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भारतीय स्टेट बैंक

खुलासा: शून्य बैलेंस खाता खुलवाकर एसबीआई ने ग्राहकों से वसूल लिए 300 करोड़ रुपये

by Sneha Shukla

एजेंसी, नई दिल्ली

द्वारा प्रकाशित: कुलदीप सिंह
Updated Mon, 12 Apr 2021 02:14 AM IST

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भारतीय स्टेट बैंक सहित विभिन्न बैंकों ने जीरो बैलेंस वाले गरीब लेखाकारों पर विभिन्न सेवा शर्तों में कई तरह के मनमाने शुल्क लागू कर दिए। आईआईटी बॉम्बे ने अपने एक डेवलपर में बताया कि एसबीआई ने जीरो बैलेंस वाले खाताधारकों यानी बुनियादी बचत बैंक जमा खाते (बीएसबीडीए) शेयरधारकों के चार बार से ज्यादा पैसे निकालने पर हर बार 17.70 रुपये का शुल्क लेने का फैसला लिया था। उसी के तहत एसबीआई ने 2015 से 2020 के बीच लगभग 12 करोड़ बुनियादी खाताधारकों से 300 करोड़ रुपये से ज्यादा वसूले हैं।

आईआईटी बॉम्बे के शोधकर्ता ने कहा, यह आरबीआई के नियम का उल्लंघन है

वहीं, भारत के दूसरे सबसे बड़े बैंक पीएनबी ने इसी अवधि में 3.9 करोड़ गरीब खाताधारकों से 9.9 करोड़ रुपये वसूल किए हैं। अध्ययन करने वाले साथ आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर आशीष दास ने कहा कि डिजिटल भुगतान सहित एक महीने में चार बार से ज्यादा प्रति निकासी पर 17.70 रुपये का शुल्क वसूलना रिजर्व बैंक के नियमों का सुनियोजित उल्लंघन है। उल्लेखनीय है कि गरीबों के जीरो बैलेंस वाले सबसे ज्यादा खाते एसबीआई के पास ही हैं। उन्होंने कहा कि सेवा शुल्क के नाम पर ऐसे खाताधारकों से वसूली अनुचित है।

आरबीआई ने दे रखी चार बार से ज्यादा निकासी की छूट थी
भारतीय रिजर्व बैंक ने सितंबर 2013 में स्पष्ट निर्देश दिया था कि ऐसे खाताधारकों को एक महीने में चार बार से ज्यादा निकासी की अनुमति होगी। बैंक ऐसे लेनदेन पर शुल्क नहीं ले सकते। बुनियादी खातों को परिभाषित करते हुए सस्ती परिचालन क्षमता को स्पष्ट किया गया था कि अनिवार्य मुफ्त बैंकिंग सेवा के अलावा जब तक यह खाता बीएसबीडीए है, बैंक अपनी मर्जी से किसी अतिरिक्त मूल्य संवर्धित सेवाओं के लिए भी किसी भी शुल्क नहीं वसूल कर सकता है। आरबीआई चार बार से ज्यादा निकासी को मूल्य संवर्धित सेवा मानता है।

अध्ययन में कहा गया है कि एसबीआई ने प्रधानमंत्री जन धन योजना की भी अनदेखी की है। उन्होंने कहा कि देश में जहां डिजिटल लेनदेन को जोरशोर से बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं एसबीआई ऐसे लोगों से शुल्क वसूल कर उन्हें हतोत्साहित कर रहा है। यह आर्थिक समावेशन की भावना को बौना बनाना है।

IDBI ने तब 10 बार से ज्यादा निकासी पर लगाई रोक
आईडीबीआई के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने तो 1 जनवरी, 2021 से यूपीआई / भीम / आईएमपीएस / एनईएफटी और डेबिट कार्ड के इस्तेमाल पर प्रत्येक ट्रांसमिशन पर 20 रुपये शुल्क लगाने को उचित माना था। यहां तक ​​कि एटीएम से नकद निकासी पर 40 रुपये शुल्क और एक महीने में 10 गुना से ज्यादा निकासी पर निकासी की सुविधा तक बंद करने की शर्त रखी गई है।

