[ad_1]
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली है। अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने वकील विनीत जिंदल की उस मांग को ठुकरा दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की इजाजत दी जाएगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के कानून की धारा 15 और नियमावली के नियम 3 के तहत अवमानना की कार्रवाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय या सॉलिसिटर जनरल की सहमति आवश्यक होती है।
दरअसल, वकील विनीत जिंदल ने अटार्नी जनरल (यूके) केके वे वायरसगोपाल को एक पत्र लिखकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्रवाई शुरू करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता ने भारतीय न्यायपालिका के खिलाफ और उनकी गरिमा धूमिल करने वाली टिप्पणियों की हैं।
हालांकि, वेणुगोपाल ने जिंदल की मांग पर यह कहते हुए असहमति जताई कि राहुल गांधी ने न्यायपालिका पर “सामान्य” बयान दिया था और विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय या न्यायाधीशों को टारगेट नहीं किया था। मेरी सहमति देने का सवाल ही नहीं उठता। किसी भी घटना में, मेरी राय है कि विचाराधीन बयान जनता के नजरिए से संस्था के अधिकार को कमतर बताते हैं।
जिंदल ने पत्र में राहुल के हालिया इंटरव्यू का हवाला भी दिया है जिसमें कांग्रेस नेता ने कहा था, ‘इस देश में एक कानूनी तंत्र है जिसमें हर किसी को अपनी आवाज उठाने की 100 फीसद आजादी है। यह बिल्कुल साफ है कि भाजपा इन सभी स्थितियों या व्यवस्थाओं में अपने लोगों को बैठा रही है। यह बिल्कुल स्पष्ट है कि वे इस देश के संस्थागत ढांचे को छीन रहे हैं। ‘
उन्होंने आगे कहा था कि राहुल देश की न्यायिक प्रणाली पर लांछन लगा रहा है। उन्होंने भारतीय न्यायपालिका का अनादर किया है। उन्होंने दिलाया कि प्रधानमंत्री के खिलाफ टिप्पणी के मामले में शीर्ष अदालत ने भविष्य में सतर्क रहने की चेतावनी देकर उनके खिलाफ अवमानना मामला बंद कर दिया था।
।
[ad_2]
Source link
Homepage | Click Hear |