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पैनिक न हों और बस सावधानी बरतें, कोरोना विस्फोट के बावजूद मौतों का आंकड़ा काबू में, जानें कैसे?

by Sneha Shukla

भले ही देश में कोरोना बेलगाम तरीके से अपने पांव पसार रहा है, लेकिन तब भी बहुत घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि हमें सावधान रहने की जरूरत है। देश में कोरोना के रोजाना संक्रमण के मामले पहले की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा होने के बावजूद मौतों के आंकड़े अभी भी नियंत्रण में हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका दोज़न हो सकता है। पहले यह कि उपचार पहले की तुलना में बेहतर होने से मौतें कम हो रही हैं। दूसरे, वायरस भले ही संक्रामक ज्यादा हुआ हो लेकिन उसकी गंभीरता थोड़ी कम हुई है।

दरअसल, देश में जब कोरोना की पहली लहर आई थी तो 13 सितंबर को अधिकतम 1,114 मौतें दर्ज की गई थीं। तब रोजाना नए संक्रमण के मामले में 94,372 थे। हालांकि, सितंबर में अधिकांश मामले 17 सितंबर को आए थे जब नए बदलाव 97,894 दर्ज किए गए थे। पहली लहर में इसे पीक माना गया था। कोरोना की दूसरी लहर में गुरुवार सुबह तक 24 घंटे में सबसे अधिक 2,00,739 नए कोरोना मामले दर्ज किए गए हैं और मौतें भी सबसे ज्यादा 1038 दर्ज की गई हैं।

अगर पिछली लहर से तुलना करें तो यह अपेक्षाकृत कम हैं। यदि कुल रोगियों के हिसाब से तुलना की जाए तो मौतों का आंकड़ा दो हजार से अधिक हो सकता था। लेकिन अभी भी यह पिछली बार हुई अधिकांश मौतों से बहुत कम है। इस तरह से देखा जाए तो कोरोना भले ही विकराल रूप से फैल रहा है, लेकिन मौत के मामले राहत देने वाले हैं।

बेहतर उपचार से मौतों में कमी:

विशेषज्ञों की मानें तो सबसे बड़ी बात यह है कि कोरोना के उपचार को लेकर आज चिकित्सकों के पास अनुभव है। इसका परिणामजा यह है कि संक्रमण की लहर तीव्र होने के बावजूद, रोगी ज्यादा होने के बावजूद गंभीर रोगियों का बेहतर उपचार हो रहा है और इससे मौतें अनुकूलित घटी हैं।
कोरोना की चाशनी में कमी की संभावना:

एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि बदले स्वरूप में वायरस संक्रामक ज्यादा हुआ है, लेकिन इसका घातक स्वरूप में मामूली कमी आई है। हालांकि, कोरोना से होने वाली मौतें भले ही घटी हों लेकिन रेंजर एक हजार से ज्यादा मौतें भी चिंताजनक हैं। बता दें कि देश में कोरोनाइरस लगातार रिकॉर्ड तोड़ रहा है और लगातार दूसरे दिन यानी शुक्रवार को 2 लाख से अधिक केस सामने आए।

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