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राफेल लड़ाकू विमान।

बढ़ी वायुसेना की ताकत: राफेल लड़ाकू विमान की चौथी ‘पलटन’ भारत पहुंची, फ्रांस से बिना रुके भरी उड़ान

by Sneha Shukla

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली।

द्वारा प्रकाशित: योगेश साहू
अपडेटेड थू, 01 अप्रैल 2021 12:11 AM IST

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भारत सरकार चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के साथ जारी तनाव के बीच देश की सेनाओं को और ताकतवर बनाने में जुटी है। भारतीय वायुसेना की ताकत में और अधिक इजाफा हो गया है। राफेल लड़ाकू विमानों की चौथी खेप के तहत तीन राफेल विमान बुधवार को फ्रांस के इसट्रेस एयर उदय से बिना रुके भारत के अंबाला एयरबेस पर उतर गए हैं।

भारतीय वायुसेना ने राफेल की आवाज की वीडियो जारी करते हुए कहा कि यूएई वायु सेना के टैंकरों द्वारा राफेल विमानों में रास्ता में इन-फ्लाइट ईंधन (एयर टू एयर रिफ्यूलिंग) भरवाया गया। यह दो वायु सेनाओं के बीच मजबूत संबंधों में एक और मील का पत्थर साबित हुआ है।


बता दें कि नौ विमानों का अगला जत्था अप्रैल में भारत जाएगा। इनमें से पांच विमानों को उत्तरी बंगाल में हाशिमारा एयरबेस पर तैनात किया जाएगा।

36 राफेल खरीदने के लिए हुआ था
भारत ने फ्रांस सरकार के साथ सितंबर, 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 59,000 करोड़ रुपये का रक्षा सौदा किया था। फ्रांस की कंपनी दसॉ एविएशन से पांच राफेल विमानों का पहला बेड़ा 28 जुलाई को भारत पहुंचा था। इस बेड़े ने फ्रांस से उड़ान भरने के बाद संयुक्त अरब अमीरात में हाल्ट किया था, जहां उसमें ईंधन भरा गया था। राफेल के पहले बेड़े को जब वायुसेना में शामिल किया गया था, तब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे गेम चेंजर करार दिया था। उनका दावा था कि राफेल के साथ वायुसेना ने तकनीकी स्तर पर वृद्धि हासिल कर ली है। राफेल नवीनतम हथियारों और सुपीरियर खा से लैस लड़ाकू विमान हैं।

कई रैफेल छुड़ा रहे हैं चीन के छक्के
भारतीय वायुसेना के अंबाला स्थित गोल्डन एरो स्क्वाड्रन ने जुलाई, 2020 और जनवरी, 2021 के बीच 11 राफेल लड़ाकू विमानों को पहले ही वायुसेना में शामिल कर लिया गया है। उन्हें लद्दाख सीमा पर सुरक्षित किया गया है। बता दें कि मई 2020 की शुरुआत से ही चीन के साथ सीमा गतिरोध के बाद सेना हाई उपस्थिति पर है।

इसके साथ ही केंद्र सरकार फ्रांस की स्वच्छरण मिलिट्री एयरक्रॉफ्ट इंजनों के संयुक्त विकास में भी दिलचस्पी दिखा रही है। उल्लेखनीय है कि राफेल लड़ाकू विमानों में 74 किलो न्यूटन के थ्रस्टेड दो एम 88-3 क्लीन्रन इंजन दिए गए हैं। लेकिन, राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकर्ता चाहते हैं कि डीआरडीओ के मल्टी मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के लिए अधिक थ्रस्टेड (90 से 100 किलो न्यूटन) इंजन चाहते हैं।

महामारी के बावजूद तय समय पर मिलेंगे राफेल
भारत में फ्रांसीसी साम्राज्य इमैनुअल लेनिन ने कहा है कि कोरोना के बावजूद 2022 तक तय समय में सभी लड़ाकू विमान भारत को सौंप दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए समझ की बात है कि कोरोना के बावजूद हम भारत को तय समय और उससे पहले राफेल सौंपने के लिए सक्षम हैं।

