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बेदम कांग्रेस: सात सालों में खोती चली गई जमीन, 2014 के बाद केंद्र समेत कई राज्यों में विपक्ष का दर्जा भी नहीं

by Sneha Shukla

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली

द्वारा प्रकाशित: सुरेंद्र जोशी
Updated Sat, 08 मई 2021 12:40 AM IST

सार

कभी कांग्रेस देश की शान व इकलौती सबसे बड़ी पार्टी होती थी। आज वह लगातार कमजोर हो रही है। केवल वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पार्टी को खुद का आकलन करने की सलाह दी है।

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कांग्रेस मुक्त भारत का भाजपा का सपना पूरा तो नहीं हुआ, लेकिन काफी हद तक कामयाब हो गया है। 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद से पार्टी लगातार अपनी जमीन खोती जा रही है। हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी उसके हाथ से पुडुचेरी निकल गई। उसे केंद्र से लेकर कई राज्यों तक विपक्ष का दर्जा भी नसीब नहीं है।

अब कांग्रेस की सरकारें सिर्फ पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान में रह गई हैं, जबकि महाराष्ट्र, झारखंड व तमिलनाडु में उसकी गठबंधन सरकारें हैं। बीते सप्ताह आए पांच राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद तो उसके देश के आधे दर्जन राज्यों में विपक्ष के मार्गदर्शन की हैसियत भी बच गई। ताजा चुनाव में उसके हाथ से पुडुचेरी निकल गई तो बंगाल में विपक्ष का दर्जा भी चला गया।

पुडुचेरी में दो महीने पहले तक उसके हाथ में अधिकार था, लेकिन अब वह तीसरे नंबर पर आ गई है। यहां एनडीए की सरकार बनी हुई है तो द्रमुक को विपक्ष का दर्जा मिला। राज्य की 30 सीटों में से वह केवल दो सीटों जीत सकी है, जबकि द्रमुक ने छह सवारी जीती हैं। वहीं बंगाल में तो कांग्रेस को केवल एक सीट मिली है।

पुडुचेरी में स्थानीय पार्टी एनआर कांग्रेस के साथ गठबंधन के चलते भाजपा को भी राज्य में छह सीटों पर जीत मिली है। यहां पहली बार एनडीए की सरकार बनी है। विधानसभा के इस समीकरण को देखते हुए कांग्रेस की बजाय अब उसकी सहयोगी पार्टी द्रमुक को पुड्डुचेरी में विपक्ष का आधिकारिक मूल्यांकन मिलेगा। वहीं बंगाल में कांग्रेस की जगह अब भाजपा मुख्य विपक्षी पार्टी है।

इन राज्यों में भी विपक्ष का रेटेड भी नहीं है
आंध्र प्रदेश में 2014 के बाद से लगातार हार। बीते दो चुनावों में उसे एक सीट भी नहीं मिली। तेलंगाना में वह बमुश्किल विपक्ष की जगह अभी तक बचाने में कामयाब रही है। त्रिपुरा में 2018 के चुनाव में भाजपा के अचानक उभार से वामपंथी किला ढहा और कांग्रेस की जगह माकपा मुख्य विपक्षी दल है। ओडिशा में भी 2019 के चुनाव में कांग्रेस तीसरे नंबर पर पहुंच गई और भाजपा ने विपक्ष की जगह पर कब्जा कर लिया।

मुख्य पार्टी की बजाए साझेदार बन गई
कांग्रेस की देश में हालत यह है कि वह जिन राज्यों में सत्ता में रहती है या मुख्य विपक्षी दल थी, उसके बजाए वह तीसरे या चौथे नंबर पर पहुंच गई है। तमिलनाडु में वह द्रमुक की जूनियर पार्टनर है, झारखंड में भी पार्टी सत्तारूढ़ झामुमो की जूनियर सहयोगी की भूमिका में ही है। उत्तर प्रदेश व बिहार में तो वह बीते लगभग तीन दशक से मुख्य विपक्षी दल की हैसिटी में भी नहीं है। इन्हीं कारणों से वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने एक बार फिर पार्टी को खुद का आकलन करने की गुहार लगाई है।

विस्तार

कांग्रेस मुक्त भारत का भाजपा का सपना पूरा तो नहीं हुआ, लेकिन काफी हद तक कामयाब हो गया है। 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद से पार्टी लगातार अपनी जमीन खोती जा रही है। हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी उसके हाथ से पुडुचेरी निकल गई। उसे केंद्र से लेकर कई राज्यों तक विपक्ष का दर्जा भी नसीब नहीं है।

अब कांग्रेस की सरकारें सिर्फ पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान में बनी हुई हैं, जबकि महाराष्ट्र, झारखंड व तमिलनाडु में उसकी गठबंधन सरकारें हैं। बीते सप्ताह आए पांच राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद तो उसके देश के आधे दर्जन राज्यों में विपक्ष के मार्गदर्शन की हैसियत भी बच गई। ताजा चुनाव में उसके हाथ से पुडुचेरी निकल गई तो बंगाल में विपक्ष का दर्जा भी चला गया।

पुडुचेरी में दो महीने पहले तक उसके हाथ में अधिकार था, लेकिन अब वह तीसरे नंबर पर आ गई है। यहां एनडीए की सरकार बनी हुई है तो द्रमुक को विपक्ष का दर्जा मिला। राज्य की 30 सीटों में से वह केवल दो सीटों जीत सकी है, जबकि द्रमुक ने छह सवारी जीती हैं। वहीं बंगाल में तो कांग्रेस को केवल एक सीट मिली है।

पुडुचेरी में स्थानीय पार्टी एनआर कांग्रेस के साथ गठबंधन के चलते भाजपा को भी राज्य में छह सीटों पर जीत मिली है। यहां पहली बार एनडीए की सरकार बनी है। विधानसभा के इस समीकरण को देखते हुए कांग्रेस की बजाय अब उसकी सहयोगी पार्टी द्रमुक को पुड्डुचेरी में विपक्ष का आधिकारिक मूल्यांकन मिलेगा। वहीं बंगाल में कांग्रेस की जगह अब भाजपा मुख्य विपक्षी पार्टी है।

इन राज्यों में भी विपक्ष का रेटेड भी नहीं है

आंध्र प्रदेश में 2014 के बाद से लगातार हार। बीते दो चुनावों में उसे एक सीट भी नहीं मिली। तेलंगाना में वह बमुश्किल विपक्ष की जगह अभी तक बचाने में कामयाब रही है। त्रिपुरा में 2018 के चुनाव में भाजपा के अचानक उभार से वामपंथी किला ढहा और कांग्रेस की जगह माकपा मुख्य विपक्षी दल है। ओडिशा में भी 2019 के चुनाव में कांग्रेस तीसरे नंबर पर पहुंच गई और भाजपा ने विपक्ष की जगह पर कब्जा कर लिया।

मुख्य पार्टी की बजाए साझेदार बन गई

कांग्रेस की देश में हालत यह है कि वह जिन राज्यों में सत्ता में रहती थी या मुख्य विपक्षी दल था, उसके बजाए वह तीसरे या चौथे नंबर पर पहुंच गई है। तमिलनाडु में वह द्रमुक की जूनियर पार्टनर है, झारखंड में भी पार्टी सत्तारूढ़ झामुमो की जूनियर सहयोगी की भूमिका में ही है। उत्तर प्रदेश व बिहार में तो वह बीते लगभग तीन दशक से मुख्य विपक्षी दल की हैसिटी में भी नहीं है। इन्हीं कारणों से वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने एक बार फिर पार्टी को खुद का आकलन करने की गुहार लगाई है।

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