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चंडीगढ़ : राष्ट्रीय कोविएशन नीति को हाईकोर्ट में चुनौती, केंद्र से नि:शुल्क टीकाकरण की मांग

by Sneha Shukla

अमर उजाला नेटवर्क, चंडीगढ़

द्वारा प्रकाशित: दुष्यंत शर्मा
Updated Sun, 02 May 2021 01:37 AM IST

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भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 21 अप्रैल को घोषित राष्ट्रीय कोविएशन (कोरोनावायरस) नीति को रद्द करने की मांग करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कंपनियों द्वारा कोविशील्ड व कोवाक्सिन की कीमत को रद्द करने और केंद्र सरकार से नि: शुल्क वसूली की मांग की गई है।

पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में कानून के छात्र अभिषेक मल्होत्रा ​​द्वारा दायर याचिका में एक रिपोर्ट का हवाला देकर बताया गया कि कोविशील्ड ने प्राथमिक अस्पतालों के लिए जो रेट्रो तय किया है, वह दुनिया में सबसे अधिक है। इसलिए टीकाकरण का पूरा काम केंद्र नि: शुल्क करे। जिसके तहत 18 से 45 वर्ष की आयु के लोगों को वैक्सीन का काम राज्य सरकार का होगा। केंद्र सरकार को इसके लिए राज्य को नि: शुल्क वैक्सीन जारी करना चाहिए। इसके तहत राज्य सरकारों को वैक्सीन की खरीद कंपनी से खुद करनी होगी।

याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार उम्र के आधार पर लोगों के साथ कैसे भेदभाव कर सकती है। जब 45 साल से ज्यादा की उम्र वालों को नि: शुल्क वैक्सीन लगाई गई है तो बाकी को राज्यों की इच्छा पर कैसे छोड़ा जा सकता है।) याचिका में बताया गया कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया व भारत बॉयोटेक द्वारा राज्य सरकार और निजी अस्पतालों के लिए निर्धारित फिक्स्ड मूल्य काफी कम हैं। मध्यम वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों पर वैक्सीन का खर्च डालना उचित नहीं है।

याचिका में बताया गया कि कोरोना संक्रमण ने पंजाब, हरियाणा और यूटी चंडीगढ़ के विभिन्न जिलों के साथ-साथ पूरे देश को भी प्रभावित किया है। जिसने सार्वजनिक जीवन को पंगु बना दिया है। महामारी के मद्देनजर को विभाजित अस्पतालों में मरीजों की बाढ़ आ गई है। अस्पतालों में मैनपावर और सुविधाओं की कमी है। ऐसे में केंद्र सरकार टीकाकरण के बारे में अपने आदेश को रद्द कर सभी वर्ग के लोगो को नि: शुल्क वैक्सीन जारी रखे। याचिका में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के सचिव को प्रतिवादी बनाया गया है।

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भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 21 अप्रैल को घोषित राष्ट्रीय कोविएशन (कोरोनावायरस) नीति को रद्द करने की मांग करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कंपनियों द्वारा कोविशील्ड व कोवाक्सिन की कीमत को रद्द करने और केंद्र सरकार से नि: शुल्क वसूली की मांग की गई है।

पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में कानून के छात्र अभिषेक मल्होत्रा ​​द्वारा दायर याचिका में एक रिपोर्ट का हवाला देकर बताया गया कि कोविशील्ड ने प्राथमिक अस्पतालों के लिए जो रेट्रो तय किया है, वह दुनिया में सबसे अधिक है। इसलिए टीकाकरण का पूरा काम केंद्र नि: शुल्क करे। जिसके तहत 18 से 45 वर्ष की आयु के लोगों को वैक्सीन का काम राज्य सरकार का होगा। केंद्र सरकार को इसके लिए राज्य को नि: शुल्क वैक्सीन जारी करना चाहिए। इसके तहत राज्य सरकारों को वैक्सीन की खरीद कंपनी से खुद करनी होगी।

याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार उम्र के आधार पर लोगों के साथ कैसे भेदभाव कर सकती है। जब 45 साल से ज्यादा की उम्र वालों को नि: शुल्क वैक्सीन लगाई गई है तो बाकी को राज्यों की इच्छा पर कैसे छोड़ा जा सकता है।) याचिका में बताया गया कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया व भारत बॉयोटेक द्वारा राज्य सरकार और निजी अस्पतालों के लिए निर्धारित फिक्स्ड मूल्य काफी कम हैं। मध्यम वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों पर वैक्सीन का खर्च डालना उचित नहीं है।

याचिका में बताया गया कि कोरोना संक्रमण ने पंजाब, हरियाणा और यूटी चंडीगढ़ के विभिन्न जिलों के साथ-साथ पूरे देश को भी प्रभावित किया है। जिसने सार्वजनिक जीवन को पंगु बना दिया है। महामारी के मद्देनजर को विभाजित अस्पतालों में मरीजों की बाढ़ आ गई है। अस्पतालों में मैनपावर और सुविधाओं की कमी है। ऐसे में केंद्र सरकार टीकाकरण के बारे में अपने आदेश को रद्द कर सभी वर्ग के लोगो को नि: शुल्क वैक्सीन जारी रखे। याचिका में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के सचिव को प्रतिवादी बनाया गया है।

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