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आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा

कोरोना: राघव चड्ढा ने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखा पत्र, विदेशों को वैक्सीन भेजने की नीति पर उठाये सवाल  

by Sneha Shukla

आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा
– फोटो: facebook.com/raghavchadhaca

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आम आदमी पार्टी के विधायक राघव चड्ढा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर देश की वैक्सीन नीति पर उठाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार विदेशों में 6.4 करोड़ वैक्सीन भेजकर अपने कूटनीतिक संबंध मजबूत करने का काम कर रही है, लेकिन यह इस कीमत पर हो रही है कि भारत के ही कई राज्यों में वैक्सीन की कमी हो गई है और कई स्थानों पर वैष्णों केंद्रों करना बंद करना पड़ा है।

राघव चड्ढा ने अपने पत्र में कहा है कि हमारे देश के नागरिक वैक्सीन केंद्रों पर अभी भी वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। मैं भारत सरकार से पूछना चाहता हूं कि उसकी प्राथमिकताओं में कौन है, भारत के अपने नागरिक या विदेश के लोग। उन्होंने कहा कि वे विदेशों में भेजी जा रही वैक्सीन का विरोध नहीं करते हैं, लेकिन यह भारत के लोगों की जिन्दगी की कीमत पर नहीं होना चाहिए।

उन्होंने कुछ देशों का उदाहरण देते हुए कहा है कि कैसे संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों ने 19 अप्रैल 2021 तक सभी वयस्क युवाओं को वैक्सीन लगाने का फैसला किया है। इसके अलावा, उसने अपनी पूरी आबादी को दो बारके लगाने के लिए वैक्सीन का भंडारण भी कर लिया है।

दूसरे देश संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, हुनान, कनाडा आदि ने अपने नागरिकों को दो से तीन बार टीका लगाने के लिए वैक्सीन का पर्याप्त भंडारण कर लिया है और वे राजनयिक आकांक्षाओं को पूरा करने की बजाय अपने नागरिकों को प्राथमिकता दे रहे हैं। लेकिन भारत इस मोर्चे पर पूरी तरह असफल रहा है।

उन्होंने पत्र में लिखा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश भी न सिर्फ वैक्सीन के एक्सप पर प्रतिबंध लगा चुके हैं, बल्कि वैक्सीन को बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल के निर्यात पर भी रोक लगा रहे हैं। जबकि हम, विश्व स्तर पर कोरोना वैक्सीन का निर्माता होने के बावजूद, खुशी-खुशी इसकी एक्स कर रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से अपनी वैक्सीन नीति की समीक्षा करने की भी मांग की है।

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आम आदमी पार्टी के विधायक राघव चड्ढा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर देश की वैक्सीन नीति पर उठाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार विदेशों में 6.4 करोड़ वैक्सीन भेजकर अपने कूटनीतिक संबंध मजबूत करने का काम कर रही है, लेकिन यह इस कीमत पर हो रही है कि भारत के ही कई राज्यों में वैक्सीन की कमी हो गई है और कई स्थानों पर वैष्णों केंद्रों करना बंद करना पड़ा है।

राघव चड्ढा ने अपने पत्र में कहा है कि हमारे देश के नागरिक वैक्सीन केंद्रों पर अभी भी वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। मैं भारत सरकार से पूछना चाहता हूं कि उसकी प्राथमिकताओं में कौन है, भारत के अपने नागरिक या विदेश के लोग। उन्होंने कहा कि वे विदेशों में भेजी जा रही वैक्सीन का विरोध नहीं करते हैं, लेकिन यह भारत के लोगों की जिन्दगी की कीमत पर नहीं होना चाहिए।

उन्होंने कुछ देशों का उदाहरण देते हुए कहा है कि कैसे संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों ने 19 अप्रैल 2021 तक सभी वयस्क युवाओं को वैक्सीन लगाने का फैसला किया है। इसके अलावा, उसने अपनी पूरी आबादी को दो बारके लगाने के लिए वैक्सीन का भंडारण भी कर लिया है।

दूसरे देश संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, हुनान, कनाडा आदि ने अपने नागरिकों को दो से तीन बार टीका लगाने के लिए वैक्सीन का पर्याप्त भंडारण कर लिया है और वे राजनयिक आकांक्षाओं को पूरा करने की बजाय अपने नागरिकों को प्राथमिकता दे रहे हैं। लेकिन भारत इस मोर्चे पर पूरी तरह असफल रहा है।

उन्होंने पत्र में लिखा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश भी न सिर्फ वैक्सीन के एक्सप पर प्रतिबंध लगा चुके हैं, बल्कि वैक्सीन को बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल के निर्यात पर भी रोक लगा रहे हैं। जबकि हम, विश्व स्तर पर कोरोना वैक्सीन का निर्माता होने के बावजूद, खुशी-खुशी इसकी एक्स कर रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से अपनी वैक्सीन नीति की समीक्षा करने की भी मांग की है।

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