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कोरोना के आंकड़े छिपा रही शिवराज सरकार? भोपाल में 2500 से ज्यादा अंतिम संस्कार, पर दिखाई गईं सिर्फ 109 मौतें

by Sneha Shukla

कई राज्यों की तरह मध्य प्रदेश में भी कोरोनावायरस के रोजाना हजारों मामले सामने आ रहे हैं। दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र सहित कई राज्य को विभाजित की इस लहर में सबसे ज्यादा होने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शामिल हैं। हालांकि, ये सबके बीच मरने वाली संख्या को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। कई रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि कुछ राज्य सरकारें कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा छिपा रही हैं। जिस तरह से अंतिम संस्कार के आंकड़े सामने आ रहे हैं, वे भी आधिकारिक आंकड़ों से काफी अलग हैं। इसी तरह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सामने आया है कि अप्रैल महीने में 2500 से ज्यादा लोगों का को विभाजित की वजह से अंतिम संस्कार किया गया, जबकि सरकार का आधिकारिक आंकड़ा सिर्फ 109 ही है। ऐसे में सवाल खड़े होने लगे हैं कि सरकार के आंकड़ों को छिपाया जा रहा है?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भोपाल में कोरोना से मृत्यु का सही आंकड़ा पता करने के लिए तीन शमशान गंगा और एक कब्रिस्तान के रिकॉर्ड्स खंगाले गए हैं। इससे पता चला है कि पिछले महीने 2,567 बॉडीज कोविड प्रोटोकॉल के तहत या तो जलाई गई या फिर दफ्नाई गई।) वहीं, चार स्थानों पर 1273 लोगों का अंतिम संस्कार गैर-विभाजित प्रोटोकॉल के तहत किया गया। भोपाल में कुल छह श्मशान घाट और चार कब्रिस्तान हैं। जिन चार स्थानों पर विभाजित होने के तहत अंतिम संस्कार किया जाता है, वे जगहें भदभड़ा विश्राम घाट, सुभाष नगर विश्राम घाट, बैरागढ़ घाट और झाड़ा कब्रिस्तान हैं। इस लिस्ट में बैरागढ़ को 20 अप्रैल को ही जोड़ा गया, जब बाकी दो घाटों पर काफी वृद्धि हुई। शमशान घाट और कब्रिस्तान में काम करने वालों का कहना है कि इतनी भीड़ हो रही है कि इससे निपटने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ रहा है।)

श्री विश्राम घाट ट्रस्ट-भोपाल के द्वारा जाने जाने वाला सुभाष नगर विश्राम घाट के प्रबंधक सोमराज सुखवानी का कहना है, ” हमारी शमशान घाट काफी शक्तिशाली स्थिति में है। हर तरफ ग्लव्स और ग्लाइ किट्स पड़ी हुई हैं और कर्मचारी काफी काम कर रहे हैं। नगर निगम को कम से कम सैनिटरीकरण और साफ-सफाई करावनी चाहिए। ” वहीं, झावाम्बिस्तान कमेटी के अध्यक्ष रेहान गोल्डन का कहना है कि हमारे यहां जगह कम पड़ गई है। साथ ही लोगों की भी काफी कमी है। आठ युवक कब्र खोद रहे हैं, लेकिन फिर भी मांग को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। कमेटी एक सप्ताह में दो बार जेसीबी को बुलवा कर अडवांस में कब्र को खुदवा रही है और फिर बाद में युवक इन कब्रों को मिट्टी से भरते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अप्रैल में गैर-कोविद से हुई 170 लोगों को दफ्न किया गया था, जबकि यह पहले औसतन संख्यसा 60 होता था। हमें संदेह है कि कोविद की बहुत सारी मौतें प्राकृतिक मौतें हैं।

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