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प्रतीकात्मक तस्वीर

दिल्ली में ऑक्सीजन आपदा : 14वें दिन भी नहीं बदले हालात, अस्पतालों में घनघनाते रहे फोन

by Sneha Shukla

अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली

द्वारा प्रकाशित: दुष्यंत शर्मा
Updated Mon, 03 मई 2021 03:56 AM IST

ख़बर सुनकर

दिल्ली में ऑक्सीजन का संकट खत्म होने का नाम नहीं लिया जा रहा है। रविवार को 14 वें दिन भी राजधानी के हालात में कोई सुधार नहीं हुआ। स्थिति यह हो रही है कि दिन भर अस्पतालों से फोन घनघना रहे थे। इतना ही नहीं ऑक्सीजन टैंकर को लेकर बनाए गए ट्रैकर बोर्ड के सदस्य भी अब परेशान होने लगे हैं।

इसी बोर्ड के एक सदस्य का यहां तक ​​कहना है कि जब वे रात में घर पहुंचते हैं तो सपने में भी सोते-सोते फोन उठाता है। उन्हें ऑक्सीजन ही सुनाई देता है। 15 से 16 घंटे तक ड्यूटी करने के दौरान यह तनाव रहता है कि टैंकर का लोकेशन क्या है? अस्पतालों से कॉल आने के साथ ही सरकार का दबाव भी चरम है। ऐसे में घबराहट भी रहती है कि कहीं कोई बड़ी घटना न हो जाए।

रविवार को भी राजधानी के अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म होने की समस्याएं देखने को मिलीं। जनकपुरी के ब्रेन वल्र्ड अस्पताल में ऑक्सीजन कम होने के बाद मरीजों को डिस्चॉर्ज करना शुरू कर दिया। इस अस्पताल से कोरोना के आठ रोगियों को डिस्चॉर्ज किया गया। वहीं सिरीफर्ट इलाके में मौजूद डाउनलोड अस्पताल ने मरीजों के परिजनों से यह लिखावाया है कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से किसी मरीज की तबीयत बिगड़ती है या उनकी मौत होती है तो वे अस्पताल को जिम्मेदार नहीं रोकते हैं।

अस्पताल ऑक्सीजन की कमी के लिए जिम्मेदार नहीं है। ऑनलाइन अस्पताल की आरएमओ डॉ। अनुषा गुडुमुला ने बताया कि अस्पताल में 30 मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर भर्ती हैं। ऑक्सीजन की कमी की वजह से जिन रोगियों को तीन लीटर ऑक्सीजन की जरूरत है तो उन्हें दो लीटर ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जा रहा है क्योंकि पिछले कुछ दिनों से लगातार ऑक्सीजन कम आ रही है।

उनके अलावा मालवीय नगर स्थित मधुकर चिल्ड्रन अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होने का प्रकटन शुरू हो गया है। यहां 26 आईसीयू बिस्तर में से 21 मरीज आईसीयू में उच्च कब्ज वाले ऑक्सीजन बिस्तरों पर हैं। इनमें गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चे भी शामिल हैं। दोपहर 12 बजे तक कई फोन कॉल करने के बाद अस्पताल ने तब राहत की सांस ली जब उनके सामने टैंकर आता दिखाई दिया।

वहीं, शाम होते होते सीताराम भरतिया अस्पताल से ऑक्सीजन खत्म होने का आभास हो रहा है। यहां 40 मरीजों को तत्काल ऑक्सीजन की आवश्यकता थी। उनके अलावा आकाश अस्पताल से भी ऑक्सीजन खत्म होने की सूचना मिलना शुरू हो गई है। यहां लगभग 200 मरीजों की जान आफत में आई।

सीताराम भरतिया अस्पताल ने बताया कि उनके पास टैंकर तो नहीं आए लेकिन सरकार ने 20 सिलेंडर पहुंचाए हैं लेकिन इनसे अधिक काम चल सकता है। अस्पतालों से मिलने आने का सिलसिला देर रात तक चलता रहा है। विम्हंस अस्पताल ने भी ऑक्सीजन खत्म होने की जानकारी सरकार को दी है। हालांकि खबर लिखे जाने तक वहां टैंकर नहीं पहुंचा था।

