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सुप्रीम कोर्ट: चेक बाउंस से जुड़े मामलों के जल्द निस्तारण को कानून में संशोधन करे केंद्र सरकार

by Sneha Shukla

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सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस मामलों के जल्द निस्तारण करने के लिए शुक्रवार को कई निर्देश जारी किए। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कानून संशोधन कर एक ही हस्तांतरण से संबंधित व्यक्ति के खिलाफ एक वर्ष के भीतर दर्ज मामलों को साथ जोड़ने की व्यवस्था करने का एक निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने देश के सभी हाईकोर्ट को चेक बाउंस मामलों से निपटने के लिए निचली अदालतों को दिशानिर्देश जारी करने का निर्देश दिया।

चीफ जस्टिस एसए बोबडे की शीर्ष वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा, चेक बाउंस मामलों में साक्ष्यों को हलफनामा दायर कर पेश किया जा सकता है। साथ ही गवाहों को बुलायाकर जांच करने की आवश्यकता नहीं होगी। पीठ ने नेल्सिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट में संशोधन को कहा ताकि एक व्यक्ति के खिलाफ एक साल के भीतर दर्ज चेक बाउंस के केसों को एक साथ जोड़कर मुकदमा चलाया जा सके। पीठ ने शीर्ष अदालत के पुराने फैसले को दोहराते हुए कहा कि निचली अदालतों के पास चेक बाउंस मामलों में मुकदमे का सामना करने के लिए व्यक्तियों को तलब करने के फैसले पर पुनर्विचार करने की स्वाभाविक शक्तियां नहीं है।

देशभर की अदालतों में 35 लाख मामले लंबित
सनद रहे कि देशभर की अदालतों में चेक बाउंस के लगभग 35 लाख मामले लंबित हैं। निचली अदालतों में कुल लंबित मामलों में 40 प्रति मामले चेक बाउंस के हैं। पीठ ने कहा है कि चेक बाउंस मामलों के जल्द निस्तारण को लेकर शुरू की गई स्वतः: संज्ञान की कार्यवाही पर आठ सप्ताह बाद तीन जजों की पीठ विचार करेगी।

पूर्व जज की शीर्षस्थ समिति विचार करेगी
शीर्ष अदालत ने कहा कि जिन मुद्दों पर उसने विचार नहीं किया है उन पर बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस आर सी चव्हाण की प्रवेश वाली समिति विचार करेगी। शीर्ष अदालत ने 10 मार्च को इस समिति का गठन किया था और समिति को तीन महीने के भीतर रिपोर्ट दाखिल कर यह बताने के लिए कहा था कि देश भर में चेक बाउंस के मामलों के जल्द निस्तारण के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए।

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सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस मामलों के जल्द निस्तारण करने के लिए शुक्रवार को कई निर्देश जारी किए। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कानून संशोधन कर एक ही हस्तांतरण से संबंधित व्यक्ति के खिलाफ एक वर्ष के भीतर दर्ज मामलों को साथ जोड़ने की व्यवस्था करने का एक निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने देश के सभी हाईकोर्ट को चेक बाउंस मामलों से निपटने के लिए निचली अदालतों को दिशानिर्देश जारी करने का निर्देश दिया।

चीफ जस्टिस एसए बोबडे की शीर्ष वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा, चेक बाउंस मामलों में साक्ष्यों को हलफनामा दायर कर पेश किया जा सकता है। साथ ही गवाहों को बुलायाकर जांच करने की आवश्यकता नहीं होगी। पीठ ने नेल्सिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट में संशोधन को कहा ताकि एक व्यक्ति के खिलाफ एक साल के भीतर दर्ज चेक बाउंस के केसों को एक साथ जोड़कर मुकदमा चलाया जा सके। पीठ ने शीर्ष अदालत के पुराने फैसले को दोहराते हुए कहा कि निचली अदालतों के पास चेक बाउंस मामलों में मुकदमे का सामना करने के लिए व्यक्तियों को तलब करने के फैसले पर पुनर्विचार करने की स्वाभाविक शक्तियां नहीं है।

देशभर की अदालतों में 35 लाख मामले लंबित

सनद रहे कि देशभर की अदालतों में चेक बाउंस के लगभग 35 लाख मामले लंबित हैं। निचली अदालतों में कुल लंबित मामलों में 40 प्रति मामले चेक बाउंस के हैं। पीठ ने कहा है कि चेक बाउंस मामलों के जल्द निस्तारण को लेकर शुरू की गई स्वतः: संज्ञान की कार्यवाही पर आठ सप्ताह बाद तीन जजों की पीठ विचार करेगी।

पूर्व जज की शीर्षस्थ समिति विचार करेगी

शीर्ष अदालत ने कहा कि जिन मुद्दों पर उसने विचार नहीं किया है उन पर बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस आर सी चव्हाण की प्रवेश वाली समिति विचार करेगी। शीर्ष अदालत ने 10 मार्च को इस समिति का गठन किया था और समिति को तीन महीने के भीतर रिपोर्ट दाखिल कर यह बताने के लिए कहा था कि देश भर में चेक बाउंस के मामलों के जल्द निस्तारण के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए।

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