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लक्ष्मी नगर निवासी सरला शर्मा और उनकी बेटी

कोरोना होने के बाद का सवाल: टेंशन रखें दूर, पूरा आराम करें, सांस फूलने का रखें ध्यान

by Sneha Shukla

परीक्षित निर्भय, अमर उजाला, नई दिल्ली

द्वारा प्रकाशित: विकास कुमार
अपडेटेड शुक्र, 16 अप्रैल 2021 12:57 AM IST

सार

कोरोनात्मक होने के बाद आपको क्या करना चाहिए और किन चीजों का रखना चाहिए। कोरोना बीमारी होने के बाद टेंशन को जितना हो सके उतना खुद से दूर रखें।

लक्ष्मी नगर निवासी सरला शर्मा और उनकी बेटी
– फोटो: अमर उजाला

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मुझे अभी तक बस इतना ही समझ आया है कि कोरोना बीमारी होने के बाद टेंशन को जितना हो सके उतना खुद से दूर रखें। इसकी वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ता-घटता है और फिर दिक्कतें होती हैं। परिवर्तन होने के बाद मुझे भी औरों की तरह लिन था। पैरासिटामॉल के साथ दूसरे उपाय करके मैं अपना और बेटी का घर पर ही रखना रख रहा था लेकिन फ्यू जाने के बाद कमजोरी के आने शुरू हो गया है।

मैंने महसूस किया कि कमजोरी के दौरान आपका दिल सोने का करेगा, बिस्तर पर लेटे रहने का भी मन होगा। कुल मिलाकर जैसा आपका मन कर रहा है आपको वैसा ही करना चाहिए। थोड़ा बहुत ताकत दिखाने के चक्कर में यह बिगड़ सकता है। पूरा आराम करना जरूरी है। हां, एक बात यह है कि उस होने के बाद सबसे ज्यादा ध्यान आपको सांस फूलने पर रखना होता है। इसका मतलब यह नहीं है कि आपके दिमाग में कोई तनाव नहीं है। बल्कि एक बचाव के लिए यह आवश्यक है। जब तक सांस लेने में कठिनाई नहीं हो रही हो तब तक मुझे नहीं लगता कि आपको अस्पताल में जाने की आवश्यकता है।

अगर समस्या है तो तत्काल मदद भी करनी चाहिए। मैं और मेरी बेटी खुशी शर्मा दो सप्ताह पहले परीक्षाएँ थीं। शुरू में मुझे काफी घबराहट हुई लेकिन जब मैंने अपने डॉक्टर को कॉल किया तो उन्होंने काफी अच्छे तरीके से मुझे निर्दिष्ट किया। रात को हल्दी दूध का सेवन इसलिए किया क्योंकि दवाएं काफी गर्म थीं। विटामिन सी और विटामिन ई की गोलियों का सेवन किया। कफ आने की वजह से मुझे एंजॉयोटिक्स दी गई थी जिनका मैंने पांच दिन तक सेवन किया।

नाक बंद होने की वजह से मैंने अणु तेल का इस्तेमाल किया और इसका फायदा दो दिन बाद ही मुझे होने लगा। मैं बस यही अपील करता हूं कि कोरोना की इस महामारी में पैनिक होने की जरूरत नहीं है। पैनिक होने से अधिक आपको स्पष्ट रहने की आवश्यकता है। डॉ। बगैर पूछे जाने वाले प्रश्न कोई भी कदम न उठाएं।

(जैसा कि लक्ष्मी नगर निवासी सरला शर्मा ने परीक्षित निर्भय को बताया)

विस्तार

मुझे अभी तक बस इतना ही समझ आया है कि कोरोना बीमारी होने के बाद टेंशन को जितना हो सके उतना खुद से दूर रखें। इसकी वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ता-घटता है और फिर दिक्कतें होती हैं। परिवर्तन होने के बाद मुझे भी औरों की तरह लिन था। पैरासिटामॉल के साथ दूसरे उपाय करके मैं अपना और बेटी का घर पर ही रखना रख रहा था लेकिन फ्यू जाने के बाद कमजोरी के आने शुरू हो गया है।

मैंने महसूस किया कि कमजोरी के दौरान आपका दिल सोने का करेगा, बिस्तर पर लेटे रहने का भी मन होगा। कुल मिलाकर जैसा आपका मन कर रहा है आपको वैसा ही करना चाहिए। थोड़ा बहुत ताकत दिखाने के चक्कर में यह बिगड़ सकता है। पूरा आराम करना जरूरी है। हां, एक बात यह है कि उस होने के बाद सबसे ज्यादा ध्यान आपको सांस फूलने पर रखना होता है। इसका मतलब यह नहीं है कि आपके दिमाग में कोई तनाव नहीं है। बल्कि एक बचाव के लिए यह आवश्यक है। जब तक सांस लेने में कठिनाई नहीं हो रही हो तब तक मुझे नहीं लगता कि आपको अस्पताल में जाने की आवश्यकता है।

अगर समस्या है तो तत्काल मदद भी करनी चाहिए। मैं और मेरी बेटी खुशी शर्मा दो सप्ताह पहले परीक्षाएँ थीं। शुरू में मुझे काफी घबराहट हुई लेकिन जब मैंने अपने डॉक्टर को कॉल किया तो उन्होंने काफी अच्छे तरीके से मुझे निर्दिष्ट किया। रात को हल्दी दूध का सेवन इसलिए किया क्योंकि दवाएं काफी गर्म थीं। विटामिन सी और विटामिन ई की गोलियों का सेवन किया। कफ आने की वजह से मुझे एंजॉयोटिक्स दी गई थी जिनका मैंने पांच दिन तक सेवन किया।

नाक बंद होने की वजह से मैंने अणु तेल का इस्तेमाल किया और इसका फायदा दो दिन बाद ही मुझे होने लगा। मैं बस यही अपील करता हूं कि कोरोना की इस महामारी में पैनिक होने की जरूरत नहीं है। पैनिक होने से अधिक आपको स्पष्ट रहने की आवश्यकता है। डॉ। बगैर पूछे जाने वाले प्रश्न कोई भी कदम न उठाएं।

(जैसा कि लक्ष्मी नगर निवासी सरला शर्मा ने परीक्षित निर्भय को बताया)

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