विस्तार

दिल्ली में ऑक्सीजन का संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। रविवार को 14 वें दिन भी राजधानी के हालात में कोई सुधार नहीं हुआ। स्थिति यह हो रही है कि दिन भर अस्पतालों से फोन घनघना रहे थे। इतना ही नहीं ऑक्सीजन टैंकर को लेकर बनाए गए ट्रैकर बोर्ड के सदस्य भी अब परेशान होने लगे हैं।

इसी बोर्ड के एक सदस्य का यहाँ तक कहना है कि जब वे रात में घर पहुंचते हैं तो सपने में भी सोते-सोते फोन उठाते हैं। उन्हें ऑक्सीजन ही सुनाई देता है। 15 से 16 घंटे तक ड्यूटी करने के दौरान यह तनाव रहता है कि टैंकर का लोकेशन क्या है? अस्पतालों से कॉल आने के साथ ही सरकार का दबाव भी चरम है। ऐसे में घबराहट भी रहती है कि कहीं कोई बड़ी घटना न हो जाए।

रविवार को भी राजधानी के अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म होने की समस्याएं देखने को मिलीं। जनकपुरी के ब्रेन वल्र्ड अस्पताल में ऑक्सीजन कम होने के बाद मरीजों को डिस्चॉर्ज करना शुरू कर दिया। इस अस्पताल से कोरोना के आठ रोगियों को डिस्चॉर्ज किया गया। वहीं सिरीफर्ट इलाके में मौजूद डाउनलोड अस्पताल ने मरीजों के परिजनों से यह लिखावाया है कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से किसी मरीज की तबीयत बिगड़ती है या उनकी मौत होती है तो वे अस्पताल को जिम्मेदार नहीं रोकते हैं।

अस्पताल ऑक्सीजन की कमी के लिए जिम्मेदार नहीं है। ऑनलाइन अस्पताल की आरएमओ डॉ। अनुषा गुडुमुला ने बताया कि अस्पताल में 30 मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर भर्ती हैं। ऑक्सीजन की कमी की वजह से जिन रोगियों को तीन लीटर ऑक्सीजन की जरूरत है तो उन्हें दो लीटर ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जा रहा है क्योंकि पिछले कुछ दिनों से लगातार ऑक्सीजन कम आ रही है।

उनके अलावा मालवीय नगर स्थित मधुकर चिल्ड्रन अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होने का प्रकटन शुरू हो गया है। यहां 26 आईसीयू बिस्तर में से 21 मरीज आईसीयू में उच्च कब्ज वाले ऑक्सीजन बिस्तरों पर हैं। इनमें गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चे भी शामिल हैं। दोपहर 12 बजे तक कई फोन कॉल करने के बाद अस्पताल ने तब राहत की सांस ली जब उनके सामने टैंकर आता दिखाई दिया।

वहीं, शाम होते होते सीताराम भरतिया अस्पताल से ऑक्सीजन खत्म होने का आभास हो रहा है। यहां 40 मरीजों को तत्काल ऑक्सीजन की आवश्यकता थी। उनके अलावा आकाश अस्पताल से भी ऑक्सीजन खत्म होने की सूचना मिलना शुरू हो गई है। यहां लगभग 200 मरीजों की जान आफत में आई।

सीताराम भरतिया अस्पताल ने बताया कि उनके पास टैंकर तो नहीं आए लेकिन सरकार ने 20 सिलेंडर पहुंचाए हैं लेकिन इनसे अधिक काम चल सकता है। अस्पतालों से मिलने आने का सिलसिला देर रात तक चलता रहा है। विम्हंस अस्पताल ने भी ऑक्सीजन खत्म होने की जानकारी सरकार को दी है। हालांकि खबर लिखे जाने तक वहां टैंकर नहीं पहुंचा था।

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