<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> देश के शहरों में इस महीने की शुरुआत से ही बेरोजगारी दर बढ़ने लगी है। 4 अप्रैल को यह दर 7.21 प्रति थी लेकिन 11 अप्रैल को खत्म हुआ सप्ताह में यह बढ़ कर 9.81 प्रति वर्ष और 18 अप्रैल को बढ़ कर 10.72 प्रतिशत हो गया है। केंद्र फॉर सपोर्टिंग इंडियन इकनॉमी यानी CMIE के आंकड़ों के मुताबिक देश के शहरों में बेरोजगारी दर बढ़ने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी की तुलना में असामान्य ट्रेंड है, क्योंकि कोविड ने ग्रामीण इलाकों में रोजगार को ज्यादा नकारात्मक तरीके से प्रभावित किया था। <। पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> ग्रामीण क्षेत्रों पर भी बेरोजगारी का कहर
हालांकि 18 अप्रैल को खत्म हुए सप्ताह के दौरान कुल बेरोजगारी दर में थोड़ी से गिरावट आई है और यह इसके पिछले सप्ताह की 8.58 फीसदी की तुलना में गिर कर 8.4 फीसदी पर आ गई। जहां तक ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर बढ़ने का सवाल है तो यह पूरे मार्च महीने में बढ़ती जा रही है। 7 मार्च को यह 5.86 प्रतिशत था लेकिन 14 मार्च को वृद्धि कर 6.41 प्रतिशत हो गया वहीं 21 मार्च को वृद्धि कर 8.58 प्रतिशत पर पहुंच गया। हालांकि 4 अप्रैल को यह घट कर 8 प्रति पर आ गया। यहाँ पर 18 अप्रैल को यह और घट गया और 7.31 प्रति पर आ गया।
एमएसएमई पर पड़ रही है सबसे ज्यादा मार
सीएमआईई के एमडी और सीईओ महेश व्यास ने हाल में एक इंटरव्यू में कहा है कि रूट सेक्टर में वेतन पाने वाले एक करोड़ लोग बेरोजगार हो गए हैं। वास्तव में ग्रामीण सेक्टर में ज्यादातर जीएमएमई है। कोविड -19 के आर्थिक झटकों का सबसे ज्यादा असर एमएसएमई पर ही पड़ा है। देश में एमएसएमई सेक्टर सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देता है। ये उद्योग पहले ही पूंजीगत और आर्थिक गतिविधियों में गिरावट का सामना कर रहे थे, लेकिन कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने और इन्हें और बेबस कर दिया है। यही कारण है कि इनकी दिक्कतों की वजह से ग्रामीण सेक्टर में सबसे ज्यादा बेरोजगारी बढ़ी है।
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