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harpal singh (left)

पाकिस्तान जासूसी मामला : 12 विदेशी नंबरों से गुप्त सूचनाएं भेज रहा था हरपाल 

by Sneha Shukla

पुरुषोत्तम वर्मा, नई दिल्ली

द्वारा प्रकाशित: दुष्यंत शर्मा
Updated Mon, 19 अप्रैल 2021 03:54 AM IST

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हरपाल सिंह (35) पिछले लगभग तीन साल से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को भारतीय सेना और बीएसएफ की गुप्त सूचनाएं भेज रहा था। वह भारत में विदेशी नंबर चलाकर गुप्ता सूचनाएँ ले रहा था। गुप्ता सूचना भेजने के लिए उसने अब तक लगभग 12 विदेशी नंबरों को इस्तेमाल किया है। इनमें कुछ मोबाइल नंबर ओमान, चार पाकिस्तान और दो बांग्लादेश सहित अन्य देशों के हैं। हरपाल ने भारत में इन संख्या पर व्हाट्सएप और मैसेंजर योजना और वाट्सएप कॉल करता था। देश की सुरक्षा एजेंसी के अधिकारियों का कहना है कि विदेशी नंबर से भारतीय सूचना भेजकर वह सुरक्षा एजेंसियों से बचना चहाता था। विदेशी नंबर को लोकेट करना मुश्किल होता है। दिल्ली पुलिस ने आरोपी हरपाल को दस दिन के पुलिस रिमांड पर ले रखा है।

वह पाकिस्तान में बैठे अपने आईएसआई के ब्रांड्सलर जसपाल को भारतीय नंबरों पर गुप्त सूचना देता था। पाकिस्तान में जसपाल भारतीय नंबर चला गया है। ये भारतीय नंबर हरपाल ने ही जसपाल तक पहुंचाए थे। हरपाल ने इन एक सिम कनॉटक, एक पश्चिमी बंगाल और दो पंजाब के नंबर हैं। ये संख्या पाकिस्तान में काफी समय से चल रही है। विशेष सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हरपाल के कब्जे से 12 विदेशी नंबर क्लिक कर रहे हैं। हालांकि एक विदेशी नंबर से कुछ समय तक गुप्त सूचना भेजने के बाद वह उसे बंद कर देता था। पुलिस अधिकारियों के अनुसार उसके मोबाइलों से काफी संवेदनशील गुप्त सूचनाएं व वीडियो मिली हैं। स्पेशल सेल इसके मोबाइल की फोरेंसिक रिपोर्ट मंगवा रही है।

ISI ने उसे ओमान में पकड़ा था-
विशेष सेल के अधिकारियों के अनुसार पेशे से मजदूर हरपाल सोशल मीडिया पर बहुत ही सक्रिय था। वह अपने घर व खेतों को गिरवी में जून, 2019 में ओमान गया था। उसके बाद दो साल से ज्यादा का वीजा था। लेकिन ये तीन महीने में ही ओमान से वापस आ गया था। तब से सुरक्षा एजेंसियां ​​इस पर नजर रख रही थीं। आरोपी ने पूछताछ में बताया कि ओमान में इसे जसपाल या उसका कोई आदमी नहीं मिला। ओमान में उसे आईएसआई के लिए काम करने के लिए तैयार किया गया। इसके लिए उसे मोटी रकम का लालच का दिया गया।

दुबई का बैंक खाता दे रखा था
आरोपी हरपाल को गुप्त सूचनाएं देता था कि उसकी मोटी रकम मिलती थी। उसे एक सूचना देने के 15 से 20 हजार रुपये मिलते थे। ये रकम उसे हवाला के जरिए मिलती थी। हालांकि उसे गांव मेहंदीपुर, तरनतारन पंजाब का लड़का दुबई में रहता है। उन्होंने अपने पीसीलर को दुबई में रहने वाले गांव के लड़के का बैंक खाता दे दिया था। गांव का ये लड़का उसे पैसे देता था। इस दुबई के लड़के के बैंक खाते की डिटेल खंगाल रही है।

मजदूर बनकर गुप्त सूचना हटाता था
विशेष सेल के पुलिस अधिकारियों के अनुसार आरोपी का मेहंदीपुर गांव पाकिस्तान-भारत बॉर्डर पर है। ये भारत के चार बॉर्डरों की सूचनाएँ ISI पीसीलर जसपाल को दी हैं। ये खेमकरण, अटारी, अमृतसर बीएसएफ कैंप सहित चार बॉर्डर्स की गुप्त सूचनाएं आईएसआई को दे चुकी है। इसी तरह ये मजूदर बनकर गुप्त सूचनाएं सामने आ गई थी। जैसा कि ये आमतौर पर नेता बनकर रहता था। इसके हा-भाव थे जैसे लोग।

सेना के किसी अधिकारी और कर्मचारी की भूमिका सामने आ सकती है …
विशेष सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बहुत ही गुप्त सूचनाएं दे चुकी है। इसने ऐसी-ऐसी गुप्त सूचनाएं दी हैं जो देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में मजदूर बनकर ये गुप्त सूचनाएं नहीं निकाल सकते। माना जा रहा है कि सेना का कोई अधिकारी या कर्मचारी इससे नहीं मिला है। इसकी मोबाइल की फोरेंसिक रिपोर्ट से पता चलेगा कि ये किस-किस के संपर्क में थी।

