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सुप्रीम कोर्ट : हमने तो अखबार पढ़कर जाना कि हलफनामे में क्या है, जजों से पहले मीडिया तक पहुंच गया

by Sneha Shukla

कोविद -19 महामारी प्रबंधन व इससे संबंधित अन्य मामलों में केंद्र सरकार का हलफनामा मीडिया में लीक होने पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जमकर खिंचाई की। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने तंज कसते हुए कहा कि हमने तो एक पत्र से पढ़कर जान लिया कि हलफनामे क्या है।

उन्होंने कहा कि जजों तक हलफनामा पहुंचने से पहले मीडिया तक पहुंच गया। इस पर केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने इस पर सफाई दी कि हमने राज्यों को हलफनामा दिया था, इसलिए ऐसा नहीं हुआ है। तकनीकी खामियों की वजह से सुनवाई नहीं सकी। अगली सुनवाई बृहस्पतिवार को होगी।

वास्तव में, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कोविड -19 प्रबंधन, टीकों की कीमतों, दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों को हटाने सहित विभाजित किया गया: जुडे़ 21 अलग-अलग-अलग समितियों का परीक्षण था। परीक्षण सुबह 11 बजे से शुरू होना चाहिए था, लेकिन तकनीकी खामियों की वजह से तीनों जजों को भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जोड़ने पर कहा गया।

कॉन्फ्रेंस से जुड़ने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, केंद्र सरकार ने रविवार देर रात हलफनामा सुप्रीम कोर्ट पहुंचाया, जिस कारण से हम उसे नहीं पढ़ना चाहिए। हमारे साथी जजों को सोमवार सुबह मिला, लेकिन मीडिया के पास ये रात में ही पहुंच गया था।

इस बीच, मनिंदर सिंह सहित कई वरिष्ठ वकील भी इस वीडियो कॉन्फ्रेंस से जुड़ने के लिए कंट्रोल रूम से अनुरोध करते हैं। लगभग 40 मिनट तक खामियों को दूर करने की कोशिश की गई, लेकिन वह असफल रही। बाद में तीनों जज भी डिस्कनेक्ट हो गए।

कुछ देर बाद जस्टिस भट स्क्रीन पर नजर आए। उन्होंने वकीलों को बताया कि आज सर्वर में दिक्कत है। जस्टिस भट ने कहा, हम सभी ने निर्णय लिया है कि हलफनामा पढ़ने के बाद इस पर सुनवाई की जाएगी। अब हम बृहस्पतिवार को परीक्षण करेंगे।

वर्ग न्यायालय में एक जब में 200 लोग ही
जानकारी के मुताबिक, एक वर्ग कोर्ट में एक वक्त में 200 लोग ही रह सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट सर्वर की क्षमता 200 की है। वकीलों का कहना है कि सर्वर की क्षमता को बढ़ाया जाना चाहिए।

… जब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान सुनाई ने सोनिया का भाषण दिया
कोविड प्रबंधन से जुडे़ के मामले की ऑफ़लाइन सुनवाई के दौरान उस वक्त अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का भाषण सुनाई देने लगा। दरअसल, ट्रायल शुरू होने से थोड़ी देर पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कंट्रोल रूम से वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम की आवाज बंद करने का अनुरोध किया।

चिदंबरम ने मेहता के माध्यम से कंट्रोल रूम तक यह बात पहुंचाने के लिए कही थी। जैसे ही कंट्रोल रूम की ओर से चिदंबरम की आवाज बंद की गई, वहां से सोनिया गांधी का कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक का संबोधन सुनाई देने लगा। जिनकी बाद में कोर्ट रूम के मौजूद वकील हंस पडे।

वर्ग कोर्ट रूम में मौजूद दूसरे कांग्रेस नेता व वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल को अपने साथी चिदंबरम से कहना पड़ा, इसे बंद कर दें। सिब्बल कुछ समय पहले से ही वर्ग कोर्ट रूम में मौजूद थे। हालांकि उनके बैकग्राउंड से सोनिया का भाषण सुनाई नहीं दे रहा था।

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