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रोहित शुक्ला और राहुल शुक्ला..

संकट के सिपाही : मानवता की मिसाल बने दो भाई, पहुंचा रहे हैं ऑक्सीजन 

by Sneha Shukla

रोहित शुक्ला और राहुल शुक्ला ।।
– फोटो: अमर उजाला

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कोरोना परिस्थिति के बीच इस तरह की खबरें लगातार आ रही हैं जो इस बात की गग्रन्ताएं हैं कि सेवा, सरोकार और मानवता जैसे अभी भी समाज में शेष हैं। परेशान करने वाली खबरों के बीच इस तरह की खबरें सुखद बयार की तरह आती हैं। आज भी हम आपको मिलवाते हैं हालात के कुछ ऐसे ही सिपाहियों से जो त्याग और सेवा की मिसल बने हुए हैं …

40 लाख की गाड़ी को एकर्न्स बनाकर सेवा में जुटे दो भाई
रोहित और राहुल शुक्ला, समाजसेवी युवा, अतर्रा (बांदा)

कोविड -19 के बढ़ते संक्रमण के बीच दो सगे मुसलमानों का योगदान मिसल बन गया। उन्होंने अपनी 40 लाख रुपये कीमत की स्कोडा गाड़ी को एबुंलेंस का रूप देकर दिनरात जरूरतमंदों को ऑक्सीजन की व्यवस्था प्रदान करने में खुद को समर्पित कर दिया है।

बांदा रोड के रहने वाले शैडिट अध्यापक रविकांत शुक्ला व गृहणी शकुंतला के बेटे रोहित शुक्ला ने वर्ष 2010 में दिल्ली से बीएम किया। उनके छोटे भाई राहुल ने भी 2012 में नो किया था। इसके बाद दोनों शहरों में महाराष्ट्र (मुंबई) में गूगल कंपनी में साफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में एक साथ नौकरी जरवाइन की। इसके बाद गुरुग्राम में भी दोनों Google कंपनी में इसी पद पर सेवा दे रहे हैं।

फरवरी 2021 में वह अपने घर छोड़कर चली गई। इसके बाद में वह कोरोना संभावितों की सेवा का संकल्प ले लिया। फिर व्हाट्एस ग्रुप बनाकर लोगों की मदद में जुट गए। इस बार छोटे भाई राहुल शुक्ला ने कोरोना संक्रमण में कस्बे में मुफ्त आक्सीजन सेवा के तहत मुहिम चलाई है। उनकी टीम में शामिल बड़े भाई रोहित शुक्ला, मंजुल मंयक द्विवेदी, शिवम द्विवेदी, पदम चौरिहा आदि शामिल हैं।

लोगों की मदद के लिए उन्होंने अपनी 40 लाख की गाड़ी को एकर्न्स का रूप दे दिया। इस समय रोजाना राहुल अपनी गाड़ी से स्वयं खर्च करने वाली खाली ऑक्सीजन सिलिंडर को कबरई में स्थित प्लांट से रिफिलिंग कराने का काम करते हैं। साथ ही मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल सहित अन्य स्थानों पर जरूरतमंदों के फोन आने पर उनसे संपर्क कर उनकी मदद कर रहे हैं।

अभी तक वे 300 से ज्यादा सिलिंडर्स की रिफिलिंग करते हुए लोगों की मदद कर चुके हैं। इसके अलावा यूपी की सीमा से जुड़े एमपी के सतना, रींवा, मझगवां आदि में भी ऑक्सीजन सिलिंडर मुहैया करा रहे हैं।

श्रीनगर में मरीजों के लिए चलाई फूड फॉर कश्मीर मुहिम
रईस अहमद और पत्नी निदा रईस, श्रीनगर

कश्मीर में कोरोना महामारी के बीच कई ऐसे लोग सामने आए हैं जिन्होंने मावता के लिए मदद के हाथ बढ़ाए हैं। चाहे वो यहाँ के स्थानीय एनजीओ हों, स्थानीय स्वयं सेवक ग्रुप हों या फिर कोई और। हर कोई यह कोशिश कर रहा है कि वह इस महामारी में जरूरतमंदों की मदद कर सके। ऐसे ही श्रीनगर के युवा दंपती रईस अहमद और निदा रईस हैं। यह श्रीनगर के अस्पतालों और घरों में कोरोनाटे रोगियों को मुफ्त भोजन पहुंचाकर उनकी मदद कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने फूड फॉर कश्मीर नाम की मुहिम शुरू की है।

रईस ने फरवरी 2020 में एक स्टार्टअप शुरू किया था, जिसे उन्होंने टिफिन शु (टिफिन आया) का नाम दिया था। इस स्टार्टअप को भी कोरोना की मार झेलनी पड़ी। रईस अहमद ने बताया कि खाद्य के लिए कश्मीर मुहिम अभी हाल ही में शुरू की गई है। यह इडिया उन्हें तब आया जब उन्हें कुछ ऐसे लोगों की ओर से खाने के लिए कॉल रिसीव हुई जो जरूरतमंद थे। इसलिए उन्होंने मुफ्त खाना पहुंचाने की यह मुहिम शुरू की।