विस्तार

भारत सरकार चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के साथ जारी तनाव के बीच देश की सेनाओं को और ताकतवर बनाने में जुटी है। भारतीय वायुसेना की ताकत में और अधिक इजाफा हो गया है। राफेल लड़ाकू विमानों की चौथी खेप के तहत तीन राफेल विमान बुधवार को फ्रांस के इसट्रेस एयर उदय से बिना रुके भारत के अंबाला एयरबेस पर उतर गए हैं।

भारतीय वायुसेना ने राफेल की आवाज की वीडियो जारी करते हुए कहा कि यूएई वायु सेना के टैंकरों द्वारा राफेल विमानों में रास्ता में इन-फ्लाइट ईंधन (एयर टू एयर रिफ्यूलिंग) भरवाया गया। यह दो वायु सेनाओं के बीच मजबूत संबंधों में एक और मील का पत्थर साबित हुआ है।

बता दें कि नौ विमानों का अगला जत्था अप्रैल में भारत जाएगा। इनमें से पांच विमानों को उत्तरी बंगाल में हाशिमारा एयरबेस पर तैनात किया जाएगा।

36 राफेल खरीदने के लिए हुआ था

भारत ने फ्रांस सरकार के साथ सितंबर, 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 59,000 करोड़ रुपये का रक्षा सौदा किया था। फ्रांस की कंपनी दसॉ एविएशन से पांच राफेल विमानों का पहला बेड़ा 28 जुलाई को भारत पहुंचा था। इस बेड़े ने फ्रांस से उड़ान भरने के बाद संयुक्त अरब अमीरात में हाल्ट किया था, जहां उसमें ईंधन भरा गया था। राफेल के पहले बेड़े को जब वायुसेना में शामिल किया गया था, तब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे गेम चेंजर करार दिया था। उनका दावा था कि राफेल के साथ वायुसेना ने तकनीकी स्तर पर वृद्धि हासिल कर ली है। राफेल नवीनतम हथियारों और सुपीरियर खा से लैस लड़ाकू विमान हैं।

कई रैफेल छुड़ा रहे हैं चीन के छक्के

भारतीय वायुसेना के अंबाला स्थित गोल्डन एरो स्क्वाड्रन ने जुलाई, 2020 और जनवरी, 2021 के बीच 11 राफेल लड़ाकू विमानों को पहले ही वायुसेना में शामिल कर लिया गया है। उन्हें लद्दाख सीमा पर सुरक्षित किया गया है। बता दें कि मई 2020 की शुरुआत से ही चीन के साथ सीमा गतिरोध के बाद सेना हाई उपस्थिति पर है।

इसके साथ ही केंद्र सरकार फ्रांस की स्वच्छरण मिलिट्री एयरक्रॉफ्ट इंजनों के संयुक्त विकास में भी दिलचस्पी दिखा रही है। उल्लेखनीय है कि राफेल लड़ाकू विमानों में 74 किलो न्यूटन के थ्रस्टेड दो एम 88-3 क्लीन्रन इंजन दिए गए हैं। लेकिन, राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकर्ता चाहते हैं कि डीआरडीओ के कार्यालय मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के लिए अधिक थ्रस्टेड (90 से 100 किलो न्यूटन) इंजन चाहते हैं।

महामारी के बावजूद तय समय पर मिलेंगे राफेल

भारत में फ्रांसीसी साम्राज्य इमैनुअल लेनिन ने कहा है कि कोरोना के बावजूद 2022 तक तय समय में सभी लड़ाकू विमान भारत को सौंप दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए समझ की बात है कि कोरोना के बावजूद हम भारत को तय समय और उससे पहले राफेल सौंपने के लिए सक्षम हैं।



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