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कोरोना स्वास्थ्यकर्मी

दर्दनाक : अस्पतालों में ऑक्सीजन और बिस्तर की कमी से एबुंलेस में दम तोड़ रहे डॉक्टर्स, आईएमए की चुप्पी पर उठ रहे सवाल

by Sneha Shukla

राहुल संपल, अमर उजाला, नई दिल्ली

द्वारा प्रकाशित: संजीव कुमार झा
अपडेटेड सन, 09 मई 2021 12:17 पूर्वाह्न IST

सार

डॉक्टर्स और उनके परिजन की परेशानियों को देखते हुए वरिष्ठ चिकित्सकों ने आईएमए से इस मामले में हस्तक्षेप करने देने का अनुरोध किया है। उनकी मांग है कि आईएमए देशभर में अपने पूर्वानुमान को को विभाजित कर केंद्र में तब्दील करे। जिसमें डॉक्टर्स का इलाज संभव हो सके।

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– फोटो: पीटीआई

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विस्तार

देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। इस बीच डॉ और स्वास्थ्यकर्मी भी दिन रात अपनी मेहनत से लोगों को संक्रमण से बचाने में जुटे हुए हैं। इस कठिन दौर में डॉक्टरों को भी अपने इलाज के लिए दर्रा भटकना पड़ा रहा। कोरोनायम होने के बाद डॉक्टर्स को सेलैटलों में न ऑक्सीजन मिल पा रहा है न ही बिस्तर। डॉक्टर्स और स्वास्थ्यकर्मी एबुलेंस में दम तोड़ रहा है। ऐसे में भारतीय मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की चुप्पी पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। डॉक्टर्स और उनके परिजन की परेशानियों को देखते हुए वरिष्ठ चिकित्सकों ने आईएमए से इस मामले में हस्तक्षेप करने देने का अनुरोध किया है। उनकी मांग है कि आईएमए देशभर में अपने पूर्वानुमान को को विभाजित कर केंद्र में तब्दील करे। जिसमें डॉक्टर्स का इलाज संभव हो सके।

मध्यप्रदेश इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज से निकले और 50 साल से दिल्ली में कार्यरत डॉ। हरीश भल्ला ने अमर उजाला से कहा, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन को कोरोना महामारी के दौर में डॉक्टरों की सुरक्षा और उनके उपचार की व्यवस्था को लेकए एक पत्र लिखा है। हमने आईएमए से अनुरोध किया है कि, आज कोरोनापोर्ट होने के बाद डॉ और उनके परिजन को भी किसी भी अस्पताल में एडमिट करने के लिए जगह नहीं मिल रही है। इससे वे लोग बेहद परेशान हैं। आज आईएमए के पास देशभर में सर्वसुविधा युक्त पूर्वानुमान हॉर्स, ऑडिटोरियम और बड़े हॉल है। हमारी मांग है कि इनका उपयोग डॉ और उनके परिजन के लिए होना चाहिए। यहां कोविड कैर सेंटर और आइसोलेशन सेंटर खोला जाना चाहिए ताकि इनका इलाज ठीक तरीके से हो सके।

डॉ.भल्ला ने आरोप लगाते हुए कहा कि, आज बड़ी संख्या में डॉ और उनके परिवार के सदस्य बीमार हो रहे हैं। वे दर दर भटक रहे है लेकिन कही कोई जगह नहीं मिल रही है। इस पर आईएमए पूरी तरह से शांत है। इस संकट की घड़ी में ये भी आईएमए डॉक्टरों के काम नहीं आ रहा है। केवल सरकार को पत्र लिखनाकर खानापूर्ति करने का दिखावा कर रहा है।

प्रैक्टली नहीं संभव है: आईएमए

इस मामले में भारतीय मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के महासचिव डॉ। जयेश लेले ने अमर उजाला से कहा, ये प्रैक्टली तौर पर बिल्कुल संभव नहीं है क्योंकि सभी कार्यालय में लोग काम भी करते हैं।]इस बीच में यदि कोई कोरोनाफॉर्म वहाँ आता है तो अन्य लोगों में भी संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ सकता है। जहां तक ​​तक गेस्ट हाउस में सेंटर खोलने का सवाल है तो वहां सभी सुविधाएं जुटाना भी असंभव है।

वहीं दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.जीएस ग्रेवाल ने अमर उजाला को बताया कि, हमारे स्थानों पर कोविड कैर सेंटर और आइसोलेशन सेंटर खोल भी दिया गया तो उनमें आक्सीजन सहित अन्य सुविधाएं कौन मुहैया करवाएं ये सबसे बड़ा सवाल है। जो भी कोविड कैर सेंटर होता है वह किसी अस्पताल से जुड़ा होता है। इसमें तमाम प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाएं होती हैं इसलिए प्रैक्टली संभवतः यह बिल्कुल संभव नहीं है।

आईएमए अपनी ही कम्युनिटी के लिए कुछ नहीं करता है

दिल्ली डायबिटीज रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर डॉ। अशोक झिंगन ने अमर उजाला से कहा, आज सरकारी हो या प्राथमिक अस्पताल कही भी डॉ और स्वास्थ्यकर्मियों को बिस्तर ही नहीं मिल रहा है। आए दिन ऐसे मामले में देखने को मिल रहे है कि जो डॉक्टर जिस भी अस्पताल में अपनी सेवा दे रहे है उन्हें भी वहाँ उपचार के लिए बेड नहीं मिल रहा है। कई डॉक्टर्स और स्वास्थ्यकर्मियों ने तो एर्न्स में बैठे ही अपनी जान तोड़ दी।

आज आईएमए ने अपने डॉक्टर्स की सुविधाओं के लिए देशभर में पूर्वानुमान हॉर्स और हॉल मेक रखा है। ऐसे समय में यदि इन कोविड कैर सेंटर या आइसोलेशन सेंटर बनाया जाता है तो डॉक्टर्स को बड़ी राहत मिलेगी। डॉक्टर्स के मन भी विश्वास रहेगा कि अगर वे लोगों के इलाज के दौरान चेतन होते हैं तो उन्हें अपने उपचार के लिए कहीं भटकना नहीं होगा। आसानी से सुविधा मिल सकेगी। उनके लिए उनके परिवार का ठीक से इलाज हो सकेगा। आज अगर आईएमए अपनी ही कम्युनिटी के लिए कुछ नहीं कर सकता तो बाकि के लिए क्या करेगा।

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