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भारतीय स्टेट बैंक सहित विभिन्न बैंकों ने जीरो बैलेंस वाले गरीब लेखाकारों पर विभिन्न सेवा शर्तों में कई तरह के मनमाने शुल्क लागू कर दिए हैं। आईआईटी बॉम्बे ने अपने एक डेवलपर में बताया कि एसबीआई ने जीरो बैलेंस वाले खाताधारकों यानी बुनियादी बचत बैंक जमा खाते (बीएसबीडीए) शेयरधारकों के चार बार से ज्यादा पैसे निकालने पर हर बार 17.70 रुपये का शुल्क लेने का फैसला लिया था। उसी के तहत एसबीआई ने 2015 से 2020 के बीच लगभग 12 करोड़ बुनियादी खाताधारकों से 300 करोड़ रुपये से ज्यादा वसूले हैं।

आईआईटी बॉम्बे के शोधकर्ता ने कहा, यह आरबीआई के नियम का उल्लंघन है

वहीं, भारत के दूसरे सबसे बड़े बैंक पीएनबी ने इसी अवधि में 3.9 करोड़ गरीब खाताधारकों से 9.9 करोड़ रुपये वसूल किए हैं। अध्ययन करने वाले साथ आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर आशीष दास ने कहा कि डिजिटल भुगतान सहित एक महीने में चार बार से ज्यादा प्रति निकासी पर 17.70 रुपये का शुल्क वसूलना रिजर्व बैंक के नियमों का सुनियोजित उल्लंघन है। उल्लेखनीय है कि गरीबों के जीरो बैलेंस वाले सबसे ज्यादा खाते एसबीआई के पास ही हैं। उन्होंने कहा कि सेवा शुल्क के नाम पर ऐसे खाताधारकों से वसूली अनुचित है।

आरबीआई ने दे रखी चार बार से ज्यादा निकासी की छूट थी

भारतीय रिजर्व बैंक ने सितंबर 2013 में स्पष्ट निर्देश दिया था कि ऐसे खाताधारकों को एक महीने में चार बार से ज्यादा निकासी की अनुमति होगी। बैंक ऐसे लेनदेन पर शुल्क नहीं ले सकते। बुनियादी खातों को परिभाषित करते हुए सस्ती परिचालन क्षमता को स्पष्ट किया गया था कि अनिवार्य मुफ्त बैंकिंग सेवा के अलावा जब तक यह खाता बीएसबीडीए है, बैंक अपनी मर्जी से किसी अतिरिक्त मूल्य संवर्धित सेवाओं के लिए भी किसी भी शुल्क नहीं वसूल कर सकता है। आरबीआई चार बार से ज्यादा निकासी को मूल्य संवर्धित सेवा मानता है।

अध्ययन में कहा गया है कि एसबीआई ने प्रधानमंत्री जन धन योजना की भी अनदेखी की है। उन्होंने कहा कि देश में जहां डिजिटल लेनदेन को जोरशोर से बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं एसबीआई ऐसे लोगों से शुल्क वसूल कर उन्हें हतोत्साहित कर रहा है। यह आर्थिक समावेशन की भावना को बौना बनाना है।

IDBI ने तब 10 बार से ज्यादा निकासी पर लगाई रोक

आईडीबीआई के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने तो 1 जनवरी, 2021 से यूपीआई / भीम / आईएमपीएस / एनईएफटी और डेबिट कार्ड के इस्तेमाल पर प्रत्येक ट्रांसमिशन पर 20 रुपये शुल्क लगाने को उचित माना था। यहां तक ​​कि एटीएम से नकद निकासी पर 40 रुपये शुल्क और एक महीने में 10 गुना से ज्यादा निकासी पर निकासी की सुविधा तक बंद करने की शर्त रखी गई है।

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