Home » दिल्ली : एम्स में स्वास्थ्य कर्मियों की कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग बंद, नए प्रोटोकॉल से रेमडेसिविर भी हटाया
एम्स दिल्ली

दिल्ली : एम्स में स्वास्थ्य कर्मियों की कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग बंद, नए प्रोटोकॉल से रेमडेसिविर भी हटाया

by Sneha Shukla

अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली

द्वारा प्रकाशित: त्रिपाठी की पूजा करें
Updated Sat, 24 Apr 2021 12:39 AM IST

सार

अस्पताल के निदेशक डॉ.रणदीप गुलेरिया की अध्यक्षता में गुरुवार देर शाम को हुई को विभाजित समीक्षा बैठक के बाद यह फैसला लिया गया।

ख़बर सुनकर

एम्स ने अपर्याप्त संसाधनों और स्टाफ की कमी के कारण कोरोनावायरस के चेतों के संपर्क में आए स्वास्थ्य कर्मियों की जांच बंद करने का फैसला किया।]अस्पताल के निदेशक डॉ.रणदीप गुलेरिया की अध्यक्षता में गुरुवार देर शाम को हुई को विभाजित समीक्षा बैठक के बाद यह फैसला लिया गया। बैठक के बाद नए प्रोटोकॉल में और भी कई महत्वपूर्ण बातें हैं जिन पर शुक्रवार से अमल शुरू हो गया है। नए प्रोटोकॉल में एक महत्वपूर्ण निर्णय रेमडेसिवर इंजेक्शन को लेकर भी किया गया है।

शिशु में उपयोग की इजाजत
नए प्रोटोकॉल के तहत कम गंभीर बीमारियों वाले कोरोनाटे रोगियों के इलाज में रेमडेसिवर दवा प्रयोग नहीं की जाएगी। हल्के रोगों वाले कोरोनाटे रोगियों के इलाज में इनहेलेरियल बुडेसोनाइड का इस्तेमाल किया जाएगा। नए प्रोटोकॉल में कहा गया है कि रेमडेसिवर इंजेक्शन का उपयोग रोगी की स्थिति के अनुसार किया जाएगा। डॉ। इमरजेंसी स्थिति में इसका उपयोग कर सकते हैं। गंभीर कोरोना संक्रमण वाले ऐसे रोगी जिनकी ऑक्सीजन लेवल 90 से कम और श्वास की गति प्रति मिनट 30 के ऊपर होगी उन्हे आइसीयू में विभाजित किया जाएगा।

कोरोना वेरिएंस की तीन और
नए प्रोटोकॉल के तहत कोरोना संभावितों की तीन श्रेणियों बनाई गई है। हल्के रोग वाले, कम गंभीर रोग वाले और गंभीर रोगों वाले कोरोनाटे रोगी। प्रोटोकॉल के तहत हल्के रोगों वाले कोरोनाटेन्स का होम आइसोलेशन में इलाज चलेगा। यदि इन रोगियों को साँस लेने में कठिनाई होगी या पाँच दिन से अधिक बुखार होगा या ऑक्सीजन संतृप्ति में परिवर्तन होता है, ताए तत्काल चिकित्सा सुविधा की आवश्यकता होगी।

अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार, बीते दिनों डॉक्टरों के अस्थिर होने के बाद अस्पताल प्रशासन ने संदिग्धों की संपर्क में आए अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की जांच शुरू की थी, लेकिन शुक्रवार से इस अभियान को रोक दिया गया है।

बैठक में हुए फैसलों के तहत केवल लक्षण वाले स्वास्थ्य कर्मियों की ही पहचान कर उनकी जांच की जाएगी और जिनकी जांच रिपोर्ट में कोरोना संक्रमण की पुष्टि होगी उन्हें ही क्वारंटीन में रखा जाएगा। अस्पताल का कहना है कि सीमित संसाधनों की वजह से यह निर्णय लिया गया है।

विस्तार

एम्स ने अपर्याप्त संसाधनों और स्टाफ की कमी के कारण कोरोनावायरस के टाइपों के संपर्क में आए स्वास्थ्य कर्मियों की जांच बंद करने का फैसला किया।]अस्पताल के निदेशक डॉ.रणदीप गुलेरिया की अध्यक्षता में गुरुवार देर शाम को हुई को विभाजित समीक्षा बैठक के बाद यह फैसला लिया गया। बैठक के बाद नए प्रोटोकॉल में और भी कई महत्वपूर्ण बातें हैं जिन पर शुक्रवार से अमल शुरू हो गया है। नए प्रोटोकॉल में एक महत्वपूर्ण फैसला रेमडेसिवर इंजेक्शन को लेकर भी किया गया है।

शिशु में उपयोग की इजाजत

नए प्रोटोकॉल के तहत कम गंभीर बीमारियों वाले कोरोनाटे रोगियों के इलाज में रेमडेसिवर दवा प्रयोग नहीं की जाएगी। हल्के रोगों वाले कोरोनाटे रोगियों के इलाज में इनहेलेरियल बुडेसोनाइड का इस्तेमाल किया जाएगा। नए प्रोटोकॉल में कहा गया है कि रेमडेसिवर इंजेक्शन का उपयोग रोगी की स्थिति के अनुसार किया जाएगा। डॉ। इमरजेंसी स्थिति में इसका उपयोग कर सकते हैं। गंभीर कोरोना संक्रमण वाले ऐसे रोगी जिनकी ऑक्सीजन लेवल 90 से कम और श्वास की गति प्रति मिनट 30 के ऊपर होगी उन्हे आइसीयू में विभाजित किया जाएगा।

कोरोना वेरिएंस की तीन और

नए प्रोटोकॉल के तहत कोरोना संभावितों की तीन श्रेणियों बनाई गई है। हल्के रोग वाले, कम गंभीर रोग वाले और गंभीर रोगों वाले कोरोनाटे रोगी। प्रोटोकॉल के तहत हल्के रोगों वाले कोरोनाटेन्स का होम आइसोलेशन में इलाज चलेगा। यदि इन रोगियों को सांस लेने में कठिनाई होगी या पांच दिन से अधिक बुखार होगा या ऑक्सीजन संतृप्ति में परिवर्तन होता है, ताए तत्काल चिकित्सा सुविधा की आवश्यकता होगी।

अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार, बीते दिनों डॉक्टरों के संदिग्ध होने के बाद अस्पताल प्रशासन ने संदिग्धों की संपर्क में आए अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की जांच शुरू की थी, लेकिन शुक्रवार से इस अभियान को रोक दिया गया है।

बैठक में हुए फैसलों के तहत केवल लक्षण वाले स्वास्थ्य कर्मियों की ही पहचान कर उनकी जांच की जाएगी और जिनकी जांच रिपोर्ट में कोरोना संक्रमण की पुष्टि होगी उन्हें ही क्वारंटीन में रखा जाएगा। अस्पताल का कहना है कि सीमित संसाधनों की वजह से यह निर्णय लिया गया है।

HomepageClick Hear

Related Posts

Leave a Comment