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सांकेतिक तस्वीर....

महाराष्ट्र: कोरोना से मौत का आंकड़ा हुआ डरावना, श्मशानों में 24 घंटे जल रही चिताएं

by Sneha Shukla

सांकेतिक चित्र…।
– फोटो: पीटीआई

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महराष्ट्र में कोरोना की दूसरी लहर में मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं रहा रहा है। राज्य में बीते 24 घंटे में कोरोनावायरस से 920 लोगों की मौत का आंकड़ा बेहद गंभीर है।

हालांकि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में कोरोना संक्रमण की दर कम होने की बात कही जा रही है, लेकिन शमशानों में 24 घंटे चिताएं जल रही हैं। कई जगह तो दाह संस्कार के लिए लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ रही है।

मुंबई में कोरोना वायरस से होने वाली मौतों की संख्या बढ़ने से शमशानों में शस की कतार लगी हुई है। मुंबई के वर्ली, घाटकोपर व दादर शमशान भूमि में चौबीसों घंटे चिताएं जल रही हैं। वर्ली शमशान भूमि में प्रतिदिन 20 से 25 कोरोना रोगियों के शव अंतिम संस्कार के लिए आ रहे हैं।

इसमें तीन से चार शव ही सामान्य मृत्यु की होती है। वर्ली शमशान भूमि में कार्यरत अभिजीत पाटिल बताते हैं कि सामान्य दिनों नें यहां 8 से 10 शव अंतिम संस्कार के रूप में आते थे। लेकिन जब से मुंबई में कोरोना संकट शुरू हुआ है तब से लगातार 25 से अधिक शवों को प्रतिदिन अंतिम संस्कार के लिए लाया जा रहा है। यहां नायर, कस्तूरबा, सर जे.जे. अस्पताल और भायखला रेलवे अस्पताल सहित मुंबई सेंट्रल रेलवे अस्पताल से शव अंतिम संस्कार के लिए लाए जाते हैं।

पाटिल बताते हैं कि मुंबई में कोरोना संक्रमण शुरू होने से लेकर अब तक यहां की चिंताएं ठंडी नहीं हुई हैं। चौबीस घंटे यहाँ अंतिम संस्कार हो रहा है। बता दें कि मुंबई में प्रतिदिन कोरोना से 70 से लेकर 90 लोगों की मौत हो रही है।

कोरोना शव को इलेक्ट्रिक पर ही जलाने का प्रोटोकॉल
अभिजीत बताते हैं कि कोरोना से मृत व्यक्ति के शव को इलेक्ट्रिक शवदाह पर ही जलाने का प्रोटोकॉल है। लेकिन ज्यादा संख्या में शव आने के कारण इलेक्ट्रिक पर शवों का विभाजन संभव नहीं है। इसलिए लकड़ी पर भी इनका अंतिम संस्कार किया जा रहा है। यहां एक साथ पांच चिताएं जलती हैं। एक इलेक्ट्रिक चिता को बंद रखा जाता है। यदि कोई एक कारणवश बंद हो जाए तो उसका उपयोग किया जाता है।

महानगर में कुल 46 श्मशान भूमि है
मुंबई में 46 स्थानों पर पारंपरिक शमशान भूमि सहित बिजली और गैस पर आधारित शवदाह स्थल है। इन शमशानों में पारंपरिक रूप से लकड़ी से जलाए जाने वाले 219 चिताएं हैं। यहां 24 घंटे में 1,314 शव जलाए जा सकते हैं।

वहीं, बिजली और गैस से शवदाह के 11 स्थानों पर 18 शवदाह स्थल हैं। इस तरह मुंबई में कुल 237 चिताओं पर 24 घंटे में 1458 शवों का अंतिम संस्कार किया जा सकता है। फिरभी कई शमशानों में शवों की कतारें देखी जा सकती हैं।

विस्तार

महराष्ट्र में कोरोना की दूसरी लहर में मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं रहा रहा है। राज्य में बीते 24 घंटे में कोरोनावायरस से 920 लोगों की मौत का आंकड़ा बेहद गंभीर है।

हालांकि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में कोरोना संक्रमण की दर कम होने की बात कही जा रही है, लेकिन शमशानों में 24 घंटे चिताएं जल रही हैं। कई जगह तो दाह संस्कार के लिए लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ रही है।

मुंबई में कोरोना वायरस से होने वाली मौतों की संख्या बढ़ने से शमशानों में शस की कतार लगी हुई है। मुंबई के वर्ली, घाटकोपर व दादर शमशान भूमि में चौबीसों घंटे चिताएं जल रही हैं। वर्ली शमशान भूमि में प्रतिदिन 20 से 25 कोरोना रोगियों के शव अंतिम संस्कार के लिए आ रहे हैं।

इसमें तीन से चार शव ही सामान्य मृत्यु की होती है। वर्ली शमशान भूमि में कार्यरत अभिजीत पाटिल बताते हैं कि सामान्य दिनों नें यहां 8 से 10 शव अंतिम संस्कार के रूप में आते थे। लेकिन जब से मुंबई में कोरोना संकट शुरू हुआ है तब से लगातार 25 से अधिक शवों को प्रतिदिन अंतिम संस्कार के लिए लाया जा रहा है। यहां नायर, कस्तूरबा, सर जे.जे. अस्पताल और भायखला रेलवे अस्पताल सहित मुंबई सेंट्रल रेलवे अस्पताल से शव अंतिम संस्कार के लिए लाए जाते हैं।

पाटिल बताते हैं कि मुंबई में कोरोना संक्रमण शुरू होने से लेकर अब तक यहां की चिंताएं ठंडी नहीं हुई हैं। चौबीस घंटे यहाँ अंतिम संस्कार हो रहा है। बता दें कि मुंबई में प्रतिदिन कोरोना से 70 से लेकर 90 लोगों की मौत हो रही है।

कोरोना शव को इलेक्ट्रिक पर ही जलाने का प्रोटोकॉल

अभिजीत बताते हैं कि कोरोना से मृत व्यक्ति के शव को इलेक्ट्रिक शवदाह पर ही जलाने का प्रोटोकॉल है। लेकिन ज्यादा संख्या में शव आने के कारण इलेक्ट्रिक पर शवों का विभाजन संभव नहीं है। इसलिए लकड़ी पर भी इनका अंतिम संस्कार किया जा रहा है। यहां एक साथ पांच चिताएं जलती हैं। एक इलेक्ट्रिक चिता को बंद रखा जाता है। यदि कोई एक कारणवश बंद हो जाए तो उसका उपयोग किया जाता है।

महानगर में कुल 46 श्मशान भूमि है

मुंबई में 46 स्थानों पर पारंपरिक शमशान भूमि सहित बिजली और गैस पर आधारित शवदाह स्थल है। इन शमशानों में पारंपरिक रूप से लकड़ी से जलाए जाने वाले 219 चिताएं हैं। यहां 24 घंटे में 1,314 शव जलाए जा सकते हैं।

वहीं, बिजली और गैस से शवदाह के 11 स्थानों पर 18 शवदाह स्थल हैं। इस तरह मुंबई में कुल 237 चिताओं पर 24 घंटे में 1458 शवों का अंतिम संस्कार किया जा सकता है। फिरभी कई शमशानों में शवों की कतारें देखी जा सकती हैं।

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