सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में कोविद -19 के रोगियों को ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित करने के महाराष्ट्र के प्रयास की बुधवार को तारीफ की और केंद्र और दिल्ली सरकारों से कहा कि वे बीएमसी से इस संबंध में बात करके आपूर्ति प्रबंधन सीखें। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ शुरू की गई अवमानना की कार्रवाई के नोटिस पर रोक लगाने की अपील पर सुनवाई और फिर अपने आदेश में इस बारे में टिप्पणी कीं।
गौरतलब है कि अदालत ने केंद्र सरकार को दिल्ली में को विभाजित रोगियों के लिए 700 टन टन ऑक्सीजन आपूर्ति का आदेश दिया था और इसके पालन नहीं होने पर अवमानना की कार्रवाई शुरू करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था। जस्टिस धनंजय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की इस दलील पर संज्ञान लिया कि मुंबई में उपचाराधीन मरीजों की संख्या 92000 के पार होने के बावजूद शहर महज 275 मिलियन टन ऑक्सीजन के साथ काम कर रहा है।
मेहता ने कहा, मैं मुंबई मॉडल की तारीफ करता हूं। यह कोई राजनीतिक मॉडल नहीं है। केंद्र या राज्य का खातिर नहीं, अदालत का अधिकारी होने के नाते हमें समाधान खोजने की आवश्यकता है। लोग यहां-वहां नहीं भटक सकते हैं। यह दिल्ली के प्रयासों को कमतर करने की कोशिश नहीं है। पीठ ने कहा, ” रोजाना तमाम सूचनाएं आ रही हैं। बृहन्नमुद्र महानगर पालिका बहुत अच्छा काम कर रही है, हम दिल्ली का भी अपमान नहीं कर रहे हैं। वह क्या कर रहे हैं, कैसे काम कर रहे हैं। हम सीख सकते हैं।
कोर्ट ने आगे कहा कि मैं यह भी जानता हूं कि महाराष्ट्र ऑक्सीजन का उत्पादन करता है, जो दिल्ली नहीं कर सकता। पीठ ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव और मुख्य स्वास्थ्य सचिव, केंद्र सरकार के अधिकारियों से कहा कि वे ऑक्सीजन आपूर्ति के मॉडल को लेकर बीएमसी के आयुक्त से बात करें। पीठ ने कहा, अगर इतनी आबादी वाले शहर मुंबई में ऐसा किया जा सकता है, तो ऐसा दिल्ली में भी किया जा सकता है।
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