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कोरोना संकट के बीच अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर राहत, औद्योगिक उत्पादन में उछाल; महंगाई दर में आई कमी

कोरोना संकट के बीच अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर राहत, औद्योगिक उत्पादन में उछाल; महंगाई दर में आई कमी

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> कोरोनावायरस महामारी की दूसरी गंभीर लहर से जूझ रहे देश के लिए बुधवार का दिन अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर राहत भरा रहा। ताजा आंकड़ों के मुताबिक मार्च महीने में औद्योगिक उत्पादन में 22.4 प्रतिशत का उछाल आया जबकि खुदरा बिक्री अप्रैल में तीन महीने के न्यूनतम स्तर 4.29 प्रतिशत पर आ गयी। एक साल पहले & lsquo; लॉकडाउन & rsquo; के कारण आर्थिक गतिविधियों वाले पूरी तरह से ठप होने से तुलनात्मक आधार कमजोर रहने और विनिर्माण क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से मार्च 2021 में औद्योगिक उत्पादन में अच्छी वृद्धि दर्ज की गयी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के बुधवार को जारी आंकड़ोंडों में यह जानकारी दी गई।

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औद्योगिक उत्पादन में उछाल

हालांकि, अगर पूरे साल की बात की जाए तो वित्त वर्ष 2020- 21 में जैविक उत्पादन में 8.6 प्रतिशत की गिरावट रही है। इससे पहले जनवरी और फरवरी 2021 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आधार पर औद्योगिक उत्पादन में क्रमशः 0.9 प्रतिशत और 3.4 प्रतिशत का अनुबंध था। इसके बाद मार्च महीने में खनन, विनिर्माण और बिजली क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन के कारण औद्योगिक उत्पादन में अच्छी वृद्धि दर्ज की गई। त्मक केवल पिछले वर्ष का तुलनात्मक आधार कमजोर रहने का भी लाभ हुआ। कोविड महामारी की रोकथाम के लिए मार्च 2020 में & lsquo; लॉकडाउन & rsquo; लगाया गया था। इससे तब आईआईपी में 18.7 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।

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मुद्रा स्लैट्स की मंदी

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मामले के मामले में भी राहत मिल रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सब्जियां, अनाज और खाने-पीने की दूसरी वस्तुओं के दाम घटने से खुदरा बिक्री की रफ्तार अप्रैल में धीमी पड़ने वाली 4.29 प्रतिशत है। यह पिछले तीन महीने में निवेश का न्यूनतम आंकड़ा है। एक महीने पहले मार्च में फ्लिप महंगाई दर 5.52 प्रतिशत रही थी। आरबीआई मौद्रिक नीति तय करते समय मुख्य रूप से खुदरा बिक्री पर गौर करती है। सब्जियों के दाम में सालाना आधार पर 14.2 प्रतिशत की कमी आयी। चीनी और कन्फेक्शनरी से जुड़े उत्पादों के मूल्य में 5.99 प्रतिशत गिरावट आई है जबकि अनाज के मूल्य 2.96 प्रतिशत घटे हैं।

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मांस-मछली और खाद्य तेल महंगे

खाद्य श्रेणी में मांस और मछली, खाद्य तेल, फल और पल्स की कीमत सालाना और तिमाही दोनों की तुलना में बढ़े बने हुए हैं। यह संरचनात्मक आपूर्ति बाधाओं को प्रतिबिंबित करता है और कोविड -19 की दूसरी लहर की रोकथाम के लिए कुछ राज्यों में लगाये गये & lsquo; लॉकडाउन & rsquo; से स्थिति और पतन हो सकता है। इसके अलावा मुख्य कार्यालय (कोर इनफ्लेशन) मजबूत बना हुआ है। इसका कारण रिटेल के मूल्य में तेजी है।

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एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य विश्लेषण अधिकारी सुमन चौधरी ने कहा, & lsquo; & lsquo; लाभांश महामारी के फिर से फैलने के कारण खुदरा मूल्य में वृद्धि का स्पष्ट जोखिम बना हुआ है। लेकिन तिमाही आधार पर अगर वृद्धि भी होती है तो तुलनात्मक आधार के कारण आंकड़ा नरम बना रह सकता है। & rsquo; & rsquo; डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रूमकी मजूमदार ने कहा कि भारत के ऊपर जाने का जोखिम बना हुआ है क्योंकि वैश्विक स्तर पर जिंसों और कच्चे तेल के मूल्य में तेजी की प्रवृत्ति है।

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इकरा लिमिटेड की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि अप्रैल 2020 में देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान आपूर्ति बाधाओं के कारण फ्लिप परियोजना आधार ऊंचा रहा, वह देखती हुई अप्रैल 2021 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मूंगफली के महीने के सबसे कम स्तर पर चली गई है। जोड़ा गया। हालांकि, यह आंकड़ा भी उम्मीद से ऊंचा ही लगता है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि कुल मिलाकर स्थानीय स्तर पर लगे प्रतिबंधों का अप्रैल माह के दौरान कीमतों पर सीमित असर रहा है।

5 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान

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नायर ने कहा कि जैसे पिछले साल के लॉकडाउन इन महीनों से आगे के आंकड़े आयेंगे तो शेयर एक बार फिर से औसतन पांच प्रतिशत के दायरे में पहुंच सकता है। यदि ऐसा होता है तो ब्याज दरों में आगे और कटौती की उम्मीद खारिज हो सकती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में महामारी को देखते हुए आर्थिक परिदृश्य अनिश्चित बना हुआ है और ऐसे में हमें उम्मीद है कि 2021 के ज्यादातर समय मौद्रिक नीति का रुख लगातार उदार बना रहेगा। आईआईपी के बारे में चौधरी ने कहा कि स्थानीय स्तर पर लगाये गये & lsquo; लॉकडाउन & rsquo; की बाधाओं के बावजूद बिजली उत्पादन वित्त वर्ष 2020-21 में लगभग 2019-20 के स्तर पर पहुंच गया है। यह घरों में बिजली की अधिकतम मांग का नतीजा है जो औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए मांग में कमी की भरपाई कर रही है।

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उन्होंने कहा, & lsquo; & lsquo; सालाना आधार पर तुलनात्मक आधार कमजोरे होने से विनिर्माण में तेजी है। लेकिन एक्स से जुड़े क्षेत्रों और विशेष रूप से रिफाइंड पेट्रोल उत्पादों के क्षेत्र में इस साल मार्च में कनेक्टिविटीएं तेज हो रही हैं। & rsquo; & lsquo; चौधरी के अनुसार, & lsquo; & lsquo; हलांकि विनिर्माण क्षेत्र में तेजी आगे भी बने रहने के बारे में प्रतीक चिन्ह हैं।) इसके कारण को विभाजित महामारी के कारण अप्रैल और मई में उत्पन्न बाधाएं हैं … & rsquo; & rsquo; एनएसओ के आंकड़े के अनुसार औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में 77.63 प्रतिशत हिस्सा रखने वाले विनिर्माण क्षेत्र में मार्च 2021 में 25.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। खनन क्षेत्र का उत्पादन 6.1 प्रतिशत जबकि बिजली उत्पादन में 22.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

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