पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी के बड़े-बड़े नेताओं को तोड़कर भाजपा में लाने और चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंकने के बाद भी बीजेपी 100 सीट नहीं जीत सकी। टीएमसी 216 सीटें जीत चुकी हैं या आगे चल रही हैं। बीजेपी 75 पर सिमट रही है। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात ये रही कि तीनों को छोड़कर टीएमसी से रिजफा देकर बीजेपी में शामिल हुए सभी विधायक चुनाव हार गए। राजनीतिक बयान का कहना है कि टीएमसी के बागी पार्टी बदल कर बीजेपी में तो शामिल हो गए लेकिन तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर से पीछा नहीं छुड़ा सकी।
टीएमसी से बीजेपी में शामिल विधानसभा चुनाव लड़े जो तीन नेता जीत सके उनमें सबसे पहला नाम नंदीग्राम से जीत सुवेंदु अधिकारी का है जिन्होंने टीएमसी सुप्रीमो और सीएम ममता बनर्जी को पुरस्कार दिया है। सुवेंदु दिसंबर, 2020 में बीजेपी में शामिल हुए और इससे पहले तक ममता के कर्बी सिपहसालार माने थे। टीएमसी से 2017 में ही बीजेपी में पहुंचे मुकुल रॉय भी कृष्णानगर सीट जीत गए हैं जहां उन्होंने टॉलीवुड एक्टर कौशानी मुखर्जी को फोन किया। उत्तर बंगाल में नाटाबाड़ी सीट से टीएमसी विधायक रहे मिहिर गोस्वामी जीत गए हैं जो नवंबर, 2020 में बीजेपी में आए थे।
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चुनाव विश्लेषक और राजनैतिककार कहते हैं कि 2017 के बाद से टीएमसी के 37 विधायकों सहित लगभग 140 प्रमुखों ने भाजपा का मूल्य प्रदेश घोषित किया है। इनमें से कई ऐसे भी थे जिन्होंने 2020 के अंत में और 2021 की शुरुआत में बीजेपी में एंट्री ली लेकिन उन्हें टिकट मिल गया। लेकिन चाहे वे सिंगुर आंदोलन के प्रमुख पहलू रहे पूर्व मंत्री राजीब बनर्जी हों या रवींद्रनाथ भट्टाचार्य हों या फिर मुकुल रॉय के पुत्र शुभ्रांशु रॉय, सब हार गए।
चुनावों के नतीजों के बदलने के बीच बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा- “ये ठीक बात है कि हमें मनचाहा नतीजा नहीं मिला। हमें देखना होगा कि कहां गलती हुई।” मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के गृह क्षेत्र भवानीपुर में बीजेपी ने टीएमसी से आए रुद्रनील घोष को उतारा जहां ममता ने ऊर्जा मंत्री सोवनदेब चटर्जी को फटया। घोष हार गया। टीएमसी से बीजेपी में आए विधायकों में बाली से वैशाली डालमिया, डायमंड हार्बर से दीपक हलदर, उत्तरपाड़ा से प्रबीर घोषाल और कालना सीट से बिश्वजीत कुंडु भी चुनाव हार गए।
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और टीएमसी से आए विधायकों और बड़े नेताओं की ये हार तब हुई जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित कई बड़े बीजेपी नेता उनके लिए प्रचार करने आए थे। राजीव बनर्जी, बैशाली डालमिया और प्रबीर वसशाल को तो बीजेपी में अमित शाह की मौजूदगी में दिल्ली में शामिल किया गया था और इन तीनों को ट्वीट फ्लाइट से कोलकाता से दिल्ली लाया गया था। अमित शाह ने ममता बनर्जी भवानीपुर में रूद्रनील घोष के लिए प्रचार किया जो ममता बनर्जी का सीट सीट है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार टीएमसी को छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए नेताओं को गद्दार बता रही थीं और आरोप लगा रहे थे कि जो-जो छोड़कर गए वो सब भ्रष्टाचार में आकांठ डूबे हुए थे। ममता सरकार में मंत्री पार्था चटर्जी कहते हैं- “ये नतीजे बाहरी लोगों को लगाकर ताकत से बंगाल पर कब्जा जमाने की बीजेपी की कोशिश, भ्रष्ट नेताओं और केंद्रीय एजेंसियों के खिलाफ आम लोगों के विरोध की झलक है।”
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