भारत इस समय को विभाजित -19 संक्रमण की दूसरी लहर की चपेट में हैं। जिस तेजी से ये महामारी फैल रही है, उससे तो स्थिति नियंत्रक से बाहर दिख रही है। इस समय जिन कोरोनाटेन्स में लक्षण नहीं दिख रहे हैं या जिनकी स्थिति गंभीर नहीं है, उन्हें घर पर ही क्वारंटाइन रहने का सुझाव दिया गया है।]
भारत में कुल 1.55 करोड़ लोग कोरोना क्षमताओं हैं और सक्रिय मामले 2 लाख 31 हजार 977 हैं। मंगलवार को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वायरस से मरने वालों की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए कहा था, “चुनौती बहुत बड़ी है, हमें दृढ़ संकल्प, साहस और तैयारी के साथ इसे दूर करना होगा।
एक ओर जहां टीकाकरण की प्रक्रिया में तेजी लाते हुए 1 मई से 18 साल से ऊपर से सभी लोगों को वैक्सीन दिए जाने की घोषणा भी हो चुकी है। वहाँ इन दिनों संक्रमण के बाद या संदेह होने पर लोग दोहरी दवाओं मंगा ले रहे हैं और अपनी मर्जी से दवा ले भी रहे हैं। ऐसे में टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ। सीएस प्रमेश ने बताया कि यदि कोई कोरोनाटेबल होता है तो उसे क्या दवाएं लेनी हैं।
कौन सी दवा रोगी की जान बचा सकती है या रिकवरी में मदद कर सकती है?
डॉ। प्रमेश कहते हैं कि इस कैटगरी में बेहद कम दवाएं हैं। बस इसका खयाल रखना है कि जब ऑक्सीजन का लेवल गिरता हो तो ऑक्सीजन ही जान बचा सकती है। कुछ हद तक मध्यमता से लेकर खतरनाक स्तर की बीमारी में अंडा (डेक्सामेथासोन) भी काम करते हैं।
चेताते हुए फिर कौन सी दवाई लें?
डॉ। प्रमेश ने कहा कि यदि आपकी ऑक्सीजन लेवल ठीक है और किसी प्रकार का कोई लक्षण या समस्या नहीं है तो दवा के लिए केवल ‘पैरासिटामोल’ ही काफी है। उन्होंने कहा कि कहीं-कहीं ये भी पढ़ने को मिल रहा है कि कोरोना मरीज को बुडसोनाइड से फायदा होता है। अगर यह दवा रोगी को घी करे तो उसकी रिकवरी तेज होती है। लेकिन इससे मौत दर घटने वाली नहीं है। वैज्ञानिक तथ्य बताते हैं कि इस तरह की दवाओं से मृत्यु दर में कोई मदद नहीं करतीं और फेविपिराविर / इवरमेक्टिन के पीछे भागने से कोई लाभ नहीं होने वाला है। इन दवाओं के लिए होड़ मचाना अपना समय बर्बाद करने के सिवा और कुछ नहीं है।
रेमडेसिविर, टोसिलीजुमाब और प्लोस से कितना फायदा?
डॉ। प्रमेश ने बताया कि रेमदेसीवीर बहुत हद तक मदद नहीं करता है और यह सभी मरीजों के काम भी नहीं करता है। कुछ ही रोगी होते हैं जिन पर यह दवाई काम करती है। लेकिन अगर किसी के ऑक्सीजन का स्तर काफी गिर गया है और वह सांस लेने की स्थिति में नहीं है या वेंटिलेटर पर है तो भी यह इसका नुकसान नहीं होगा। यह दवा शुरू में मरीज को रिकवर करने में मदद करती है लेकिन लोगों के मौत दर को तो बिल्कुल नहीं भुती। टोसिलीुज़माब भी ऐसी दवा है जो बहुत कम लोगों पर असर करती है। कई अध्ययनों में प्लॉट को बहुत फायदेमंद नहीं बताया गया था। प्रमेश ने बताया कि डॉ को तय करने की कृपा करें कि आपको रेमदेसीवीर या टोसिलीुज़माब या किसी और दवा की ज़रूरत है। डॉ। इन दवाओं पर लिखने का दबाव नहीं डालते।
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