विस्तार

हरपाल सिंह (35) पिछले लगभग तीन साल से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को भारतीय सेना और बीएसएफ की गुप्त सूचनाएं भेज रहा था। वह भारत में विदेशी नंबर चलाकर गुप्ता सूचनाएँ ले रहा था। गुप्ता सूचना भेजने के लिए उसने अब तक लगभग 12 विदेशी नंबरों को इस्तेमाल किया है। इनमें कुछ मोबाइल नंबर ओमान, चार पाकिस्तान और दो बांग्लादेश सहित अन्य देशों के हैं। हरपाल ने भारत में इन संख्या पर व्हाट्सएप और मैसेंजर योजना और वाट्सएप कॉल करता था। देश की सुरक्षा एजेंसी के अधिकारियों का कहना है कि विदेशी नंबर से भारतीय सूचना भेजकर वह सुरक्षा एजेंसियों से बचना चहाता था। विदेशी नंबर को लोकेट करना मुश्किल होता है। दिल्ली पुलिस ने आरोपी हरपाल को दस दिन के पुलिस रिमांड पर ले रखा है।

वह पाकिस्तान में बैठे अपने आईएसआई के ब्रांड्सलर जसपाल को भारतीय नंबरों पर गुप्त सूचनाएं भेज रहा था। पाकिस्तान में जसपाल भारतीय नंबर चला गया है। ये भारतीय नंबर हरपाल ने ही जसपाल तक पहुंचाए थे। हरपाल ने इन एक सिम कनॉटक, एक पश्चिमी बंगाल और दो पंजाब के नंबर हैं। ये संख्या पाकिस्तान में काफी समय से चल रही है। स्पेशल सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हरपाल के कब्जे से 12 विदेशी नंबर क्लिक कर रहे हैं। हालांकि एक विदेशी नंबर से कुछ समय तक गुप्त सूचना भेजने के बाद वह उसे बंद कर देता था। पुलिस अधिकारियों के अनुसार उसके मोबाइलों से काफी संवेदनशील गुप्त सूचनाएं व वीडियो मिली हैं। स्पेशल सेल इसके मोबाइल की फोरेंसिक रिपोर्ट मंगवा रही है।

ISI ने उसे ओमान में पकड़ा था-

विशेष सेल के अधिकारियों के अनुसार पेशे से मजदूर हरपाल सोशल मीडिया पर बहुत ही सक्रिय था। वह अपने घर व खेतों को गिरवी में जून, 2019 में ओमान गया था। उसके बाद दो साल से ज्यादा का वीजा था। लेकिन ये तीन महीने में ही ओमान से वापस आ गया था। तब से सुरक्षा एजेंसियां ​​इस पर नजर रख रही थीं। आरोपी ने पूछताछ में बताया कि ओमान में इसे जसपाल या उसका कोई आदमी नहीं मिला। ओमान में उसे आईएसआई के लिए काम करने के लिए तैयार किया गया। इसके लिए उसे मोटी रकम का लालच का दिया गया।

दुबई का बैंक खाता दे रखा था

आरोपी हरपाल को गुप्त सूचनाएं देता था कि उसकी मोटी रकम मिलती थी। उसे एक सूचना देने के 15 से 20 हजार रुपये मिलते थे। ये रकम उसे हवाला के जरिए मिलती थी। हालांकि उसे गांव मेहंदीपुर, तरनतारन पंजाब का लड़का दुबई में रहता है। उन्होंने अपने पीसीलर को दुबई में रहने वाले गांव के लड़के का बैंक खाता दे दिया था। गांव का ये लड़का उसे पैसे देता था। इस दुबई के लड़के के बैंक खाते की डिटेल खंगाल रही है।

मजदूर बनकर गुप्त सूचना हटाता था

विशेष सेल के पुलिस अधिकारियों के अनुसार आरोपी का मेहंदीपुर गांव पाकिस्तान-भारत बॉर्डर पर है। ये भारत के चार बॉर्डरों की सूचनाएँ ISI हैंडसेटर जसपाल को दी हैं। ये खेमकरण, अटारी, अमृतसर बीएसएफ कैंप सहित चार बॉर्डर्स की गुप्त सूचनाएं आईएसआई को दे चुकी है। वैसे ये धार्मिकूदर बनकर गुप्त सूचनाएँ थीं। जैसा कि ये आमतौर पर नेता बनकर रहता था। इसके हा-भाव थे जैसे लोग।

सेना के किसी अधिकारी और कर्मचारी की भूमिका सामने आ सकती है …

विशेष सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बहुत ही गुप्त सूचनाएं दे चुकी है। इसने ऐसी-ऐसी गुप्त सूचनाएं दी हैं जो देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में मजदूर बनकर ये गुप्त सूचनाएं नहीं निकाल सकते। माना जा रहा है कि सेना का कोई अधिकारी या कर्मचारी इससे नहीं मिला है। इसकी मोबाइल की फोरेंसिक रिपोर्ट से पता चलेगा कि ये किस-किस के संपर्क में थी।

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