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कोरोना वायरस

चिकित्सकों का दावा : पानी से शरीर में नहीं फैलता कोरोना वायरस, नदी में नहाने व पानी पीने से नहीं है खतरा

by Sneha Shukla

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ

द्वारा प्रकाशित: पंकज श्रीवास्तव
अपडेटेड थू, 13 मई 2021 12:15 AM IST

सार

यूपी व बिहार की सीमा पर गंगा में बहते मिले शवों को लेकर जहां स्थानीय लोग भयभीत हैं वहीं चिकित्सा विशेषज्ञों का दावा है कि कोरोना का वायरस पानी से शरीर में नहीं फैलता है।

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यूपी व बिहार की सीमा पर गंगा में बहते मिले शवों को लेकर जहां स्थानीय लोग भयभीत हैं वहीं चिकित्सा विशेषज्ञों का दावा है कि कोरोना का वायरस पानी से शरीर में नहीं फैलता है। उनका कहना है कि शरीर से निकलकर वायरस जब पानी में जाता है तो वहां ज्यादा सक्रिय नहीं रहता है।

विशेषज्ञों ने कहा कि इस वायरस की चपेट में आकर दम तोड़ने वाले का शव पानी में है तो उसके जरिये दूसरे लोगों तक वायरस पहुंचने का अभी तक कोई प्रमाण नहीं मिला है। इसलिए नदी में स्नान और पानी पीने से कोरोना संक्रमण होने की संभावना नहीं है। इतना जरूर है कि यदि संबंधित पानी प्रदूषित है तो पेट और त्वचा रोग हो सकता है।

ज्यादातर मामलों में नाक से जाता है वायरस
पीपीपीआई के निदेशक प्रो। आरके धीमान ने बताया कि अभी तक पानी से वायरस के फैलाव को लेकर कोई स्टडी नहीं आई है। इतना जरूर है कि यह वायरस नाक के ज़रिए शरीर में प्रवेश करता है। कुछ मामलों में मुंह से भी संक्रमण के सुबूत मिले हैं। सांस लेने के दौरान नाक से वायरस के शरीर में जाने की वजह से फेफड़े में संक्रमण होता है।

शरीर में लंबे समय तक रह सकता है
केजीएमयू माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। शीतल वर्मा ने बताया कि कोरोनावायरस नॉन लिविंग होता है। यह मनुष्य के शरीर से बाहर निकलने पर लगभग 24 घंटे बाद खत्म हो जाता है। लेकिन शरीर में पहुंचने के बाद तेजी से राइबोसोम की मदद से डुप्लीकेट वर्जन तैयार करता है।

ऐसे में यदि किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो भी उसके जरिये दूसरों में वायरस फैलने की आशंका बनी रहती है। शून्य तापमान पर भी यह शरीर में जिंदा रहता है। लेकिन हानिकारक शव के पानी में होने पर यह पानी के जरिये एक जगह से दूसरी जगह तक नहीं हो सकता।

विस्तार

यूपी व बिहार की सीमा पर गंगा में बहते मिले शवों को लेकर जहां स्थानीय लोग भयभीत हैं वहीं चिकित्सा विशेषज्ञों का दावा है कि कोरोना का वायरस पानी से शरीर में नहीं फैलता है। उनका कहना है कि शरीर से निकलकर वायरस जब पानी में जाता है तो वहां ज्यादा सक्रिय नहीं रहता है।

विशेषज्ञों ने कहा कि इस वायरस की चपेट में आकर दम तोड़ने वाले का शव पानी में है तो उसके जरिये दूसरे लोगों तक वायरस पहुंचने का अभी तक कोई प्रमाण नहीं मिला है। इसलिए नदी में स्नान और पानी पीने से कोरोना संक्रमण होने की संभावना नहीं है। इतना जरूर है कि यदि संबंधित पानी प्रदूषित है तो पेट और त्वचा रोग हो सकता है।

ज्यादातर मामलों में नाक से जाता है वायरस

पीपीपीआई के निदेशक प्रो। आरके धीमान ने बताया कि अभी तक पानी से वायरस के फैलाव को लेकर कोई स्टडी नहीं आई है। इतना जरूर है कि यह वायरस नाक के ज़रिए शरीर में प्रवेश करता है। कुछ मामलों में मुंह से भी संक्रमण के सुबूत मिले हैं। सांस लेने के दौरान नाक से वायरस के शरीर में जाने की वजह से फेफड़े में संक्रमण होता है।

शरीर में लंबे समय तक रह सकता है

केजीएमयू माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। शीतल वर्मा ने बताया कि कोरोनावायरस नॉन लिविंग होता है। यह मनुष्य के शरीर से बाहर निकलने पर लगभग 24 घंटे बाद खत्म हो जाता है। लेकिन शरीर में पहुंचने के बाद तेजी से राइबोसोम की मदद से डुप्लीकेट वर्जन तैयार करता है।

ऐसे में यदि किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो भी उसके जरिये दूसरों में वायरस फैलने की आशंका बनी रहती है। शून्य तापमान पर भी यह शरीर में जिंदा रहता है। लेकिन हानिकारक शव के पानी में होने पर यह पानी के जरिये एक जगह से दूसरी जगह तक नहीं हो सकता।

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