वह संख्या बनी रही है तो मई में काम चल जाएगा। डाका। अरोरा का कहना है कि किचन से जैसे रोटियां कर आती रहती है और लोग खाते रहते हैं, उसी तरह से केक की नई डोज तैयार के साथ आती रहती हैं और 28.30 लाख लोगों को रोजाना लगता है, लेकिन अगर 40.50 लाख लोग हर रोज खाना पकाने जाते हैं के लिए आने लगे तो कुछ दिन में ही कोविड का टीका खत्म हो जाएगा।

डाका। अरोड़ा के मुताबिक इस बार केवल छह करोड़ 70 लाख लोगों को लगाने के लिए हीेक है। देश में 68 हजार टीकाकरण केंद्र हैं। 1 मई तक यह संख्या 70 हजार तक होगी। आज 26 अप्रैल को कुल 28 लाख लोगों को टीका लगाया गया।

डाका। अरोड़ा ने बताया कि जून से पहले उत्पादन की क्षमता बढ़ने के कोई संकेत नहीं है। इसी तरह से रेड्डी प्रयोगशालाओं ने स्पूतनिक वी का आ आदेश दे दिया है, लेकिन वह भी मई के दूसरे-तीसरे सप्ताह के बाद ही आ पाएगी। विदेश वैक्सीन मिल पाने की संभावना भी कम ही है। ऐसे में यदि टीका लगवाने वालों की संख्या बढ़ी तो समस्या होगी। बताते हैं कि अग सेके का उत्पादन करने वाले भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट दोनों की क्षमता 10.12 करोड़ डोज हर महीने तैयार करने की हो जाएगी।

अमेरिका से टीका तैयार करने के लिए आने वाले कच्चे माल की रुकावट दूर हो गई है। डाका। अरोड़ा ने बताया कि इसमें थोड़ा रुकावट आ रही थी, लेकिन वर्तमान में ऐसा कुछ नहीं है। आगे कोई और समस्या नहीं आई। डाका। अरोड़ा ने कहा कि समस्या कच्चे माल की उतनी बड़ी नहीं थी। जो की समस्या आऊटपुट की थी। मेरे विचार में अब आगे इस तरह का गतिरोध नहीं आना चाहिए। टीका निर्माता कंपनियां अपने आऊटपुट पर विशेष ध्यान दे रही हैं।

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केंद्र और राज्य सरकारें को विभाजितेक लगवाने के नारे को दृढ़ता देने में लगी हैं, लेकिन दोनों टीकों-कोविक्सीन व कोवीशील्ड के केवल 6.70 करोड़ डोज ही स्टॉक में हैं। ऐसे में रेमडेसिवीर इंजेक्शन, ऑक्सीजन और अन्य दवाओं के बाद अब कोरोना रोधी टीकों की किल्लत की हो जाएगी।

टास्कफोर्स प्रमुख ने माना कि पर्याप्त नहीं है स्टैक

कोविद टास्कफोर्स आईसीएमआर के अध्यक्ष डाॅ। नरेंद्र कुमार अरोड़ा खुद को लाभांश पॉजिटिव हो गए थे। अमर उजाला से विशेष बातचीत में बताया कि हम 1 मई से 18 साल से ऊपर वाले कोक लगाने जा रहे हैं। हालांकि टीका की उपलब्धता को लेकर डाॅ। अरोड़ा ने स्वीकार किया कि अभी यह पर्याप्त संख्या में नहीं है।

40.50 लाख लोग रोजाना लगवाने लगे तो क्या होगा?

अभी तक और जैसे संख्या में लोगों को टीका लग रहा है, वह संख्या बनी रही है तो मई में काम चल जाएगा। डाका। अरोरा का कहना है कि किचन से जैसे रोटियां कर आती रहती है और लोग खाते रहते हैं, उसी तरह से केक की नई डोज तैयार के साथ आती रहती हैं और 28.30 लाख लोगों को रोजाना लगता है, लेकिन अगर 40.50 लाख लोग हर रोज खाना खाने जाते हैं के लिए आने लगे तो कुछ दिन में ही कोविड का टीका खत्म हो जाएगा।

डाका। अरोड़ा के मुताबिक इस बार केवल छह करोड़ 70 लाख लोगों को लगाने के लिए हीेक है। देश में 68 हजार टीकाकरण केंद्र हैं। 1 मई तक यह संख्या 70 हजार तक होगी। आज 26 अप्रैल को कुल 28 लाख लोगों को टीका लगाया गया।


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जून के पहले उत्पादन बढ़ने की संभावना नहीं

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