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सांकेतिक तस्वीर....

खुफिया रिपोर्ट : एलएसी से कुछ सैनिकों को हटाने पर भी तनाव बरकरार

by Sneha Shukla

भारत-चीन सीमा तनाव के बीच एलएसी पर पिछले साल चीनी सेना की तेजी को अमेरिकी खुफिया समुदाय ने बेहद गंभीर माना है। अमेरिकी संसद (कांग्रेस) को सौंपी गई अपनी हालिया खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल सैनिकों को हटाने के बावजूद भारत-चीन सीमा पर तनाव जारी है और चीन अपनी ताकत दिखाने के लिए सभी तरह के हथकंडे खोलना चाहता है।

अमेरिका के राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के कार्यालय (ओडीएनआई) ने संसद को दी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन अपनी बढ़ती ताकत का प्रदर्शन करने और पड़ोसी देशों को विवादित क्षेत्र पर अपना दावा किए बिना किसी के विरोध के स्वीकार करने के लिए विवश करने के हथकंडे आज का कोशिश करना चाहता है

इस रिपोर्ट के मुताबिक, चीन विदेश में अपनी आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य मौजूदगी को बढ़ाने के लिए अरबों डॉलर के बेल्ट और रोड इनिशियन (बीआरआई) का प्रचार करता रहेगा। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा 2013 में सत्ता में आने के बाद अरबों डॉलर की इस परियोजना का मकसद दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को जमीन और समुद्र क्षेत्र से जोड़ना है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत-चीन की विवादित सीमा पर 1975 के बाद, मई 2020 से अब तक सबसे गंभीर तनावपूर्ण स्थिति है।

अब खत्म नहीं हुआ विवाद
अमेरिकी संसद में रखी गई इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत-चीन में की कई दौर की बातचीत के बाद इसी साल फरवरी में विवादित सीमा के पास कुछ इलाकों से अपनी सेनाएं और सैन्य साजो सामान वापस बुला रहे हैं।

दोनों पक्षों ने पहले पैंगोंग त्सो के आसपास अपने सैनिकों को हटाने का फैसला किया, लेकिन पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और डेपसांग जैसे क्षेत्र अभी तक की स्थिति से बाहर नहीं निकले हैं। इसे विवाद का खत्म नहीं कहा जा सकता है। यह आगे एक बार फिर से करवट ले सकता है।

ताइवान, हिंद-प्रशांत और दक्षिण व पूर्वी चीन सागर में भी तनाव जारी है
अमेरिकी खुफिया समुदाय ने कहा, चीन का यही रवैया ताइवान में भी है, जहां वह एकीकरण के लिए दबाव बढ़ाता रहेगा। यहां एकीकरण के लिए वह बल प्रयोग से भी पीछे नहीं हटगे, क्योंकि चीन इसे अपना बागी इलाका मानता है।

चीन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भी तेजी से सैन्य और आर्थिक प्रभाव बढ़ाया है। इससे क्षेत्र में विभिन्न देशों के बीच चिंता पैदा हो गई है। उसका दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर भी गंभीर क्षेत्रीय विवाद हैं। इससे खींचतान की आशंका बढ़ेगी।

‘केक कूटनीति’ की भी कोशिश करें
अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के कार्यालय ने कहा कि चीन ‘केक कूटनीति’ के जरिये भी अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश करेगा। इसके तहत वह उन देशों को कोविड -19 के टीके उपलब्ध कराएगा जिनसे वह फायदा उठाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका की प्रौद्योगिक प्रतिस्पर्धा के लिए चीन सबसे बड़ा खतरा बना रहेगा। वह अपनी प्रौद्योगिकी क्षमताओं को बढ़ाने के वास्ते जासूसी का इस्तेमाल भी करता है।

पाक ने उकसाया तो मोदी नेतृत्व में भारत दे सकते हैं मुंहतोड़ जवाब
अमेरिका में खुफिया समुदाय (खुफिया विभागों का समूह) ने संसद को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यदि पाकिस्तान ने भारत को उकसाता है तो पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाक के प्रत्यक्ष या परोक्ष उकसावे की कार्रवाई का जवाब भारत अब पहले के मुकाबले और अधिक कानूनी ताकत से दे सकता है।

वार्षिक संकट समीक्षा पर खुफिया समुदाय (ओडीएनआई) की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत-पाक में पारंपरिक युद्ध आशंका नहीं के बराबर है, फिर भी दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच तनाव और बढ़ने का खतरा है। कश्मीर में अशांति का हिंसक माहौल या भारत में आतंकवादी हमले से इसकी पूरी आशंका है।

अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट मानती है कि भारत ने अपनी नीति बदल ली है और ऐसे में भारत सरकार पाक पर कानूनी कार्रवाई से भी पीछे नहीं हटेगा। तनाव की यह स्थिति पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है।

बता दें कि मोदी के नेतृत्व में भारत 2016 में उरी हमले के बाद और 2019 में पुलवामा हमले के बाद पाक पर पहले ही सैन्य कार्रवाई की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक अगले साल के दौरान शांति समझौते की संभावना कम रहेगी।

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