शहर के रीजनल पार्क मुक्तिधाम के व्यवस्थापक हरिशंकर कुशवाह ने मंगलवार को मीडिया को बताया, हम हर रोज सुबह छह बजे काम शुरू करते हुए अस्थि संचय की रस्म अदा करने में लोगों की मदद करते हैं। चिताएं जलाने का सिलसिला सुबह नौ बजे से शुरू हो जाता है जो शाम सात बजे तक चलता रहता है। इसके बाद एक-दो घंटे हमें शमशान परिसर की सफाई में शुरू होते हैं।
उन्होंने कहा, महामारी के मौजूदा माहौल को देखते हुए ज्यादातर लोग चिता को जल्द से जल्द अग्नि देकर मुक्तिधाम से निकल जाना चाहते हैं। ऐसे में हमें चिता में लकड़ियां डालते हुए इस बात का बराबर ध्यान रखना पड़ता है कि अंतिम संस्कार ठीक से हो जाए।
कुशवाह ने बताया कि कई परिवार को विभाजित -19 के शिकार के परिजन के अंतिम संस्कार के लिए शमशान नहीं पहुंच पा रहे हैं क्योंकि वे स्वयं महामारी से पीड़ित होकर घर या अस्पताल में हैं। उन्होंने बताया, इस स्थिति में हमने पिछले कुछ महीनों के दौरान 30-35 शवों का अंतिम संस्कार खुद किया है।
उन्होंने बताया कि इनमें से कुछ मामलों में शोक संतप्त परिजनों ने मुक्तिधाम प्रबंधन को ऑफ़लाइन माध्यम से अंतिम संस्कार शुल्क का भुगतान कर दिया, जबकि कुछ मामलों में बिना किसी शुल्क के अंत्येष्टि की गई है।
कुशवाह के मुताबिक इन दिनों 30 से 35 शव अंतिम संस्कार के लिए हर रोज रीजनल पार्क मुक्तिधाम लाए जा रहे हैं। हालांकि, इनमें से विभाजित -19 के अलावा अन्य बीमारियों से मरे हुए लोग भी शामिल हैं।
गौरतलब है कि इंदौर, सूबे में कोविड -19 से सबसे ज्यादा प्रभावित जिला है जहां महामारी की दूसरी लहर की हस्तक्षेप के लिए जनता कर्फ्यू (आंशिक लॉकडाउन) लागू है। कर्फ्यू के दौरान लोगों को बेहद जरूरी काम होने पर ही घर से बाहर निकलने की इजाजत है, जबकि अस्पताल में भर्ती होने से भरे हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक लगभग 35 लाख की आबादी वाले जिले में 24 मार्च 2020 से अब तक कोरोनावायरस संक्रमण के कुल 1,18,085 मिलियन मिले हैं। इनमें से 1,169 लोगों की इलाज के दौरान मौत हो गई है।
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