गो में ट्रांसफर दर सबसे ज्यादा 48 प्रति दर्ज की गई है। हरियाणा में 37 प्रतिशत ट्रांसफर पास है। इसी प्रकार पश्चिम बंगाल में 33, दिल्ली में 32 और पुडुचेरी में 30 प्रति है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में 29 प्रतिशत, कर्नाटक में 28 व चंडीगढ़ में 26 प्रतिशत है।
इस समय पूरी दुनिया में 1.93 करोड़ सक्रिय रोगी हैं, जिनके घर या अस्पतालों में उपचार चल रहा है, जबकि भारत में यह आंकड़ा 36.45 लाख से बहुत अधिक है। कुल सतर्क मामलों में भारत इस समय दुनिया में दूसरे स्थान पर है। अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा कोरोनावायरस की चपेट में भारतीय आए हैं।
32 राज्यों में हुई कोरोना से मौतें
आंकड़ों के अनुसार बीते बृहस्पतिवार को देश के 32 राज्यों में मरीजों की कोरोना से मौतें हुई हैं। अगर इसी महीने की स्थिति देखें तो एक मई को 3688, दो को 3422, तीन को 3438, चार को 3786, पांच मई को 3982 लोगों की मौत हुई।
इन राज्यों में अब तक एक भी मौत नहीं हुई है
देश के चार राज्य लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और दादर नागर हवेली में किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई है। हालांकि ये सभी जनसंख्या की दृष्टि से छोटे राज्यों में आते हैं।
दूसरी लहर से टीकाकरण भी Inf
ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर अमर्त्य लाहिड़ी का कहना है कि एक दिन में लगभग 40 लाख लोगों को टीका दिया जा रहा था, लेकिन अब यह संख्या 25 लाख से भी कम है। इससे पता चलता है कि दूसरी लहर ने कोरोनाकैनीकरण को बहुत प्रभावित किया है। इस महामारी की वजह से भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा रही है। मरीजों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं, जबकि ऑक्सीजन का अकाल भी हुआ है। हालात इस कदर हो चुके हैं कि मुर्दाघर और शमशान घाट पर मृतकों की संख्या को संभाल नहीं सकते हैं। दिल्ली, लखनऊ और मुंबई सहित कई शहरों में लकड़ियां कम पड़ने की वजह से विद्युत शवदाह गंगा का इस्तेमाल अधिक किया जा रहा है।]हालांकि उत्तरी और पश्चिमी राज्यों में यह काफी गंभीर स्थिति है। जबकि देश के पांच दक्षिणी राज्यों में दैनिक वृद्धि में भाग मई के पहले सात दिनों में संक्रमण 28 से बढ़कर 33 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
ऑक्सीजन बेड की बढ़ रही है
सरकारी आंकड़ों की ही मानें तो बृहस्पतिवार रात तक चेन्नई में 100 ऑक्सीजन बिस्तर में केवल एक और 200 आईसीयू बिस्तर में केवल दो ही खाली थे, जबकि दिल्ली में शुक्रवार दोपहर तक एक भी आईसीयू बिस्तर खाली नहीं था। ठीक इसी तरह एनसीआर में भी ऑक्सीजन बिस्तर खासतौर पर आईसीयू की किल्लत है। इसके खामियाजा रोगियों को उठाना पड़ रहा है। अस्पतालों में चक्कर लगाने की वजह से उनकी हालत और खराब हो रही है जिससे डॉक्टरों को भी जान बचाने का मौका नहीं मिल पा रहा है।
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