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कोरोना संक्रमण: भर्ती न हुए मरीजों को भी 60 फीसदी ज्यादा जोखिम

by Sneha Shukla

ख़बर सुनकर

पढ़ाई में कोई नुकसान नहीं को भले ही अस्पतालों में भर्ती न हो जाए, फिर भी उन पर लंबी बीमारियों और मौत का खतरा मंडरा रहा है। एक अध्ययन में लॉन्ग कोविड के स्वास्थ्य पर लंबे प्रभाव से जुड़ी जानकारी दी गई है।

नेचर पत्रिका में प्रकाशित इस शोख में 73 हजार से अधिक ऐसे चेतनो के मेडिकल रिकॉर्ड खंगाले गए, जिन्हें भर्ती कराने की नौवीं तिमाही आई। लेकिन संक्रमण के छह महीने के भीतर इन लोगों में अन्य बीमारियों से पीड़ितों की तुलना में मौत का 60 प्रति ज्यादा जोखिम मिला। साथ ही इन लोगों को छह महीने से भी अधिक देखभाल की 20 प्रति अधिक जरूरत पड़ी।

नई बीमारियों ने भी घेरा
ठीक होने के बाद भी उन्हें लंबे समय तक उन बीमारियों से जूझना पड़ा जो पहले कभी नहीं हुआ था। इनमें साइनायुट्रा से लेकर ह्रदय और पेट-आंत की बीमारियां शामिल हैं। घबराहट व नींद से जुड़े मानसिक रोगों ने भी घेरा।

अब तक का सबसे बड़ा शोध
कोरोना पर यह सबसे विस्तृत अध्ययन माना जा रहा है। इसमें एक मार्च से नवंबर 2020 के बीच के उन संभावितों को शामिल किया गया, जो अस्पताल में भर्ती बिना ठीक हो गए थे। इन पर खतरे की तुलना 50 लाख गैर कोरोना रोगियों से की गई थी। पता लगा कि 73,345 में से हल्के-मध्यम अंतर वाले 1672 लोगों को जान गंवानी पड़ी। शोधकर्ताओं ने यह डेटा अमेरिका में पूर्व सैनिकों के स्वास्थ्य मामले विभाग से लिया था।

विस्तार

पढ़ाई में कोई नुकसान नहीं को भले ही अस्पतालों में भर्ती न हो जाए, फिर भी उन पर लंबी बीमारियों और मौत का खतरा मंडरा रहा है। एक अध्ययन में लॉन्ग कोविड के स्वास्थ्य पर लंबे प्रभाव से जुड़ी जानकारी दी गई है।

नेचर पत्रिका में प्रकाशित इस शोख में 73 हजार से अधिक ऐसे चेतनो के मेडिकल रिकॉर्ड खंगाले गए, जिन्हें भर्ती कराने की नौवीं तिमाही आई। लेकिन संक्रमण के छह महीने के भीतर इन लोगों में अन्य बीमारियों से पीड़ितों की तुलना में मौत का 60 प्रति ज्यादा जोखिम मिला। साथ ही इन लोगों को छह महीने से भी अधिक देखभाल की 20 प्रति अधिक जरूरत पड़ी।

नई बीमारियों ने भी घेरा

ठीक होने के बाद भी उन्हें लंबे समय तक उन बीमारियों से जूझना पड़ा जो पहले कभी नहीं हुआ था। इनमें साइनायुट्रा से लेकर ह्रदय और पेट-आंत की बीमारियां शामिल हैं। घबराहट व नींद से जुड़े मानसिक रोगों ने भी घेरा।

अब तक का सबसे बड़ा शोध

कोरोना पर यह सबसे विस्तृत अध्ययन माना जा रहा है। इसमें एक मार्च से नवंबर 2020 के बीच के उन संभावितों को शामिल किया गया, जो अस्पताल में भर्ती बिना ठीक हो गए थे। इन पर खतरे की तुलना 50 लाख गैर कोरोना रोगियों से की गई थी। पता लगा कि 73,345 में से हल्के-मध्यम अंतर वाले 1672 लोग को जान गंवानी पड़ी। शोधकर्ताओं ने यह डेटा अमेरिका में पूर्व सैनिकों के स्वास्थ्य मामले विभाग से लिया था।

कोरोना संक्रमण: भर्ती नहीं किए गए रोगियों के लिए 60 प्रतिशत अधिक जोखिम

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