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सेबी की सख्ती: कंपनियां अप्रैल 2022 से एक ही व्यक्ति को नहीं बना सकेंगी चेयरमैन-एमडी

by Sneha Shukla

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एजेंसी, नई दिल्ली

द्वारा प्रकाशित: देव कश्यप
अपडेटेड मैट, 07 अप्रैल 2021 12:52 AM IST

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बाजार और सेबी ने कहा कि शीर्ष -500 सूची कंपनियां अप्रैल, 2022 से एक ही व्यक्ति को चेयरमैन और प्रबंधित निदेशक (एमडी) / सीईओ नहीं बना सकती हैं। इसका उद्देश्य प्रवर्तकों की स्थिति कमजोर करना नहीं है, बल्कि इन कंपनियों के संचालन ढांचे में सुधार लाना है।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जनवरी, 2020 में चेयरमैन-एमडी की भूमिका अलग करने की व्यवस्था को कंपनियों के अनुरोध पर दो साल के लिए टाल दिया था। सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने मंगलवार को भारतीय उद्योग केन्द्रघ (आईआई) के कार्यक्रम में कहा, 2020 तक लगभग 53 फीसदी सूचीबद्ध कंपनियों ही इस व्यवस्था का पालन कर रही थीं, जबकि कई कंपनियों ने चेयरमैन और एमडी का पद मिला है। इससे मतभेदों के टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है।

यह देखता है कि बदलाव किए जा रहे हैं, जिसके लिए सूचीबद्ध कंपनियों समय-सीमा से पहले तैयार हो जाएं। इससे एक व्यक्ति के पास अधिक अधिकारों को कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, वैश्विक स्तर पर भी अब चेयरपर्सन और एमडी / सीईओ के पदों को विभाजित करने पर काम हो रहा है। ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में भी बहस अब दोनों पदों पर अलग करने की ओर झुक गई है।

परिवर्तन लाने के लिए ‘संरक्षण’ निमय का पालन करें संस्थागत निवेश
सेबी चेयरमैन ने कहा कि ग्राहकों और लाभार्थियों के प्रति पूरी तरह जवाबदेहि सुनिश्चित करने के लिए बैंक, बीमा कंपनियों और पेंशन कोष जैसे संस्थागत निवेशक वर्ड क्रेडिटवर्डशिप ’नियम का पालन करें। यह नियम संस्थागत अधिकारियों को अपने कार्यों को पूरा करने में मदद करता है। साथ ही निदेशक मंडल के उन फैसलों का विरोध करने की ताकत देता है, जो सभी अंशधारकों के हित में नहीं है। सेबी ने दिसंबर, 2020 में म्यूचुअल फंड और सभी श्रेणियों के वैकल्पिक निवेश कोषों के लिए ‘सीमा शुल्क’ संहिता तय की थी, जो एक जुलाई, 2020 से लागू है।

क्या है हार्डवर्डशिप नियम?
क्रॉसवर्डशिप नियम सिद्धान्त आधारित सेटिंग है। इससे संस्थागत अधिकारियों को अपने ग्राहकों को पूरा करने में मदद मिलती है, क्योंकि वे ग्राहकों और लाभार्थियों के संरक्षण करने के अलावा उनके लिए मूल्यवर्धन कर सकते हैं।

विस्तार

बाजार और सेबी ने कहा कि शीर्ष -500 सूची कंपनियां अप्रैल, 2022 से एक ही व्यक्ति को चेयरमैन और प्रबंधित निदेशक (एमडी) / सीईओ नहीं बना सकती हैं। इसका उद्देश्य प्रवर्तकों की स्थिति कमजोर करना नहीं है, बल्कि इन कंपनियों के संचालन ढांचे में सुधार लाना है।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जनवरी, 2020 में चेयरमैन-एमडी की भूमिका अलग करने की व्यवस्था को कंपनियों के अनुरोध पर दो साल के लिए टाल दिया था। सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने मंगलवार को भारतीय उद्योग केन्द्रघ (आईआई) के कार्यक्रम में कहा, 2020 तक लगभग 53 फीसदी सूचीबद्ध कंपनियों ही इस व्यवस्था का पालन कर रही थीं, जबकि कई कंपनियों ने चेयरमैन और एमडी का पद मिला है। इससे मतभेदों के टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है।

यह देखता है कि बदलाव किए जा रहे हैं, जिसके लिए सूचीबद्ध कंपनियों समय-सीमा से पहले तैयार हो जाएं। इससे एक व्यक्ति के पास अधिक अधिकारों को कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, वैश्विक स्तर पर भी अब चेयरपर्सन और एमडी / सीईओ के पदों को विभाजित करने पर काम हो रहा है। ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में भी बहस अब दोनों पदों पर अलग करने की ओर झुक गई है।

परिवर्तन लाने के लिए ‘संरक्षण’ निमय का पालन करें संस्थागत निवेश

सेबी चेयरमैन ने कहा कि ग्राहकों और लाभार्थियों के प्रति पूर्ण उत्तरदेही सुनिश्चित करने के लिए बैंक, बीमा कंपनियों और पेंशन कोष जैसे संस्थागत निवेश ‘नियम’ का पालन करें। यह नियम संस्थागत अधिकारियों को अपने कार्यों को पूरा करने में मदद करता है। साथ ही निदेशक मंडल के उन फैसलों का विरोध करने की ताकत देता है, जो सभी अंशधारकों के हित में नहीं है। सेबी ने दिसंबर, 2020 में म्यूचुअल फंड और सभी श्रेणियों के वैकल्पिक निवेश कोषों के लिए ‘सीमा शुल्क’ संहिता तय की थी, जो एक जुलाई, 2020 से लागू है।

क्या है हार्डवर्डशिप नियम?

क्रॉसवर्डशिप नियम सिद्धान्त आधारित सेटिंग है। इससे संस्थागत अधिकारियों को अपने ग्राहकों को पूरा करने में मदद मिलती है, क्योंकि वे ग्राहकों और लाभार्थियों के संरक्षण करने के अलावा उनके लिए मूल्यवर्धन कर सकते हैं।



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