1500 से ज्यादा लोगों को अब खाना पहुंचाना है
रईस ने कहा कि अब तक वह लगभग 1500 से ज्यादा लोगों को खाना पहुंचा चुके हैं। रईस ने कहा कि वह श्रीनगर के सभी अस्पतालों में मरीजों और उनके अटेंडेंट्स को और साथ ही घरों में भी कोरोना के मरीजों को खाना पहुंचा रहे हैं। रईस ने कहा कि इस मुहिम में कई लोग जुड़ रहे हैं, जो आर्थिक मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई मामले ऐसे भी हैं जहां पूरे के पूरे परिवार पॉजिटिव हैं ऐसे में हम पैसे नहीं लेते हैं। लेकिन बाद में कुछ लोग आर्थिक मदद करते हैं।

पत्नी निदा भी कंधे से कंधा सहित चल रही रही
रईस की पत्नी निदा रईस भी इस कार्य में उनके साथ कांधे से कांधा सहित मदद कर रहे हैं। कई बार तो वह उनके साथ तारीख के लिए भी जाता है। एक घटना के बारे में बताते हुए निदा ने कहा कि वह और उनके पति एक मरीज को खाना देने जा रहे थे कि अचानक उन्हें फोन आया भईया खाना देने नहीं आए, मरीज की मौत हो गई है। इस घटना ने उन्हें हिला कर रख दिया। निदा ने बताया कि उनकी 7-8 बंदों की टीम है, लेकिन खाना पकाने से लेकर पहुंचाने तक पूरा एहतियात बरता जाता है। जो अस्पतालों में उपलब्ध हैं वे भी पूरी तरह से प्रोटोकॉल का पालन करते हैं।

शाकाहारी बुजुर्ग परिवारों और जरूरतमंद लोगों के घर तक पहुंचने में शाकाहारी भोजन है
पूजा वातल, समाजसेवी, जे

कोरोना काल में हर कोई प्रभावित है लेकिन उनके बीच में ही कुछ ऐसे लोग भी हैं जो कोरोना राजकुमारी के रूप में जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। पूजा वतल इन से एक हैं जो कोरोना पीड़िक परिवारों तक जम्मू में निशुल्क शाकाहारी भोजन पहुंच रहे हैं, ताकि कोई भूखा न हो। पूजा और उनकी टीम कोरोना शिशु परिवारों को घर तक पहुंचने में मदद मिली है। वे बताती हैं कि हमारे पास ज्यादातर उन लोगों के खाने के लिए फोन आते हैं जिनके साथ कोई नहीं है। वे कहती हैं कि अगर किसी को खाना चाहिए तो वह 9622111111 पर संपर्क कर सकती है।

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कोरोना परिस्थिति के बीच इस तरह की खबरें लगातार आ रही हैं जो इस बात की गग्रन्ताएं हैं कि सेवा, सरोकार और मानवता जैसे अभी भी समाज में शेष हैं। परेशान करने वाली खबरों के बीच इस तरह की खबरें सुखद बयार की तरह आती हैं। आज भी हम आपको मिलवाते हैं हालात के कुछ ऐसे ही सिपाहियों से जो त्याग और सेवा की मिसल बने हुए हैं …

40 लाख की गाड़ी को एकर्न्स बनाकर सेवा में जुटे दो भाई

रोहित और राहुल शुक्ला, समाजसेवी युवा, अतर्रा (बांदा)


कोविड -19 के बढ़ते संक्रमण के बीच दो सगे मुसलमानों का योगदान मिसल बन गया। उन्होंने अपनी 40 लाख रुपये कीमत की स्कोडा गाड़ी को एबुंलेंस का रूप देकर दिनरात जरूरतमंदों को ऑक्सीजन की व्यवस्था प्रदान करने में खुद को समर्पित कर दिया है।

बांदा रोड के रहने वाले शैडिट अध्यापक रविकांत शुक्ला व गृहणी शकुंतला के बेटे रोहित शुक्ला ने वर्ष 2010 में दिल्ली से बीएम किया। उनके छोटे भाई राहुल ने भी 2012 में नो किया। इसके बाद दोनों शहरों में महाराष्ट्र (मुंबई) में गूगल कंपनी में साफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में एक साथ नौकरी जरवाइन की। इसके बाद गुरुग्राम में भी दोनों Google कंपनी में इसी पद पर सेवा दे रहे हैं।

फरवरी 2021 में वह अपने घर छोड़कर चली गई। इसके बाद में वह कोरोना संभावितों की सेवा का संकल्प ले लिया। फिर व्हाट्एस ग्रुप बनाकर लोगों की मदद में जुट गए। इस बार छोटे भाई राहुल शुक्ला ने कोरोना संक्रमण में कस्बे में मुफ्त आक्सीजन सेवा के तहत मुहिम चलाई है। उनकी टीम में शामिल बड़े भाई रोहित शुक्ला, मंजुल मंयक द्विवेदी, शिवम द्विवेदी, पदम चौरिहा आदि शामिल हैं।

लोगों की मदद के लिए उन्होंने अपनी 40 लाख की गाड़ी को एकर्न्स का रूप दे दिया। इस समय रोजाना राहुल अपनी गाड़ी से स्वयं खर्च करने वाली खाली ऑक्सीजन सिलिंडर को कबरई में स्थित प्लांट से रिफिलिंग कराने का काम करते हैं। साथ ही मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल सहित अन्य स्थानों पर जरूरतमंदों के फोन आने पर उनसे संपर्क कर उनकी मदद कर रहे हैं।

अभी तक वे 300 से ज्यादा सिलिंडर्स की रिफिलिंग करते हुए लोगों की मदद कर चुके हैं। इसके अलावा यूपी की सीमा से जुड़े एमपी के सतना, रींवा, मझगवां आदि में भी ऑक्सीजन सिलिंडर मुहैया करा रहे हैं।

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