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भारत इस साल अभी तक चीन और अमेरिका के बाद आईपीओ से धन जुटाने वाला दुनिया का तीसरा देश बना हुआ है। 2020 के बाद 2021 में ओ आईपीओ मार्केट में खासी रौनक है। 2021 की पहली तिमाही के दौरान यानी जनवरी से मार्च तक 17 कंपनियों के आईपीओ जारी हुए और इनसे 18,800 करोड़ रुपये जुट गए। 2018 के बाद पहली बार इन तीन महीनों में बहुत अधिक आईपीओ मार्केट में आए। 2018 की मार्च तिमाही में 15 आईपीओ आए थे और इनसे कम से कम 15000 करोड़ रुपये का फंड जुटा गया था।
बाजार में लिक्विडिटी का आईपीओ को फायदा
आईपीओ लॉन्च होने की कोशिश बढ़ने के सवाल पर लोगों का मानना है कि भारतीय सहित आंतरिक बाजार में लिक्विडिटी अभी भी काफी है। इसलिए निवेशकों का आईपीओ की ओर रुझान बढ़ा है। यही कारण है कि पहले 2020 और अब 2021 की पहली तिमाही तक आईपीओ को ऑपरेटर्स का काफी अच्छा रेस्पॉन्स मिला है। 2021 की मार्च तिमाही में एफआईआई ने 53,000 करोड़ रुपये का भारतीय शेयर बाजार में निवेश किया। पिछले वर्ष इसी तिमाही में यह 54,235 करोड़ रुपये था।
शेयर बाजार में मजबूती का फायदा उठा रही आईपीओ लाने वाली कंपनियां हैं
शौचालय मानते हैं कि जब ग्लोबल मार्केट में लिक्विडिटी ज्यादा रहती है तो पूंजी बाजार को इसका काफी फायदा होता है। चूंकि आईपीओ के जरिये कंपनियां कम खर्च में फंड जुटा लेती हैं इसलिए उनका रुझान इस तरफ ज्यादा रहता है। इस साल अब तक रेलवे, स्टॉलव क्राफ्ट, हेराम्बा इंडस्ट्रीज, एमटीआर टेक, ईजी बीटा प्लानर्स, अनुपम रसायन, क्राफ्ट्समैन यूनियन, लक्ष्मी ऑर्गेनिक, नजारा टेक्नोलॉजीज, सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक और बारबेक्यू नेशन ने अपने आईपीओ उतारे हैं। विदेशी संस्थागत अधिकारियों के भारी निवेश, कोरपोरेट कंपनियों की अच्छी कमाई और केंद्र सरकार की ओर से सार्वजनिक खर्च में वृद्धि की वजह से 2020 की दूसरी योजना से अब तक शेयर बाजार ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। बाजार में बीच-बीच में थोड़ी गिरावट के बावजूद मोटे तौर पर मजबूती है। इस कारण से आईपीओ के अधिकारियों का अच्छा रेस्पॉन्स मिल रहा है।
मार्च में बेरोजगारी दर घट कर 6.52 प्रति पर, लेकिन कोरोना संक्रमण से फिर हो सकता है इजाफा
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.986 अरब डॉलर घटकर 579.285 अरब डॉलर रह गया
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