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सांकेतिक तस्वीर

महाराष्ट्र: ‘ब्लैक फंगस’ से आठ कोरोना मरीजों की एक आंख की रोशनी गई, 200 का चल रहा इलाज

by Sneha Shukla

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई

द्वारा प्रकाशित: गौरव पाण्डेय
अपडेटेड सन, 09 मई 2021 12:08 AM IST

सार

ब्लैक फंगस या म्यूकॉरमाइकोसिस एक गंभीर बीमारी है। इस बीमारी की वजह से नाक, कान और गले के अलावा शरीर के अन्य अंगों को भी नुकसान पहुंचता है। यह बीमारी इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने की वजह से होती है।

सांकेतिक चित्र
– फोटो: पीटीआई (फाइल)

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महाराष्ट्र में कोरोना वायरस संक्रमण के बीच अब म्यूकॉरमाइकोसिस यानी काले फंगस का खतरा बढ़ रहा है। एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि राज्य में म्यूकॉरमाइकोसिस की वजह से कोरोना संक्रमण से ठीक हुआ कम से कम आठ लोगों की एक आंख की रोशनी चली गई और ऐसे 200 मरीजों का इलाज चल रहा है।

बता दें कि विशेषज्ञों के अनुसार ब्लैक फंगस या म्यूकॉरमाइकोसिस एक गंभीर बीमारी है, लेकिन यह कोई नई बीमारी नहीं है। इस बीमारी की वजह से नाक, कान और गले के अलावा शरीर के अन्य अंगों को भी नुकसान पहुंचता है। यह बीमारी इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने की वजह से होती है।

केंद्र ने ब्लैक फंगस को लेकर कही थी ये बात
कोविद -19 के रोगियों के बीच म्यूकॉरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस की खबरों पर नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ। वीके पॉल ने शुक्रवार को प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा कि यह प्राकृतिक है और म्यूकॉरमाइकोसिस व कोरोना के बीच कुछ खास संबंध नहीं है। उन्होंने कहा था कि म्यूकॉरमाइकोसिस संक्रमण केवल उन लोगों को प्रभावित करता है जिनके रक्त में शुगर का स्तर अधिक होता है। उन्होंने कहा कि निगरानी की जा रही है और मकोरमाइकोसिस का उपचार उपलब्ध है।

समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल इस जानलेवा संक्रमण के कारण कई रोगियों की आंखों की रोशनी कम हो गई थी या चली गई थी और नाक और जबड़े की हड्डियों को नुकसान पहुंचा था। डॉक्टरों का कहना है कि यह संक्रमण आमतौर पर उन रोगियों में देखा जा रहा है जो रिकवरी चरण पर हैं, लेकिन उन्हें डाय, किडनी, कैंसर या हार्ट फेल्योर जैसी बीमारियां हैं। बता दें कि दिल्ली के अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

विस्तार

महाराष्ट्र में कोरोना वायरस संक्रमण के बीच अब म्यूकॉरमाइकोसिस यानी काले फंगस का खतरा बढ़ रहा है। एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि राज्य में म्यूकॉरमाइकोसिस की वजह से कोरोना संक्रमण से ठीक हुआ कम से कम आठ लोगों की एक आंख की रोशनी चली गई और ऐसे 200 मरीजों का इलाज चल रहा है।

बता दें कि विशेषज्ञों के अनुसार ब्लैक फंगस या म्यूकॉरमाइकोसिस एक गंभीर बीमारी है, लेकिन यह कोई नई बीमारी नहीं है। इस बीमारी की वजह से नाक, कान और गले के अलावा शरीर के अन्य अंगों को भी नुकसान पहुंचता है। यह बीमारी इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने की वजह से होती है।

केंद्र ने ब्लैक फंगस को लेकर कही थी ये बात

कोविद -19 के रोगियों के बीच म्यूकॉरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस की खबरों पर नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ। वीके पॉल ने शुक्रवार को प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा कि यह प्राकृतिक है और म्यूकॉरमाइकोसिस व कोरोना के बीच कुछ खास संबंध नहीं है। उन्होंने कहा था कि म्यूकॉरमाइकोसिस संक्रमण केवल उन लोगों को प्रभावित करता है जिनके रक्त में शुगर का स्तर अधिक होता है। उन्होंने कहा कि निगरानी की जा रही है और मकोरमाइकोसिस का उपचार उपलब्ध है।

समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल इस जानलेवा संक्रमण के कारण कई मरीजों की आंखों की रोशनी कम हो गई थी या चली गई थी और नाक और जबड़े की हड्डियों को नुकसान पहुंचा था। डॉक्टरों का कहना है कि यह संक्रमण आमतौर पर उन रोगियों में देखा जा रहा है जो रिकवरी चरण पर हैं, लेकिन उन्हें डाय, किडनी, कैंसर या हार्ट फेल्योर जैसी बीमारियां हैं। बता दें कि दिल्ली के अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

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