रोग के संक्रमण से राहत देने के लिए रोगाणुनाशक या रोगाणुरोधक रोग के इलाज के लिए रोगाणुरोधक रोग ठीक हों।. . . . . . . . . तो रहे ना हों । महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान जैसे राज्य में इस खतरनाक संक्रमण की वजह से कई लोगों की जान जा चुकी है तो बहुत से लोग हल्केपन का शिकार हो गए हैं। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने शुक्रवार को ब्लैक फंगस को लेकर कई महत्वपूर्ण बदलाव साझा किए। ढूंढें।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, जागरूकता और जागरूकता और शुरुआती पहचान फंगल इन्फेक्शन को फैलाने से रोका जा सकता है। ’’ उन्होंने ट्विटर पर चार स्लाइड शेयर किए हैं, जिनमें काफी महत्वपूर्ण बदलाव दिए गए हैं। कहा️ म्यू️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️! म्यूकोरमाइकोसिस से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए डॉ यह दवा लिख रहे हैं।
म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस क्या है?
से आ पर्यावरणीय
यह भी आगे: कोरोना रोगियों में के लिए मुसीबत बना म्यूकोरमाइकोसिस, जानें क्या बला है ये ब्लैक फंगस?
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हर्ष गया गया ️ आईसी संवेदनशील होते हैं।
#म्यूकोर्मिकोसिस, साधारणतया जाना जाता है ‘#काली फफूंदी‘की संख्या में देखा गया है #COVID-19 हाल ही में रोगियों।
जागरूकता और शीघ्र निदान फंगल संक्रमण के प्रसार को रोकने में मदद कर सकता है। यहां इसका पता लगाने और प्रबंधन करने का तरीका बताया गया है # भारतफोर्ट्सकोना @MoHFW_INDIA pic.twitter.com/lC6iSNOxGF
– डॉ। हर्षवर्धन (@drharshvardhan) 14 मई, 2021
सैंटकोरमाइकर के
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि मकोरमाइकोसिस से पीड़ित लोगों के आंख या नाक के पास लाल निशान दिख सकते हैं या दर्द हो सकता है। इसके अलावा फू, सिरदर्द, कफ, सांस लेने में तकलीफ, खून की उल्टी और मानसिक संतुलन में परिवर्तन जैसे लक्षण हो सकते हैं।
क्या करें, क्या नहीं?
स्वास्थ्य मंत्री की ओर से साझा एक अन्य स्लाइड में कहा गया है कि हाइपरग्लाइकेमिया को नियंत्रित रखा जाएगा। डायबिटीज से ग्रस्त लोग यदि को विभाजित क्षमता होते हैं तो डिस्चार्ज होने के बाद ब्लड ग्लूकोज लेवल पर ध्यान दें। बोतल का इस्तेमाल सावधानीपूर्वक किया जाए। वातावरण के वातावरण और वातावरण के वातावरण का उपयोग करता है। भौतिक वैश्विक और भिन्न भिन्न प्रकार के भिन्न प्रकार से भिन्न होते हैं.
लोगों को सलाह दी गई है कि लक्षणों को नजरअंदाज ना करें। नाक बंद होने के सभी मामले को बैक्टीरियल मिनस ना समझे खासकर कोरोना रोगियों में। जांच कराने से ना हिचकें और इसका इलाज में देर ना की जाए।
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