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देर रात पहुंचे ऑक्सीजन सिलिंडर

दिल्ली में कोरोना : नजफगढ़ के राठी अस्पताल में पहुंचा ऑक्सीजन का स्टॉक, लेकिन कई जगह किल्लत

by Sneha Shukla

अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली

द्वारा प्रकाशित: दुष्यंत शर्मा
अपडेटेड थू, 22 अप्रैल 2021 02:02 AM IST

देर रात ऑक्सीजन सिलिंडर पहुंचे
– फोटो: एएनआई

ख़बर सुनकर

कोरोना की दूसरी लहर राजधानी में कहर बनकर टूट रही है। उस पर ऑक्सीजन की कमी ने हालात को लगभग अधिक से बाहर कर दिया है। मंगलवार की रात जीटीबी अस्पताल में देर रात ऑक्सीजन का टैंकर पहुंचा और करीब 500 मरीजों की जान में जान आई। लेकिन ऑक्सीजन की किल्लत लगातार जारी है और कई अस्पतालों में स्टॉक खत्म हो गया है। इस बीच दिल्ली के नजफगढ़ स्थित राठी अस्पताल में देर रात ऑक्सीजन का स्टॉक पहुंच गया।

लेकिन दिल्ली के कई अस्पतालों में अभी तक ऑक्सीजन का संकट बरकरार है। मैक्स अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि बीते मंगलवार रात शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी हो गई है। काफी समय से वह इसकी सूचना दिल्ली सरकार को दे रहे थे। उन्हें पता चला कि ऑक्सीजन की कमी दूर करने के लिए एक टैंकर उनके पास भेजा जा रहा है, लेकिन देर रात पता चला कि वह टैंकर शालीमार बाग न पहुंचकर दिल्ली एम्स भेज दिया। इसके कारण उनका ऑक्सीजन टैंक खाली हो गया। ऐसे गंभीर परिस्थिति में मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर के मोटेारे ही संभालना पड़ रहा है।

वर्तमान में अस्पताल प्रबंधन ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था मैक्स हेल्थ कैर नेटवर्क के दूसरे अस्पतालों से मांगकर कर रहे हैं। मैक्स के मुताबिक उनके 250 कोरोना मरीज भर्ती हैं, जिनमें ज्यादातर ऑक्सीजन सपोर्ट हैं। इस घटना की वजह से उनके मरीजों की सुरक्षा खतरे में पड़ी है और इससे हालात काफी गंभीर हो सकते हैं। मैक्स ने सरकार से अपील की है कि सरकारी ऑक्सीजन की आपूर्ति उनके अस्पतालों को सुनिश्चित करें। मैक्स प्रबंधन के मुताबिक उन्हें रोजाना 25 मैट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है। मैक्स प्रबंधन ने शिकायत की प्रति केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ। हर्षवर्धन को भी भीज़ है।

उधर इस मामले को लेकर एम्स प्रबंधन का कहना है कि उनके यहां मुख्य अस्पताल परिसर और ट्रामा सेंटर में कोरोना मरंज भर्ती हैं। मुख्य अस्पताल परिसर में 33 ऑक्सीज़न बेड हैं जबकि ट्रामा सेंटर में 226 ऑक्सीजन और 71 आईसीयू बेड हैं। बुधवार दोपहर को यह सभी पूरी तरह से भर चुके हैं और अब मरीजों को झज्जर स्थित एम्स के ही कैंसर अस्पताल में भेजा जा रहा है। एम्स प्रबंधन के अनुसार उन्होंने किसी भी अस्पताल के कोटा से ऑक्सीजन नहीं लिया है। उन्होंने आरोप से इंकार करते हुए कहा कि ऑक्सीजन वितरण की जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकार के पास है। इसमें अस्पताल के स्तर पर कोई हस्तक्षेपलअंदाजी नहीं है। ऐसे में एम्स पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं।

मैक्स के सभी अस्पतालों में कम बची ऑक्सीजन
मैक्स अस्पताल के अनुसार साकेत स्थित अस्पताल में 185 कोरोना मरीज हैं जिनके लिए अब केवल 18 घंटे की ऑक्सीजन बची है। वहीं मैक्स स्मार्ट में 235 मरीज और पटपडग़ंज स्थित अस्पताल में भर्ती 262 मरीजों के लिए तीन घंटे की ऑक्सीजन बची है। यही हाल शालीमार बाग स्थित अस्पताल का है जहां 285 मरीजों के लिए दो और वैशाली स्थित अस्पताल में 170 मरीजों के लिए आठ घंटे की अस्पताल शेष है।

