कोरोना संक्रमण का असर भारत की रेटिंग पर तो पड़ा ही है, अब निवेश के लिहाज से इसकी रेटिंग पर डाउनग्रेडिंग की तलवार लटक रही है। फाइनेंशियल सर्विसेज देने वाली कंपनी यूबीएस का कहना है कि भारत जल्द ही जंक इंडिया में जेन और अर्जेंटीना के बाद तीसरे बड़े कर्जदार देश बन जाएगा। भारत अगर अपने कर्ज को स्थिर करना चाहता है या यह घटाना चाहता है तो इसे दस प्रति की दर से ग्रोथ करना होगा। मुश्किल लग रहा है। पिछले वर्ष जब कोरोना संक्रमण की वजह से देश भर में पूरा लॉकडाउन लगाया गया था, तो भारत की आर्थिक विकास दर 24 प्रतिशत घट गई थी। यूबीएस का कहना है कि भारत के इनवेस्टमेंट की ग्रेडिंग हो सकता है।
ऋण देने की गति से समाप्त होने वाला है
यूबीएस के हेड ऑफ इर्मिंग्स मार्केट स्ट्रेटजी मानिक नारायण ने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए सवाल यह नहीं है कि इनवेस्टमेंट डाउनग्रेडिंग होगी या नहीं बल्कि सवाल यह है कि यह कब होगा। अगर भारत की इन्वेस्टमेंट ग्रेड की डाउनग्रेडिंग होती है तो यह पहली बार नहीं होगा। इसके पहले भी देश 1991 में भारत में इनवेस्टमेंट ग्रेड गेनहेड है। अगर भारत को इस पश्चिमी भारत में अपग्रेड किया गया है, तो उसे दर से विकास करना होगा। मौजूदा स्थिति में सरकार के पास जो संसाधन है उसमें यह संभव नहीं दिखता है। विश्व बैंक के के आंकंड़ों के मुताबिक 1988 के बाद से भारत इस विकास दर के आसपास भी नहीं रहा है।
सरकार के पास संसाधनों की कमी है
भारत के आर्थिक मामलों के मंत्रालय के पूर्व सचिव सुभाष चंद्र गर्ग का कहना है कि सरकार का दहाई अंक का घाटा कर्ज की स्थिति सरकार की अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है। हालांकि उनका मानना है कि रेटिंग एजेंसियां भारत की रेटिंग अब आगे डाउनग्रेड नहीं करेंगी। हाल में स्थिर भारत के विकास की क्षमता स्थिर है।
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