पाकिस्तान को नाको चने चबबेन वाले और 1972 की लड़ाई के हर रिटायर विंग विंगरर आरएस बाजपेई सिस्टम की नाकामी से कोरोना से जंग हार गए। अस्पताल व इलाज न मिलने से उनकी मौत हो गई। जिस एयरफोर्स अस्पताल के वे अधिकारी रहे, वहां भी उन्हें इलाज के लिए एडमिट नहीं किया गया। चार-पांच अन्य अस्पताल में चक्कर लगाने के बावजूद विंगेंडरर को एडमिट नहीं किया गया और उनका ऑक्सीजन लेवल लगातार नीचे गिरता रहा।
इस जाबंगे सैनिक ने मरने से पहले अपने फेसबुक वाल पर मिलिटरी अस्पताल की पूरी कहानी और अपने दर्द को खुद बयां किया। पीएसी मोड़, श्याम नगर के रहने वाले रिटायरिंग विंगेंडरर आरएस बाजपेई ने देश के लिए 30 साल तक एयरफोर्स में अपनी सेवा दी है। आरएस बाजपेई ने वर्ष 1972 में बांग्लादेश को अलग करने के लिए भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में अहम रोल अदा किया था।
जब सेना पाकिस्तान में लाहौर तक पहुंच गई थी, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्देश पर विंगंदरर आरएस बाजपेई ने ही पाकिस्तान में एयरफोर्स का नेतृत्व किया था। विंगंदरर के अलावा उनकी पत्नी और बेटे को भी विभाजित पॉजिटिव हैं। दो दिन पहले विंगेंडरर आरएस बाजपेई का ऑक्सीजन लेवल 79 के नीचे आया तो वे इलाज के लिए सेवन एयरफोर्स अस्पताल गए।
मरने से पहले विंगंदरर ने अपने फेसबुक वाल पर लिखा कि पूरी स्थिति बताने व कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद भी ड्यूटी पर तैनात मेडिकल ड्यूटी ऑफिसर ने एडमिट नहीं किया। इसके बाद मजबूरन चार से पांच अस्पताल गए, लेकिन बिस्तर नहीं मिला। विंगंदरर ने फेसबुक वाल से यह कड़वा सच कर्नल के लिए लिखा है।
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