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बाजार पर कोरोना और अमेरिकी बॉन्ड की छाया, मार्च में FPI निवेश में भारी गिरावट

बाजार पर कोरोना और अमेरिकी बॉन्ड की छाया, मार्च में FPI निवेश में भारी गिरावट

by Sneha Shukla

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कोरोना मामलों के दूसरे दौर में तेजी से और अमेरिकी बॉन्ड केडेल्ड में बढ़ने से भारत सहित तमाम दूसरे देशों के शेयर पार्कों में गिरावट का दौर है। कोरोना की गतिविधियों के कारण से मार्च महीने भारत में एफपीआई के निवेश में काफी गिरावट आई है। इस महीने का आठ सेशन अब खत्म होने वाले हैं और एफपीआई का निवेश छह महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है। मार्च में एफपीआई का निवेश गिर 10,557 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। जबकि अक्टूबर 2020 से फरवरी 2021 तक औसत एफपीआई 37,435 करोड़ रुपये था।

बाजार पर घटते एफपीआई का निवेश साफ दिख रहा है

घटते एफपीआई निवेश का असर बाजार पर साफ दिखा। इस महीने सेंसेक्स लगभग सपाट रहा है। 15 फरवरी को सेंसेक्स 52,154 के शीर्ष लेवल पर था, लेकिन यह इंडेक्स अब घटते हुए छह प्रतिशत तक गिर गया। अब यह 3,146 पर पहुंच गया। शिवछले सप्ताह फेडरल रिजर्व ने कहा था कि वह अमेरिका के परिवारों और परिवारों को कर्ज देने में कोई कमी नहीं करेगा। अर्थव्यवस्था को राहत देने के सभी कदम उसने उठाए। इसका मतलब यह है कि वहाँ ब्याज दर नहीं बढ़ेगी। ऐसे में भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की ओर से उनका रुझान बढ़ने के बावजूद एफपीआई भारत में ज्यादा निवेश नहीं कर रहे हैं।

एफपीआई निवेश में कमी के लिए अमेरिकी बॉन्डडेल्ड जिम्मेदार है

विश्वास का मानना ​​है कि एफपीआई के निवेश में कमी बॉन्डवेल्ड में वृद्धि की वजह से आई है। कोरोना संक्रमण इसके पीछे की बड़ी वजह नहीं है। क्योंकि सभी जानते हैं कि अगर कोरोना संक्रमण पहले की तरह अब आर्थिक गतिविधियों पर लगाम नहीं लगा पाएगा। चूंकि अभी भी वेल्यूएशन बहुत अधिक है इसलिए एफपीआई निवेश करने में हिचकिचा रहे हैं। एफपीआई बड़े निवेश के लिए मार्च तिमाही का इंतजार कर रहे हैं।

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