विस्तार

कोरोना की दूसरी लहर राजधानी में कहर बनकर टूट रही है। उस पर ऑक्सीजन की कमी ने हालात को लगभग अधिक से बाहर कर दिया है। मंगलवार की रात जीटीबी अस्पताल में देर रात ऑक्सीजन का टैंकर पहुंचा और करीब 500 मरीजों की जान में जान आई। लेकिन ऑक्सीजन की किल्लत लगातार जारी है और कई अस्पतालों में स्टॉक खत्म हो गया है। इस बीच दिल्ली के नजफगढ़ स्थित राठी अस्पताल में देर रात ऑक्सीजन का स्टॉक पहुंच गया।

लेकिन दिल्ली के कई अस्पतालों में अभी तक ऑक्सीजन का संकट बरकरार है। मैक्स अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि बीते मंगलवार रात शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी हो गई है। काफी समय से वह इसकी सूचना दिल्ली सरकार को दे रहे थे। उन्हें पता चला कि ऑक्सीजन की कमी दूर करने के लिए एक टैंकर उनके पास भेजा जा रहा है, लेकिन देर रात पता चला कि वह टैंकर शालीमार बाग न पहुंचकर दिल्ली एम्स भेज दिया। इसके कारण उनका ऑक्सीजन टैंक खाली हो गया। ऐसे गंभीर परिस्थिति में मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर के मोटेारे ही संभालना पड़ रहा है।

वर्तमान में अस्पताल प्रबंधन ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था मैक्स हेल्थ कैर नेटवर्क के दूसरे अस्पतालों से मांगकर कर रहे हैं। मैक्स के मुताबिक उनके 250 कोरोना मरीज भर्ती हैं, जिनमें ज्यादातर ऑक्सीजन सपोर्ट हैं। इस घटना की वजह से उनके मरीजों की सुरक्षा खतरे में पड़ी है और इससे हालात काफी गंभीर हो सकते हैं। मैक्स ने सरकार से अपील की है कि सरकारी ऑक्सीजन की आपूर्ति उनके अस्पतालों को सुनिश्चित करें। मैक्स प्रबंधन के मुताबिक उन्हें रोजाना 25 मैट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है। मैक्स प्रबंधन ने शिकायत की प्रति केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ। हर्षवर्धन को भी भीज़ है।

उधर इस मामले को लेकर एम्स प्रबंधन का कहना है कि उनके यहां मुख्य अस्पताल परिसर और ट्रामा सेंटर में कोरोना मरंज भर्ती हैं। मुख्य अस्पताल परिसर में 33 ऑक्सीज़न बेड हैं जबकि ट्रामा सेंटर में 226 ऑक्सीजन और 71 आईसीयू बेड हैं। बुधवार दोपहर को यह सभी तरह से भर चुके हैं और अब मरीजों को झज्जर स्थित एम्स के ही कैंसर अस्पताल में भेजा जा रहा है। एम्स प्रबंधन के अनुसार उन्होंने किसी भी अस्पताल के कोटा से ऑक्सीजन नहीं लिया है। उन्होंने आरोप से इंकार करते हुए कहा कि ऑक्सीजन वितरण की जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकार के पास है। इसमें अस्पताल के स्तर पर कोई हस्तक्षेपलअंदाजी नहीं है। ऐसे में एम्स पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं।

मैक्स के सभी अस्पतालों में कम बची ऑक्सीजन

मैक्स अस्पताल के अनुसार साकेत स्थित अस्पताल में 185 कोरोना मरीज हैं जिनके लिए अब केवल 18 घंटे की ऑक्सीजन बची है। वहीं मैक्स स्मार्ट में 235 मरीज और पटपडग़ंज स्थित अस्पताल में भर्ती 262 मरीजों के लिए तीन घंटे की ऑक्सीजन बची है। यही हाल शालीमार बाग स्थित अस्पताल का है जहां 285 मरीजों के लिए दो और वैशाली स्थित अस्पताल में 170 मरीजों के लिए आठ घंटे की अस्पताल शेष है।

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