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वैक्सीन लेने के बाद कब तक दूर रहे कोरोना का खतरा? जानें- क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

by Sneha Shukla

कोरोना वैक्सीन की डोज लेने के बाद आखिर कब तक के लिए अभयदान मिल सकता है? कोरोना की वैक्सीन को लेकर यह महत्वपूर्ण सवाल है, जिसका जवाब लोग जानना चाहते हैं। लेकिन इसका जवाब एक्सपर्ट्स के पास भी नहीं है। दरअसल अभी कोरोना वैक्सीन की डोज लेने वाले लोगों पर इस बात का परीक्षण जारी है कि आखिरकार टीके का असर रहेगा। इसके अलावा अभी भी यह तय होना है कि आखिर कुछ और डोज की जरूरत कब पड़ सकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटनटन में वैक्सीन रिसर्चर डेबोराह फुलर ने कहा कि इस बारे में वैक्सीन्स पर स्टडी करने के बाद ही पता चलेगा। उन्होंने कहा कि हमें वैक्सीन लेने वाले लोगों का परीक्षण करना होगा और यह देखना होगा कि उन पर कब तक वैक्सीन का असर रहता है।

उन्होंने कहा कि हमें यह देखना होगा कि वैक्सीन लेने के बाद उसका असर कब तक चलता है और फिर से कब लोग कोरोना संक्रमण के दायरे में आने की स्थिति में आते हैं। अब तक अमेरिकी वैक्सीन फाइजर को लेकर यह बात सामने आई है कि उसकी दो डोज का कम से कम 6 महीने तक असर रह सकता है।]यही नहीं वैक्सीन की डोज लेने के बाद कुछ और आगे तक के लिए कोरोना का डर खत्म हो सकता है। इसके अलावा मॉडर्ना वैक्सीन को लेकर भी यह कहा जा रहा है कि दोनों डोज लेने के 6 महीने बाद तक के लिए कोरोना का डर नहीं रहता है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि मॉडर्ना वैक्सीन से तैयार होने वाली एंटी-बॉडीज 6 महीने तक शरीर में रहती हैं। इसके अलावा जानकारों का कहना है कि एंटी-बॉडीज के अलावा हमारे इम्यून सिस्टम पर भी निर्भर करता है कि हम पर कोरोना का रिस्क कितना होगा। बेहतर इम्यून सिस्टम वालों को दोबारा कोरोना होता भी है तो वह अन्य लोगों के मुकाबले जल्दी उबरने की स्थिति में होते हैं। ऐसे लोग भले ही कोरोना को पूरी तरह से हरा नहीं पाते हैं, लेकिन उसकी वापसीकता जरूर कम हो जाती है। यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैक्सीन एक्सपर्ट ने कहा कि वर्तमान में जो वैक्सीन उपलब्ध हैं, उनका असर कम से कम एक साल तक रह सकता है।

हालांकि खसरे के टीके की तरह इनका असर नहीं होगा कि पूरी जिंदगी के लिए ही एक टल संभव है। इसके अलावा कोरोना के नए वैरिएंट्स भी चिंता की वजह बने हैं, जिसके चलते दो टीकर के बाड भी डोज की जरूरत पड़ सकती है। एमोरी वैक्सीन सेंटर से जुड़े मेहुल सुथार ने कहा, ‘अगर वायरस के म्यूटेंट से जुड़े रहते हैं तो फिर वैक्सीन को भी अपडेट किए जाने की जरूरत है।’

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